S&P Ratings: एसएंडपी ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को बढ़ाकर 'BBB' किया, इसकी क्या अहमियत?
S&P Ratings:एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की लॉन्ग टर्म 'सॉवरेन' साख को 'बीबीबी-' से बढ़ाकर 'बीबीबी' और शॉर्ट टर्म रेटिंग को 'ए-3' से बढ़ाकर 'ए-2' कर दिया। इसके क्या मायने हैं आइए समझते हैं।
S&P Ratings: क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने भारत की रेटिंग बदली।
S&P Ratings: भारत की इकोनॉमी को लेकर बड़ी खबर आई है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी S&P Global ने भारत की लॉन्ग-टर्म सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग ‘BBB-’ से बढ़ाकर ‘BBB’ कर दी है और आउटलुक को स्टेबल यानी स्थिर बनाए रखा है। ये भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गुड न्यूज है। एजेंसी ने इसके पीछे भारत की मजबूत आर्थिक रफ्तार, नीतिगत स्थिरता और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को मुख्य वजह बताया है।
S&P की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद भारत की जीडीपी में काफी सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 2022 से 2024 के बीच भारत की औसत आर्थिक वृद्धि 8.8% रही, जो एशिया-पैसिफिक में सबसे ज्यादा है। एजेंसी का अनुमान है कि आने वाले तीन साल में भारत की जीडीपी हर साल 6.8% की दर से बढ़ेगी। वित्तीय वर्ष 2026 में यह 6.5% के आसपास रह सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तेज ग्रोथ रफ्तार सरकारी कर्ज और जीडीपी के अनुपात को संतुलित रखने में मदद करेगी, भले ही राजकोषीय घाटा अभी भी ज्यादा है।
मार्केट में असर
S&P के ऐलान के बाद भारतीय रुपया मजबूत होकर 87.58 प्रति डॉलर पर पहुंच गया जबकि 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 7 बेसिस प्वाइंट घटकर 6.38% हो गई।
अमेरिका के टैक्स का असर सीमित
S&P का मानना है कि अमेरिका द्वारा संभावित टैरिफ बढ़ाने का असर भारत पर बहुत ज्यादा नहीं होगा क्योंकि भारत की आर्थिक ग्रोथ का करीब 60% हिस्सा घरेलू खपत से आता है। भारत के जीडीपी में अमेरिका को होने वाला निर्यात सिर्फ 2 फीसदी है, और फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर में छूट मिलने के बाद यह 1.2 फीसदी ही रह जाता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर में भारत का बड़ा निवेश
S&P ने कहा कि पिछले 5-6 सालों में सरकार के खर्च की गुणवत्ता बेहतर हुई है। फाइनेंशियल ईयर 2026 में केंद्र सरकार का कैपिटल एक्सपेंडिचर 11.2 ट्रिलियन रुपये यानी GDP का करीब 3.1% होने का अनुमान है, जो एक दशक पहले 2% था। राज्यों को मिलाकर कुल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश GDP का करीब 5.5% है, जो अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है। बेहतर कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर लंबे समय की ग्रोथ में मदद करेंगे।
भारत की आगे की राह कैसी होगी?
S&P का कहना है कि अगर राजकोषीय घाटा कम होता है और सरकारी कर्ज जीडीपी के 60% से नीचे आ जाता है, तो रेटिंग और बढ़ सकती है। वहीं, अगर वित्तीय सुधारों पर राजनीतिक इच्छाशक्ति कमजोर पड़ती है, तो रेटिंग घट भी सकती है।
पिछले साल 2024 में S&P ने भारत के आउटलुक को स्टेबल से बढ़ाकर पॉजिटिव किया था। 2006 में BBB- रेटिंग मिलने के बाद यह पहली बार है जब इसे बढ़ाया गया है।
(प्रियंका कुमारी)