Gold Buying Tips: किस्तों में सोना खरीदने की सोच रहे हैं? जानिए सही तरीका और जरूरी सावधानियां

Gold Buying Tips:किस्तों में सोना खरीदते समय योजना की शर्तें ध्यान से पढ़ें।सिर्फ रेगुलेटेड और भरोसेमंद ज्वेलर्स की स्कीम चुनें।मेकिंग चार्ज, रसीद और निवेश विकल्पों की तुलना जरूर करें।

Updated On 2025-10-23 18:18:00 IST
किस्तों में सोना खरीदने का क्या है सही तरीका जान लें

Gold Buying Tips: शादी या त्योहारों से पहले किस्तों में सोना खरीदना लंबे समय से एक लोकप्रिय तरीका रहा। ज्वेलर्स के ये गोल्ड सेविंग स्कीम्स आपको हर महीने एक तय रकम जमा करने और बाद में उतनी रकम का गहना खरीदने की सुविधा देती हैं। सुनने में यह योजना आसान लगती है लेकिन अगर थोड़ी लापरवाही हुई तो नुकसान भी झेलना पड़ सकता।

आमतौर पर इन योजनाओं की अवधि 10 से 12 महीने होती है। ग्राहक हर महीने एक निश्चित रकम जमा करते हैं और अवधि पूरी होने पर उसी रकम के गहने खरीद सकते हैं। कई ज्वेलर्स बोनस या ब्याज जैसी सुविधा भी देते हैं, जैसे एक किस्त माफ करना या जमा रकम पर मामूली ब्याज देना। लेकिन हर योजना के नियम अलग होते हैं, इसलिए कागजों को ध्यान से पढ़ना बेहद जरूरी है।

मेकिंग चार्ज से कम हो सकता फायदा

अक्सर ग्राहक जब रकम पूरी कर लेते हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि मेकिंग चार्ज या वेस्टेज जैसी लागत कुल रकम का बड़ा हिस्सा खा जाती है। कई योजनाएं सिर्फ 22 कैरेट के गहनों की खरीद पर लागू होती हैं, जबकि कुछ में सिर्फ गहने ही खरीदे जा सकते हैं, सिक्के या बार नहीं। अगर आप निवेश के नजरिए से खरीद रहे, तो पहले ही पूछ लें कि मेकिंग चार्ज में छूट है या नहीं।

RBI से रेगुलेट नहीं होती हर योजना

महत्वपूर्ण बात यह है कि ज्यादातर ज्वेलर्स की गोल्ड स्कीम्स रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधीन नहीं होतीं जबकि बैंक डिपॉजिट सुरक्षित रहते हैं। अगर ज्वेलर का कारोबार बंद हो जाए, तो आपकी जमा रकम डूब सकती है। इसलिए हमेशा विश्वसनीय ज्वेलर्स या सेबी-रेगुलेटेड डिजिटल गोल्ड प्लेटफॉर्म्स से जुड़ी योजनाएं ही चुनें।

हर भुगतान की रसीद जरूर लें

हर किस्त की रसीद या इलेक्ट्रॉनिक कन्फर्मेशन लेना न भूलें। नकद भुगतान बिना दस्तावेज के न करें। यह रिडेम्प्शन के समय पारदर्शिता देता है और किसी विवाद की स्थिति में आपका अधिकार सुरक्षित रखता है।

विकल्पों की तुलना करें

ज्वेलर्स की स्कीम में जाने से पहले, सोवरेन गोल्ड बॉन्ड या गोल्ड ईटीएफ जैसी योजनाओं से तुलना करें। ये सरकारी सुरक्षा में होती हैं, ज्यादा पारदर्शी हैं और सोने के दाम के साथ-साथ ब्याज भी देती हैं। किस्तों में सोना खरीदना एक अनुशासित बचत तरीका हो सकता है। बशर्ते आप इसे समझदारी से करें। सही ज्वेलर चुनें, हर भुगतान का रिकॉर्ड रखें और शर्तें ध्यान से पढ़ें।

(प्रियंका कुमारी)

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