2024 Interim Budget Speech: आंगनवाड़ी-आशा बहनों को आयुष्मान का लाभ, 3 करोड़ लखपति दीदी भी बनेंगी; किरायेदारों के लिए 'मकान' का वादा

Budget 2024 Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट भाषण के दौरान कहा कि भारतीय इकोनॉमी ने पिछले एक साल में बड़ा बदलाव देखा है। देश की जनता आशान्वित है।

Updated On 2024-02-01 15:56:00 IST
Budget 2024 Live News

Interim Budget 2024 Nirmala Sitharaman Speech: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट 2024 (Interim Budget) पेश किया। बजट में नौकरी पेशा लोगों को कोई राहत नहीं मिली। आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम करने के लिए कोई ऐलान नहीं हुआ। हालांकि, रक्षा और रेल सेक्टर में कुछ ऐलान हुए है। वित्त मंत्री ने कहा कि सभी आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाएगा। सरकार का फोकस गरीब, किसान, युवा और महिलाओं पर है। इस साल किराये पर रहने वालों को अपना मकान देने के लिए योजना की शुरुआत की जाएगी। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जून-जुलाई में फुल बजट पेश किया जाएगा। बतौर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह छठा बजट है। 

अंतरिम बजट भाषण:

  • वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा:- भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले 10 साल में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले हैं। भारत के लोग आशा और विश्वास के साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं। जनता के आशीर्वाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी और प्रगतिशील नेतृत्व में वर्ष 2014 में जब हमारी सरकार सत्ता में आई, तब देश बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा था। सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अपने मंत्र से इन चुनौतियों पर विजय पाई है। रोजगार और उद्यमिता के अवसर सृजित किए। अर्थव्यवस्था में नई मजबूती आई। लोगों को बड़े पैमाने पर विकास के लाभ मिलने लगे। देश में आशा की एक नई चेतना जगी। स्वभाविक रूप से लोगों ने बड़े जनादेश के साथ सरकार को आशीर्वाद दिया।

  • सरकार ने अपने मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ पर काम करके इसे और सशक्त बनाया। ‘सबका प्रयास’ के ‘समग्र राष्ट्रीय’ दृष्टिकोण के साथ देश ने सदी की सबसे बड़ी महामारी की चुनौती का सामना किया। ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया। ‘पांच प्रण’ के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई और ‘अमृत काल’ की ठोस नींव रखी। आशा करते हैं कि असाधारण उपलब्धियों के लिए हमारी सरकार को फिर से भारी जनादेश के माध्यम से लोगों का आशीर्वाद मिलेगा।

  • पिछले 10 सालों में सभी के लिए आवास, ‘हर घर जल’, सभी के लिए बिजली, सभी के लिए रसोई गैस, सभी के लिए बैंक खाते और वित्तीय सेवाओं के माध्यम से प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के लिए सेवाएं सुलभ कराई हैं। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराकर खाद्यान्न की चिंता खत्म की। ‘अन्नदाता’ की उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को समय-समय पर उपयुक्त रूप से बढ़ाया जाता रहा है। इन प्रयासों से तथा मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किए गए प्रावधानों से ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक आय में वृद्धि हुई है, रोजगार का सृजन हुआ।

  • सामाजिक न्याय: हमारी सरकार के केंद्र में सभी जातियों और सभी स्तरों के लोग शामिल हैं। हम 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें लोगों की क्षमता में वृद्धि करनी होगी और उन्हें सशक्त बनाना होगा। पहले, सामाजिक न्याय मुख्यतया एक राजनैतिक नारा था। हमारी सरकार के लिए सामाजिक न्याय एक प्रभावी और आवश्यक शासन पद्धति है। सभी पात्र लोगों को लाभान्वित करने का सैचुरेशन दृष्टिकोण ही सच्चे और स्पष्ट अर्थों में सामाजिक न्याय की प्राप्ति है। कार्य रूप में यही धर्मनिरपेक्षता है जिससे भ्रष्टाचार कम होता है और भाई-भतीजावाद पर  लगाम लगती है। इसमें यह पारदर्शिता और आश्वासन है कि लाभ सभी पात्र लोगों तक पहुंच रहे हैं। संसाधनों का वितरण निष्पक्ष रूप से किया जा रहा है।

