Stock Market closing: सेंसेक्स 650 अंक चढ़ा, निफ्टी भी 25300 के पार; क्यों भारतीय शेयर बाजार में आई रौनक?

Stock Market closing: भारतीय शेयर बाजार में बुधवार का दिन अच्छा रहा। सेंसेक्स 600 अंक से ऊपर उछला और निफ्टी ने भी 25300 का स्तर पार किया। अमेरिका में फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती, रुपया की स्थिति में सुधार के कारण भारतीय बाजार में तेजी देखने को मिली।

Updated On 2025-10-15 16:14:00 IST

Stock Market closing: भारतीय शेयर बाजार में बुधवार को तेजी दर्ज की गई। 

Stock Market closing: इस महीने के अंत में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के बीच ग्लोबल बाजारों से मिले पॉजिटिव संकेतों के चलते बुधवार को शेयर बाजार के मुख्य इंडेक्स में करीब 1 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। दोपहर करीब 1:30 बजे, सेंसेक्स 654 अंक या 0.8 प्रतिशत बढ़कर 82684.59 पर पहुंच गया जबकि निफ्टी 206 अंक या 0.82 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25352.30 पर पहुंच गया। हालांकि, बाजार बंद होते-होते ये बढ़त थोड़ी कम हो गई, फिर भी निफ्टी 25300 के पार क्लोज करने में सफल रहा।

नेस्ले इंडिया, जियो फाइनेंशियल सर्विसेज, एशियन पेंट्स, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और बजाज फिनसर्व प्रमुख लाभ प्राप्त करने वाले शेयरों में शामिल रहे, जिनमें 3 प्रतिशत तक की तेजी देखी गई।

आखिर क्यों भारतीय शेयर बाजार में तेजी आई?

1) फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल द्वारा यह कहने के बाद कि लेबर मार्केट कमजोर बना हुआ है जबकि अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही, निवेशकों की धारणा में सुधार हुआ। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का अनुमान सितंबर से अपरिवर्तित रहा, जब फेड ने पिछली बार ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कमी की थी।

पॉवेल की टिप्पणियों ने इस महीने एक और ब्याज दर कटौती की उम्मीदें बढ़ा दी हैं, जिससे भारत जैसे उभरते बाजार विदेशी निवेशकों के लिए ज़्यादा आकर्षक हो सकते क्योंकि कम अमेरिकी ब्याज दरें आमतौर पर डॉलर और ट्रेजरी यील्ड को कम करती हैं।

2) अस्थिरता कम हुई: बाज़ार की अस्थिरता का मापक इंडिया विक्स लगभग 4 फीसदी गिरकर 10.76 पर आ गया। सूचकांक में गिरावट अनिश्चितता में कमी का संकेत देती है, जो अक्सर निवेशकों को शेयरों में ज़्यादा जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहित करती है।

3) रुपये में सुधार: शुरुआती कारोबार में रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से 88 पैसे बढ़कर 87.93 प्रति डॉलर पर पहुंच गया, जो फेड के नरम रुख़ वाले संकेतों के बाद कमज़ोर डॉलर सूचकांक के कारण हुआ। व्यापारियों ने कहा कि कच्चे तेल की गिरती कीमतों और भारतीय रिज़र्व बैंक के संभावित हस्तक्षेप से भी इस सुधार को बल मिला। मज़बूत रुपया आमतौर पर निवेशकों का विश्वास बढ़ाता है और विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकता है।

4) कच्चे तेल में गिरावट: वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.19 फीसदी गिरकर 62.27 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी द्वारा कमजोर मांग और बढ़ते उत्पादन के बीच 2026 में संभावित आपूर्ति अधिशेष की चेतावनी के बाद तेल की कीमतों में गिरावट जारी रही। कच्चे तेल की कम कीमतें आमतौर पर भारत के लिए सकारात्मक होती हैं, जो अपना अधिकांश तेल इंपोर्ट करता है।

5) मज़बूत वैश्विक संकेत: एशियाई बाजारों में बढ़त दर्ज की गई, दक्षिण कोरिया का कोस्पी, जापान का निक्केई 225, शंघाई का एसएसई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग सूचकांक हरे निशान में रहे। वॉल स्ट्रीट वायदा भी सकारात्मक रहा, जिससे दिन के अंत में अमेरिकी बाजारों की मजबूत शुरुआत का संकेत मिलता है।

6) भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर सकारात्मक संकेत: इस सप्ताह अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ने के साथ ही भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की जल्द संभावनाएं बढ़ गई हैं। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार पर रेयर अर्थ मेटल पर एक्सपोर्ट प्रतिबंधों को कड़ा करने के बीजिंग के फैसले के बाद उत्तेजक आर्थिक कदम उठाने का आरोप लगाया।

बेसेंट ने कहा कि वाशिंगटन ने चीन के नवीनतम कदमों का समन्वित जवाब तैयार करने के लिए भारत, यूरोपीय देशों और अन्य एशियाई लोकतंत्रों सहित अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है।

(प्रियंका कुमारी)

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