UPI Transactions: 24 घंटे में 70 करोड़ ट्रांजैक्शन, यूपीआई ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, क्यों बन रहा घर-घर का हिस्सा?

UPI Transactions: डिजिटल पेमेंट्स रोज नए रिकॉर्ड छू रहा। 2 अगस्त के दिन पहली बार यूपीआई ट्रांजैक्शन की संख्या 707 मिलियन यानी 70 करोड के पार पहुंच गई। यह पहला मौका है, जब एक दिन में इतने ट्रांजैक्शन हुए हैं।

By :  Desk
Updated On 2025-08-05 20:34:00 IST

NPCI के मुताबिक यूपीआई ने पहली बार 70 करोड़ ट्रांजैक्शन का आंकड़ा पार कर लिया।

UPI Transactions in India: यूपीआई ने नया रिकॉर्ड बनाया है। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, अकेले 2 अगस्त को यूपीआई ने 707 मिलियन यानी 70 करोड़ ट्रांजैक्शन का आंकड़ा पार कर लिया। ये पहला मौका है, जब एक दिन में 70 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन हुए हैं। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ दिखाते हैं कि ये प्लेटफ़ॉर्म कितनी तेज़ी से बढ़ रहा। पिछले कुछ सालों में UPI ने काफ़ी प्रोग्रेस की है और 2023 से इसका रोजाना इस्तेमाल दोगुना हो गया। उस समय, रोज लगभग 350 मिलियन (35 करोड़) लेनदेन संभाल रहा था।

अगस्त 2024 तक यह संख्या 500 मिलियन (50 करोड़) तक पहुंच गई, और अब यह आसानी से 700 मिलियन (70 करोड़) को पार कर गई। भारत सरकार अगले साल तक प्रतिदिन 1 बिलियन (100 करोड़) लेनदेन तक पहुंचने का लक्ष्य रख रही।

यूपीआई क्या है और कैसे काम करता?

UPI, एक रीयल-टाइम पेमेंट सिस्टम है जो यूजर्स को अपने स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल कर पैसे भेजने और हासिल करने की अनुमति देता है। यह एक ही मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए कई बैंक खातों को जोड़ता है, जिससे पीयर-टू-पीयर और मर्चेंट लेनदेन तेज़ और आसान हो जाते हैं। एक बार बैंक खाते से जुड़ जाने के बाद, यूजर केवल फ़ोन नंबर या UPI आईडी का उपयोग करके भुगतान कर सकते हैं।

कार्ड नंबर या बैंक डिटेल दर्ज करने की जरूरत नहीं है। यह प्लेटफ़ॉर्म NPCI द्वारा मैनेज होता है और इसका उपयोग PhonePe, Google Pay, Paytm, BHIM और अन्य ऐप्स के जरिए किया जाता है।

औसतन, जुलाई में UPI प्रति दिन लगभग 650 मिलियन (65 करोड़) लेनदेन कर रहा था। अगस्त की शुरुआत में एक धक्का - जब लोग किराए का भुगतान, यूटिलिटी बिल और सैलरी ट्रांसफर करते हैं - ने संभवतः इसे 700 मिलियन के मील के पत्थर को पार करने में मदद की।

70 करोड़ ट्रांजैक्शन पार करने का क्या मतलब?

700 मिलियन दैनिक लेनदेन को पार करना केवल एक संख्या से अधिक है। यह दिखाता है कि UPI भारत के रोजर्मरा की वित्तीय जिंदगी में कितने गहरे तक समा चुका है। व्यापारी भुगतानों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही, जो सभी UPI लेनदेन का करीब 62 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि अधिकांश व्यवसायों - बड़े और छोटे दोनों, ने इस प्लेटफ़ॉर्म को अपना लिया।

UPI दैनिक लेनदेन के मामले में वीज़ा और मास्टरकार्ड जैसी वैश्विक भुगतान कंपनियों को भी चुनौती दे रहा। अंतर क्या है? UPI वास्तविक समय में भुगतानों का निपटान करता है, जबकि कार्ड नेटवर्क विलंबित निपटान मॉडल का पालन करते हैं।

फिर भी, यह इजाफा कुछ चिंताएं भी पैदा करती है। वर्तमान में, UPI भुगतानों पर कोई व्यापारी छूट दर (MDR) नहीं है, जिसका अर्थ है कि बैंक और भुगतान ऐप्स लेनदेन से ज़्यादा कमाई नहीं करते हैं। फिनटेक कंपनियां और उद्योग निकाय सरकार पर MDR को वापस लाने का दबाव बना रहे हैं- कम से कम बड़े व्यापारी लेनदेन के लिए - ताकि इस प्रणाली को वित्तीय रूप से टिकाऊ बनाया जा सके। RBI ने इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा है कि इस पेमेंट सिस्टम की गुणवत्ता और पैमाने को बनाए रखने के लिए एक लॉन्ग टर्म रेवेन्यू मॉडल होना चाहिए।

UPI क्यों बन रहा है हर घर का हिस्सा?

आसान इस्तेमाल: सिर्फ मोबाइल नंबर और UPI PIN से भुगतान संभव

हर प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध: PhonePe, Google Pay, Paytm जैसे कई ऐप्स में सुविधा

हर स्तर के लेन-देन के लिए: चाहे ₹10 की सब्जी खरीदनी हो या ₹10 लाख का भुगतान करना हो, UPI सबके लिए है। 

यूपीआई पेमेंट में उछाल पारंपरिक बैंकिंग को प्रभावित करेगा?

हां, कुछ हद तक। जैसे-जैसे यूपीआई का चलन बढ़ रहा है, कैश और यहां तक कि डेबिट कार्ड का इस्तेमाल भी धीरे-धीरे कम हो रहा, खासकर शहरी इलाकों में। एनईएफटी और आईएमपीएस के ज़रिए बैंक ट्रांसफ़र अभी भी मौजूद हैं लेकिन छोटे लेन-देन के लिए इनका इस्तेमाल कम हो रहा। हालाँकि पारंपरिक बैंकिंग अभी भी अहम भूमिका निभाती है- खासकर बड़े वित्तीय फ़ैसलों, लोन या निवेश के लिए। यूपीआई रोज़मर्रा के लेन-देन का एक पसंदीदा तरीका बनता जा रहा। यह भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनने की ओर भी ले जा रहा। हालांकि, ग्रामीण इलाके और पुरानी पीढ़ी अभी भी कैश पर निर्भर हैं, इसलिए पूरी तरह से बदलाव में ज़्यादा समय लग सकता है।

(प्रियंका कुमारी)

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