  • प्रधानमंत्री का विश्वास है कि चार प्रमुख जातियों पर ध्यान केंद्रित किया जाए। ये जातियां हैं ‘गरीब’, ‘महिलाएं’, ‘युवा’ और ‘अन्नदाता’। उनकी आवश्यकताएं, उनकी आकांक्षाएं और उनका कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। देश की प्रगति होती है जब वे प्रगति करते हैं। इन चारों जातियों को अपने जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास में सरकारी सहायता की आवश्यकता है और उन्हें सरकारी सहायता मिल भी रही हैं। उनके सशक्तीकरण से और उनके कल्याण से देश आगे बढ़ेगा।

  • गरीब-कल्याण, देश का कल्याण: हम निर्धन लोगों के सशक्तीकरण में विश्वास रखते हैं। हकदारियां देकर गरीबी से निपटने के पहले के तरीके से मामूली नतीजे मिले थे। जब गरीब विकास प्रक्रिया में सशक्त भागीदार बन जाते हैं, तो उन्हें सहायता देने की सरकार की सामर्थ्य भी कई गुणा बढ़ जाती है। ‘सबका साथ’ मंत्र से, सरकार ने इन दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से छुटकारा दिलाया है। इस तरीके से समर्थ बनाए गए लोगों की ऊर्जा और उत्साह की सहक्रियाशीलता से अब हमारी सरकार के प्रयासों को भी बल मिल रहा है। इससे वास्तव में वे गरीबी से ऊपर उठ रहे हैं। सरकार द्वारा पीएम-जनधन खातों के माध्यम से 34 लाख करोड़ रू. का ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ करने से सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। यह पूर्व में व्याप्त धन रिसाव को रोककर हासिल किया गया है। इस बचत से ‘गरीब कल्याण’ के लिए और अधिक निधियां प्रदान करने में मदद मिली है।

  • पीएम-स्वनिधि से 78 लाख स्ट्रीट वेंडरों को ऋण सहायता प्रदान की गई है। इनमें से 2.3 लाख स्ट्रीट वेंडरों ने तीसरी बार ऋण प्राप्त किया है। पीएम-जनमन योजना विशेष तौर पर उन कमजोर जनजातीय वर्गों तक पहुंची है, जो अब  तक विकास के दायरे से बाहर रहे हैं। पीएम-विश्वकर्मा योजना से 18 कारोबारों में लगे कारीगरों और शिल्पकारों को हर तरह की सहायता मिलती है। दिव्यांगजनों और ट्रांसजेंडरों के सशक्तीकरण की योजनाओं में हमारी सरकार का यह दृढ़ संकल्प झलकता है कि कोई पीछे न रह जाए।

  • अन्नदाता का कल्याण: किसान हमारे ‘अन्नदाता’ हैं। पीएम-किसान सम्मान योजना के अंतर्गत हर वर्ष सीमांत और छोटे किसानों सहित 11.8 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा प्रदान किया गया है। अनेक दूसरे कार्यक्रमों के अलावा इन उपायों से ‘अन्नदाता’ को देश और पूरी दुनिया के लिए अन्न पैदा करने में सहायता दी जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट ने 1361 मंडियों को एकीकृत कर दिया है और इसमें 3 लाख करोड़ रुपये मूल्य का कारोबार हो रहा है और 1.8 करोड़ किसानों को सेवाएं मिल रही हैं। कृषि-क्षेत्र समावेशी, संतुलित, उच्चतर संवृद्धि और उत्पादकता की ओर अग्रसर है। इन्हें कृषक-केंद्रित नीतियां लाकर, किसानों को उनके आय अर्जन में सहायता देकर, कीमत और बीमा के माध्यम से जोखिम कवरेज देकर, स्टार्ट-अप के माध्यम से प्रौद्योगिकी और नवाचारों को बढ़ावा देकर सुगम किया गया है।

  • अमृतपीढ़ी, युवाओं का सशक्तीकरण: हमारी समृद्धि युवाओं को पर्याप्त रूप से साधन संपन्न करने और सशक्त बनाने पर निर्भर करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 से परिवर्तनकारी सुधार लाए जा रहे हैं। उदीयमान भारत के लिए पीएम स्कूल (पीएम श्री) में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई हो रही है, और बच्चों का समग्र और चहुंमुखी विकास किया जा रहा है। स्किल इंडिया मिशन में 1.4 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित दिया गया। 54 लाख युवाओं का कौशल-उन्नयन हुआ। 3000 नई आईटीआई शुरू की गई। उच्चतर शिक्षा के लिए 7 आईआईटी, 16 आईआईआईटी, 7 आईआईएम, 15 एम्स और 390 यूनिवर्सिटी शुरू की गई हैं।

