No-Cost EMI: नो-कॉस्ट ईएमआई के चक्कर में करते हैं शॉपिंग, जान लें ये फायेदमंद या महंगा सौदा?

no-cost emi:त्योहारों में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म नो-कॉस्ट EMI ऑफर से ग्राहकों को लुभाते हैं।असल में कैश डिस्काउंट हटाकर या दाम बढ़ाकर ब्याज की भरपाई होती है।

Updated On 2025-08-13 17:40:00 IST

नो कॉस्ट ईएमआई फायदे का सौदा या नहीं। 

no-cost emi: त्योहारों का सीजन शुरू होते ही ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे अमेजन और फ्लिपकार्ट ग्राहकों को लुभाने के लिए बड़े-बड़े ऑफर लेकर आती हैं। इनमें नो-कॉस्ट EMI सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है। यह स्कीम खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू उपकरणों, मोबाइल जैसे महंगे प्रोडक्ट्स खरीदने वालों के लिए बेहद आकर्षक बन जाती है। इंडिपेंडेंस डे से लेकर दिवाली तक, इन प्लेटफॉर्म्स पर बैंकों और NBFCs के साथ मिलकर ऐसे ऑफर धड़ाधड़ लॉन्च होते हैं। लेकिन, क्या यह सच में 'नो-कॉस्ट' होता है? आइए विस्तार से समझते हैं।

नो-कॉस्ट EMI में प्रोडक्ट की कीमत को मासिक किस्तों में बांट दिया जाता है, और दावा किया जाता है कि इस पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लगेगा। उदाहरण के लिए, अगर आप 50000 रुपये का स्मार्टफोन 6 महीने की नो-कॉस्ट EMI में खरीदते हैं, तो हर महीने 8,333 रुपये चुकाने होंगे। कुल मिलाकर आपने 50,000 रुपये ही दिए।लेकिन असलियत यह है कि ब्याज की भरपाई या तो प्रोडक्ट के दाम में पहले ही जोड़ दी जाती है या फिर कैश पेमेंट पर मिलने वाला डिस्काउंट हटा दिया जाता है। मतलब, कैश पेमेंट करने वाले को जो 8 से 10 फीसदी की छूट मिलती है। वो EMI लेने वाले से छूटकर वसूल हो जाती।

छुपे हुए चार्ज और पेनल्टी

नो-कॉस्ट EMI का सबसे बड़ा खतरा लेट पेमेंट है। अमेजन पर 1.18% (GST समेत) का प्रोसेसिंग चार्ज पहले ही जोड़ दिया जाता है। किस्त समय पर न भरने पर लेट फीस लगती है और क्रेडिट स्कोर भी गिर जाता है। फ्लिपकार्ट पर बार-बार डिफॉल्ट करने पर अकाउंट रेस्ट्रिक्ट भी हो सकता। वहीं, बजाज फिनसर्व जैसी कंपनियां चेतावनी देती हैं कि एक बार डिफॉल्ट होने पर भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।

नो-कॉस्ट ईएमआई का नुकसान कहां-कहां?

अतिरिक्त खर्च-कैश डिस्काउंट न मिलने और प्रोसेसिंग फीस के चलते असल में यह महंगा सौदा हो सकता है।

क्रेडिट लिमिट ब्लॉक-EMI शुरू होते ही पूरी क्रेडिट लिमिट ब्लॉक हो जाती है और धीरे-धीरे रिलीज होती है।

कर्ज का बोझ-त्योहारों में जरूरत से ज्यादा शॉपिंग करने पर कर्ज का जाल बढ़ सकता है।

क्रेडिट स्कोर पर असर-क्रेडिट कार्ड लिमिट का 30% से ज्यादा इस्तेमाल स्कोर गिरा सकता है।

फोरक्लोजर चार्ज-लोन पहले चुकाने पर 3% तक का चार्ज लग सकता है।

क्या करें और क्या न करें

  • EMI लेने से पहले कैश और EMI प्राइस का तुलना करें।
  • सिर्फ जरूरी और बजट में आने वाले सामान पर ही EMI लें।
  • टर्म्स एंड कंडीशंस जरूर पढ़ें।
  • समय पर EMI भरना न भूलें।

त्योहारों में सही डील चुनना समझदारी है, वरना ‘नो-कॉस्ट’ EMI आपके लिए महंगा सौदा साबित हो सकता है।

(प्रियंका कुमारी)

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