Financial Tips: पैसों की जरूरत आ पड़े, तो सोना बेचें या गोल्ड लोन लें? कौन सा बेहतर है विकल्प ?

भारत में सोना सिर्फ गहना नहीं, बल्कि मुश्किल समय में काम आने वाला सबसे भरोसेमंद सहारा भी होता है। इसलिए परिवारों में इसे आपातकालीन संपत्ति के रूप में संग्रहीत किया जाता है।

Updated On 2025-11-25 13:01:00 IST

(एपी सिंह) नई दिल्ली। हम सबके सामने कभी अचानक पैसों की जरूरत आ पड़ती है। इस जरूरत को पूरा करने में लोग सबसे पहले अपनी बचत या इमरजेंसी फंड का सहारा लेते हैं। जिनके पास इमरजेंसी फंड नहीं होता, वे जरूरत पड़ने पर अक्सर घर में रखा सोना निकालकर बेच देते हैं या फिर गोल्ड लोन लेकर जरूरत भर का पैसा जुटाते हैं। भारत में सोना सिर्फ गहना नहीं, बल्कि मुश्किल समय में काम आने वाला सबसे भरोसेमंद सहारा भी होता है। इसलिए परिवारों में इसे आपातकालीन संपत्ति के रूप में संग्रहीत किया जाता है।

जरूरत की स्थिति में पैसा जुटाने में आमतौर पर लोग दो तरीके अपनाते हैं- एक है सोना बेच कर जरूरी पैसा जुटा लेना या या फिर सोने पर गोल्ड लोन लेना। इन दोनों के ही फायदे और नुकसान अलग हैं। यदि आप अपना सोना बेच देते हैं, तो वह हमेशा के लिए आपके हाथ से चला जाता है। बदले में आपको उसके मूल्य के बराबर पैसे मिल जाते हैं और कोई ब्याज नहीं देना पड़ता। यह तरीका तब सही है जब आपको बड़ी रकम चाहिए या आप लोन चुकाने की स्थिति में नहीं हैं।

दूसरी ओर, गोल्ड लोन में आपका सोना बैंक या फाइनेंसर के पास गिरवी रहता है, लेकिन उसका मालिकाना हक आपके पास ही रहता है। आपको निर्धारित समय तक लोन और ब्याज चुकाना होता है और जैसे ही भुगतान पूरा होता है, सोना आपको वापस मिल जाता है। गोल्ड लोन उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प है जिन्हें थोड़े समय के लिए कम रुपए चाहिए और जो समय पर ईएमआई भर सकते हैं। इसके अलावा, यदि आपका सोने से भावनात्मक लगाव है, जैसे शादी के गहने या परिवार की विरासत, तो गोल्ड लोन लेना बेहतर रहता है ताकि सोना आपके पास सुरक्षित लौट आए।

कौन-सा विकल्प बेहतर है, तो यह बहुत कुछ आपकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। यदि आपको ज्यादा समय के लिए अधिक राशि चाहिए या आप ब्याज का बोझ नहीं उठाना चाहते, तो सोना बेच देना ठीक रहेगा। लेकिन अगर आपकी जरूरत कम है और आपकी आय स्थिर है, जिससे आप लोन आसानी से चुका सकते हैं, तो गोल्ड लोन एक सुविधाजनक और सुरक्षित विकल्प है। संक्षेप में, दोनों विकल्प अपने-अपने स्थान पर सही हैं, लेकिन समझदारी इसी में है कि निर्णय लेने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति, जरूरत और चुकाने की क्षमता पर अच्छी तरह विचार कर लें। 

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