  • पीएम मुद्रा योजना के अंतर्गत, हमारे युवाओं की उद्यमिता से जुड़ी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए 22.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के कुल 43 करोड़ ऋण मंजूर किए गए हैं। इसके अलावा, निधियों की निधि, स्टार्ट-अप इंडिया और स्टार्ट-अप क्रेडिट गारंटी जैसी योजनाओं से भी हमारे युवा वर्ग को सहायता प्रदान की जा रही है। वे भी ‘रोजगारदाता’ बन रहे हैं। साल 2023 में हमारे खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों और एशियाई पैरा खेलों में अब तक की सबसे अधिक संख्या में पदक जीते हैं। शतरंज विभूति और नंबर वन रैंक के खिलाड़ी, प्रज्ञानंदा ने 2023 में वर्तमान शतरंज वर्ल्ड चैम्पियन, मैगनस कार्लसन को कड़ी टक्कर दी। आज भारत में 80 से अधिक शतरंज ग्रैंडमास्टर हैं जबकि वर्ष 2010 में 20 से थोड़े अधिक ग्रैंडमास्टर हुआ करते थे।

  • नारी शक्ति को प्रोत्साहन: उद्यमिता, सुगम्य जीवन, और महिलाओं के लिए सम्मान के माध्यम से उनके सशक्तिकरण को इन 10 सालों में गति मिली। महिला उद्यमियों को तीस करोड़ मुद्रा योजना ऋण दिए गए। उच्चतर शिक्षा में महिलाओं का नामांकन 28 फीसदी बढ़ा है। स्टेम कोर्सेस में 33 प्रतिशत नामांकन बेटियों और महिलाओं का है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। ‘ट्रिपल तलाक’ को गैर-कानूनी बनाने, लोक सभा और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने, और पीएम आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को एकल या संयुक्त मालिकों के रूप में सत्तर प्रतिशत से अधिक घर देने के फलस्वरूप उनका सम्मान बढ़ा है।

  • शासन, विकास और कार्य-निष्पादन (जीडीपी) का अनुकरणीय ट्रैक रिकॉर्ड: सरकार ने ‘नागरिक-प्रथम’ और ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के दृष्टिकोण के साथ पारदर्शी, जवाबदेह, लोक-केंद्रित और तत्पर विश्वास-आधारित प्रशासन दिया है। लोग बेहतर जीवन जी रहे हैं और बेहतर कमा रहे हैं और भविष्य के लिए और भी अधिक आकांक्षा रखे हुए हैं। लोगों की औसत वास्तविक आय 50 प्रतिशत बढ़ गई है। मुद्रास्फीति सामान्य बनी हुई है।

  • आर्थिक प्रबंधन: बहुद्देशीय आर्थिक प्रबंधन से लोक-केंद्रित समावेशी विकास को बढ़ावा मिला है। भौतिक, डिजिटल या सोशल सभी प्रकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर रिकार्ड समय में बनाए जा रहे हैं। देश के सभी भाग आर्थिक विकास में सक्रिय भागीदार बन रहे हैं। डिजीटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, जो 21वीं सदी में उत्पादन का एक नया कारक है, अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने में सहायक है। जीएसटी से ‘वन नेशन, वन मार्केट, वन टैक्स’ संभव हो पाया है। वित्तीय क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने से बचत, ऋण और निवेशों को अधिक प्रभावशाली बनाने में मदद मिली है।

  • वैश्विक संदर्भ: कोविड महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभर कर सामने आ रही है। भारत ने दुनिया के लिए मुश्किल समय के दौरान जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की। वैश्विक अर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरें, निम्न विकास, अत्यधिक लोक ऋण, निम्न व्यापारिक विकास, और जलवायु संबंधी चुनौतियों से जूझ रही थी। महामारी ने दुनिया के लिए खाने-पीने, उर्वरक, ईंधन और वित्तीय साधनों का संकट उत्पन्न कर दिया था, जबकि भारत अपनी राह बनाने में सफल रहा। देश ने आगे बढ़ने का रास्ता सुझाया और उन वैश्विक समस्याओं के समाधानों के लिए सहमति बनाई। घोषित भारत-मध्यपूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर भारत और अन्य देशों के लिए भी एक रणनीतिक और आर्थिक परिवर्तनकारी पहल है। 

