Onion Price Hike: देशभर में प्याज की कीमतें 7वें आसमान पर, आखिर कब घटेंगे दाम? जानें डिटेल

Onion Price Hike: बारिश और अन्य कारणों से महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में इस साल प्याज उत्पादन में 60 लाख टन की गिरावट आई और इसी के चलते कीमतों में बढ़ोतरी हुई।

Updated On 2024-11-18 18:02:00 IST
Onion Price hike in indian cities

Onion Price Hike: देशभर में प्याज की कीमतें ₹100 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। हर साल इस समय प्याज की कमी और दामों में बढ़ोतरी देखी जाती है, लेकिन इस बार हालात काफी खराब हैं। इस संकट के पीछे किसानों की दो सालों की पीड़ा छिपी है, जिसने प्याज की खेती को प्रभावित किया और बाजार में सप्लाई घटा दी। महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि सरकार उपभोक्ताओं के आंसू तो देखती है, लेकिन किसानों का दर्द नजरअंदाज कर देती है।

प्याज कीमतों में बढ़ोतरी के प्रमुख कारण...

1) प्याज उत्पादन में गिरावट
इस साल प्याज का उत्पादन 60 लाख टन कम हुआ, जिससे बाजार में आपूर्ति घट गई।
 
2) पुराने स्टॉक की कमी
मार्च 2024 की रबी फसल का स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है।

3) महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बारिश 
बारिश के कारण नई फसल की आवक में देरी हुई।

4) खेती में कमी
किसानों ने पिछले वर्षों में घाटे के कारण प्याज की खेती से दूरी बना ली।

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दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में ब्याज 100 रु. kg
महाराष्ट्र, जो देश के 43% प्याज का उत्पादन करता है, वहां प्याज की कीमतों ने रिकॉर्ड स्तर छू लिया। नासिक के लासलगांव मंडी में 6 नवंबर को प्याज का थोक दाम ₹56.56 प्रति किलो तक पहुंच गया। वहीं, दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता और चंडीगढ़ जैसे शहरों में प्याज ₹100 प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है।

किसानों ने बताई अपनी परेशानियां
किसानों का कहना है कि सरकार की नीतियों के कारण उन्हें घाटा सहना पड़ा, जिससे उन्होंने प्याज की खेती कम कर दी।

  • उत्पादन में कमी: महाराष्ट्र में प्याज का उत्पादन 2021-22 के 136.69 लाख टन से घटकर 2023-24 में 86.02 लाख टन रह गया।
  • खेती का रकबा घटा: 2021 से 2024 के बीच प्याज की खेती का रकबा 4.04 लाख हेक्टेयर घटा।
  • सरकारी हस्तक्षेप: किसानों का आरोप है कि जब भी प्याज के दाम बढ़ते हैं, सरकार निर्यात पर रोक लगाकर या स्टॉक लिमिट लगाकर उनके मुनाफे को नुकसान पहुंचाती है।

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नई फसल कब आएगी?
नई फसल की आवक में देरी के कारण दिसंबर से पहले प्याज के दामों में कमी की उम्मीद कम है। राजस्थान के अलवर से प्याज की नई फसल दिल्ली में पहुंचनी शुरू हो गई है। लेकिन, बफर स्टॉक, जो देश के कुल उत्पादन का मात्र 2% है, का प्रभाव जमीन पर दिसंबर तक नजर नहीं आएगा। महाराष्ट्र में बारिश के कारण नई फसल की आवक नवंबर के अंत तक हो सकती है।

प्याज की कीमतों का चुनावी प्रभाव 
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को हैं। राज्य में प्याज की कीमतें और सप्लाई चुनावी मुद्दा बन चुकी हैं। किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी का कहना है कि चुनाव के बाद केंद्र सरकार प्याज के निर्यात पर फिर से प्रतिबंध लगा सकती है। सरकार ने मई में निर्यात प्रतिबंध हटाया था, लेकिन न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया था। सितंबर में इसे भी हटा दिया गया।

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अब आगे का रास्ता क्या है? 
विशेषज्ञों का मानना है कि नई फसल और सरकारी नीतियों के संयोजन से दिसंबर तक प्याज की कीमतों में कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, लंबे समय में किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो खेती घटती रहेगी और उपभोक्ता और किसान दोनों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

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