माता-पिता करते थे मनिहारी का काम: उज्जैन की बेटी ने शृंगार प्रसाधन पर कर डाली PHD, जानें कौन है डॉ सलमा शाईन 

Dr. Salma Shine Ujjain news: MP के उज्जैन की डॉ सलमा शाईन का परिवार मनिहारी यानी चूड़ी लाख का कारोबार करता था, लेकिन डॉ सलमा को मौका मिला तो उन्होंने शृंगार प्रसाधन पीएचडी कर डाली। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सम्मानित किया है। 

Updated On 2024-04-13 19:32:00 IST
मनिहारी का काम करता था परिवार शृंगार प्रसाधन पर PHD कर बेटी ने बना लिया रिकार्ड, जानें कौन है डॉ सलमा शाईन

Dr. Salma Shine Ujjain news: मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में रहने वाली डॉ सलमा शाईन का परिवार मनिहारी यानी चूड़ी लाख का कारोबार करता था, लेकिन डॉ सलमा को मौका मिला तो उन्होंने शृंगार प्रसाधन पीएचडी कर डाली। विक्रम विवि के 28वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने उन्हें उपाधि देकर सम्मानित किया है। 

मनिहार कला में माहिर हैं डॉ सलमा 
डॉ सलमा शाईन उज्जैन जिल के तराना क्षेत्र में रहती हैं। उनके परिवार में चूड़ी बनाने और बिक्री का काम कई पीढ़ियों से किया जाता रहा है। लिहाजा, डॉ सलमा भी लाख, कांच, ब्रास की चूडिय़ों के निर्माण और बिक्री यानी मनिहार कला में माहिर हैं। एमए की पढ़ाई के दौरान उन्होंने मनिहार कला पर रिसर्च पेपर लिखा था। जिसमें स्त्री-पुरुष के श्रृंगार और मनिहार कला का उल्लेख है। 

पीजी की पढ़ाई के दौरान लिखा रिसर्च पेपर 
डॉ सलमा शाईन के रिसर्च पेपर को विवि में काफी सराहना मिली। जिसके बाद उनके मार्गदर्शक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने इसी में PHD के लिए प्रेरित किया। चार वर्ष की पीएचडी में डॉ सलमा ने महिलाओं और पुरुषों के आभूषण, वस्त्र, सौन्दर्य, शृंगार और आभूषणों पर विस्तृत अध्ययन किया है। 

समय के साथ बदल गया शृंगार का स्वरूप 
डॉ सलमा ने पुरातन काल से अब तक घड़ी, चेन, अंगूठी और वस्त्र सहित सौंदर्य संसाधनों व आभूषणों जैसे में आए बदलावों पर अध्ययन किया। शोध पत्र में उन्होंने बताया है कि समय के साथ शृंगार कैसे बदलता गया और अब कैसा श्रृंगार होता है। 

मालवा, निमाड़ और मेवाड़ की लोक संस्कृति
डॉ सलमा ने प्रो. प्रज्ञा थापक और प्रो. शैलेंद्र शर्मा के निर्देशन में मालवा, निमाड़ और मेवाड़ की लोक संस्कृति, साहित्य से अनुशीलन करते हुए शोध कार्य किया। पारंपरिक से लेकर आधुनिक समय तक के श्रृंगार पर केंद्रित श्रृंगार सामग्री, वस्त्र, आभूषण पर शोध किया। जगह जगह जाकर फोटोग्राफ और लोक समुदाय से साक्षात्कार, वाचिक साहित्य, संस्कृति सर्वेक्षण किया।

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