  • कर्तव्य काल के रूप में अमृतकाल: हमारी सरकार ने इस दिशा में कार्य करने की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश का हर नागरिक अपने कर्तव्य को लेकर कार्य करे। जुलाई में पूर्ण बजट में हमारी सरकार विकसित भारत का रिवाइज़्ड रोड मैप पेश करेगी।

  • पर्यावरण और पर्यटन: हरित विकास के लिए नई योजना की शुरुआत की जा रही है। ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा दिए जाने के लिए भी योजना शुरू होगी। आज दुनिया के देशों में भारत के टूरिज्म को लेकर उत्सुकता बढ़ी है। पर्यटक केंद्रों पर सुविधा और रेटिंग बढ़ाने के लिए राज्यों को कर मुक्त लोन दिए जाएंगे। इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी।

  • हरित ऊर्जा: प्राकृतिक गैस मेथेनॉल की उपयोग को कम करने का प्रयास किया जाएगा। बायोमास को प्रोत्साहन देने के लिए सहायता देंगे।
  • रेलवे और हवाई यातायात: टियर टू और थ्री शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ा गया है। देश की विमानन कंपनियां 1000 हवाई जहाजों का ऑर्डर देकर तेजी के आगे बढ़ रही हैं। तीन प्रमुख रेल गलियारा बनेंगे। रसद व्यवस्था को सुचारू करेंगे। अधिक यात्रा वाले रूट पर व्यवस्थाएं बढ़ाएंगे। यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा बढ़ाने के लिए 40 हजार रेल डिब्बों को वंदेभारत की तर्ज पर बदला जाएगा।
  • राजकोषीय घाटा: संशोधित अनुमान जीडीपी का 5.8 प्रतिशत है, जो अंकित विकास अनुमानों में कमी के बावजूद बजट अनुमान की तुलना में बेहतर है। वर्ष 2024-25 में, उधार से इतर कुल प्राप्तियां और कुल व्यधय क्रमश: 30.80 लाख करोड़ और ` 47.66 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। कर प्राप्तियों के ` 26.02 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। राज्यों के पूंजीगत व्यय के लिए पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण योजना कुल 1.3 लाख करोड़ के परिव्यय के साथ इस वर्ष भी जारी रखी जाएगी।

  • लखपति दीदी: 9 करोड़ महिलाओं के 83 लाख स्व-सहायता समूह सशक्तीकरण और आत्मनिर्भरता से ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में बदलाव ला रहे हैं। इनकी सफलता से अब तक लगभग एक करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं। वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। उन्हें सम्मानित करके उनकी उपलब्धियों को मान्यता प्रदान की जाएगी। इस सफलता से उत्साहित होकर लखपति दीदी का लक्ष्य 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ किया गया है।

  • प्रत्यक्ष कर- पिछले 10 साल में प्रत्यक्ष कर कलेक्शन 3 गुना से अधिक हुआ और रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 2.4 गुना हो गई। करदाताओं के योगदान का देश के विकास और जनता के कल्याण के लिए विवेकपूर्ण उपयोग किया जा रहा है। करदाताओं के सहयोग के लिए सराहना करती हूं। सरकार ने टैक्स दरों में कटौती की है। न्यू टैक्स रिजीम में अब `7 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है। पहले वित्तीय वर्ष 2013-14 में यह सीमा 2.2 लाख रुपए तक थी। रिटेल बिजनेस के लिए प्रीजम्प्टिव कराधान की सीमा `2 करोड़ से बढ़ाकर `3 करोड़ की गई। इसी प्रकार प्रीजम्प्टिव कराधान के पात्र कारोबारियों के लिए यह सीमा `50 लाख से बढ़ाकर `75 लाख की गई। साथ ही कारपोरेट टैक्स रेट मौजूदा स्वदेशी कंपनियों के लिए 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत की गई और कुछ नई मैन्यूफ्रैक्चरिंग कंपनियों के लिए 15% की गई।
  • पिछले 5 साल में में टैक्स सुधार और सुविधाओं पर जोर रहा है। रिटर्न फाइलिंग, फार्म 26एएस से रिटर्न भरना अधिक सरल और आसान हुआ है। पहले टैक्स रिफंड में औसतन 93 दिन लगते थे, जो कम होकर अब सिर्फ 10 दिन हो गए। इससे रिफंड जारी होने में तेजी आई।
  • अप्रत्यक्ष कर- भारत में अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को एकीकृत करके जीएसटी ने व्यापार और उद्योग पर बोझ को कम किया। उद्योग जगत ने जीएसटी के लाभ को स्वीकारा है। एक सर्वे के अनुसार 94 प्रतिशत उद्योग प्रमुख जीएसटी में हुए बदलाव को सकारात्मक मानते हैं। टैक्स आर्बिटराज और ऑक्ट्रोइ के हटने से राज्यों और शहरों की सीमाओं से चैक पोस्ट हट गए। साथ ही, जीएसटी का कर आधार बढ़कर दोगुने से अधिक हो गया है। इस साल मासिक GST कलेक्शन बढ़कर करीब दोगुना (1.66 लाख करोड़ रु.) हो गया। करों में कमी से अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कम हुईं।
  • कर प्रस्ताव- टैक्स व्यवस्था में किसी भी बदलाव का प्रस्ताव नहीं है। प्रत्यक्ष कर और आयात शुल्कों सहित अप्रत्यक्ष करों के संबंध में टैक्स रेट पहले जैसे रहेंगे। हालांकि, स्टार्ट-अप और पेंशन फंड में किए निवेश पर कुछ कर लाभ और कुछ आईएफएससी यूनिटों की आय पर टैक्स छूट की डेडलाइन 31.03.2024 को खत्म हो रही है। जिसे एक साल के लिए 31.03.2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है।
  • लंबे वक्त से अटके विवादित प्रत्यक्ष कर मांग बही खातों को लेकर वित्तीय वर्ष 2009-10 तक की अवधि के 25,000 तक और वित्तीय वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 से संबंधित 10,000 रु. तक की ऐसी बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने का प्रस्ताव है। इससे करीब एक करोड़ करदाताओं को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। 
  • कृषि विकास: मतस्य पालन विकास योजना के तहत प्रधानमंत्री मतस्य पालन योजना को बढ़ावा दिया जाएगा। निकट भविष्य में इस सेक्टर में 55 लाख रोजगार पैदा किए जाएंगे। पीएम कृषि संपदा और लधु खाद्य प्रस्ंसकण योजनाओं से किसानों को लाभ हुआ है। सरकार नेनो यूरिया के सफल उपयोग के बाद नेनो डीएपी का प्रयोग किया जाएगा। कृषि में रिसर्च को बढ़ाया जाएगा। दुग्ध विकास के लिए किसानों को बढ़ावा देंगे। भारत देश का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश हैं, लेकिन देश में पशुओं की संख्या कम है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत इसे बढ़ाएंगे। 
  • वैश्विक संदर्भ: कोविड महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभर कर सामने आ रही है। भारत ने दुनिया के लिए मुश्किल समय के दौरान जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की। वैश्विक अर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरें, निम्न विकास, अत्यधिक लोक ऋण, निम्न व्यापारिक विकास, और जलवायु संबंधी चुनौतियों से जूझ रही थी। महामारी ने दुनिया के लिए खाने-पीने, उर्वरक, ईंधन और वित्तीय साधनों का संकट उत्पन्न कर दिया था, जबकि भारत अपनी राह बनाने में सफल रहा। देश ने आगे बढ़ने का रास्ता सुझाया और उन वैश्विक समस्याओं के समाधानों के लिए सहमति बनाई। घोषित भारत-मध्यपूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर भारत और अन्य देशों के लिए भी एक रणनीतिक और आर्थिक परिवर्तनकारी पहल है। 

  • आयुष्मान भारत: सभी आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को आयुष्मान भारत का लाभ दिया जाएगा। हम ज्यादा मेडिकल कॉलेज स्थापित करेंगे। ताकि युवा पढ़ाई कर अपना सपना पूरा कर सकें। सरवाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए अभियान शुरू करेंगे। महिला और बेटियों के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जा रहा है। 
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण): कोविड के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का कार्यान्वयन जारी रहा और हम तीन करोड़ मकानों का लक्ष्य प्राप्त करने के नजदीक हैं। परिवारों की संख्या में वृद्धि होने से उत्पन्न हुई आवश्यकता को पूरा करने के लिए अगले पांच वर्षों में दो करोड़ अतिरिक्त मकानों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

  • छत पर सौर प्रणाली लगाना (रूफटॉप सोलराइजेशन) और मुफ्त बिजली: छत पर सौर प्रणाली लगाने से एक करोड़ परिवार प्रत्येक महीने 300 यूनिट तक निःशुल्क बिजली प्राप्त कर सकेंगे। यह योजना अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक दिन माननीय प्रधान मंत्री के संकल्प के अनुसरण में लायी गई है। इससे निःशुल्क सौर बिजली और अधिशेष बिजली वितरण कंपनियों को बेचने से परिवारों को हर वर्ष पंद्रह हजार से अठारह हजार रुपये की बचत होगी। इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग, आपूर्ति और इन्स्टालेशन के लिए बड़ी संख्या में वेंडरों को उद्यमशीलता का अवसर, विनिर्माण, इन्स्टालेशन और रखरखाव में तकनीकी कौशल रखने वाले युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बनेंगे।

  • मध्यम वर्ग के लिए आवास: सरकार “किराए के मकानों या झुग्गी-झोपड़ी या चाल और अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले” मध्यम वर्ग के पात्र लोगों को अपने स्वयं के मकान खरीदने या बनाने में सहायता करने के लिए योजना शुरू करेगी।

  • आयुष्मान भारत: आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य सुरक्षा में सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी शामिल किया जाएगा।

  • अगर विश्व स्तर पर देखें तो हमें आपूर्ति चेन को बढ़ाया है। कोरोना के बाद हम अच्छी तरह से उभर रहे हैं। पिछले दिनों हमने जी20 का आयोजन किया। विश्व स्तर पर अनाज की समस्या है। भारत दूसरे देशों के सामने मजबूत विकल्प से तौर पर उभरा है। इकोनॉमिक कोरिडोर को विश्व स्तर पर विकसित किया जा रहा है।
  • हम सकल विकास की ओर ध्यान दे रहे हैं। सभी क्षेत्रों में विकास और विनिवेश बढ़ा है। लोगों की आय बढ़ी है। आर्थिक प्रबंधन में सभी तरह के विकास को रिकॉर्ड समय में पूरा कर रहे हैं। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर इकोनॉमी को नया रूप दे रहा है। हम जीएसजी के तहत एक राष्ट्र एक कर की व्यवस्था पर चल रहे हैं।

  • कोरोना महामारी के दौरान हमने लोगों के बीच बेहतर कार्यों के साथ उम्मीद जगाई। पिछले 10 सालों में ग्रामीण विकास के कार्यक्रमों में आवास, जल और बिजली उपलब्ध कराई। देश के 80 करोड़ परिवारों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया। जब ज्यादा से ज्यादा नौकरियों के उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं।

  • केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट 'मोदी की गारंटी' वाला है। 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने का लक्ष्य रखा गया है। समाजिक न्याय के क्षेत्र में सभी को समान अवसर दिये जा रहे हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद भवन पहुंचने के बाद बजट टैब दिखाती हुईं।
  • भ्रष्टाचार और भाई-भजीतावाद खत्म: हमने भाई-भतीजावाद को खत्म किया है। हम सरकारी लाभों को समान रूप से बांटते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का विश्वास है कि हम गरीब, किसान, महिला और युवाओं के लिए कार्य करें। इन्हें विकास योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। ये चारों तरक्की करेंगे तभी देश आगे बढ़ेगा। सबका साथ के तहत सरकार ने 25 करोड़ लोगों को सहायता देकर उन्हें गरीबी से मुक्त कराया है। डायरेक्टर बेनिफिट ट्रांसफर योजना के तहत 2.7 लाख करोड़ की बचत का ज्यादा से ज्यादा विकास कार्यों में उपयोग हो रहा है।

यहां लाइव देखें अंतरिम बजट 2024: 

  • केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार सुबह बजट टैबलेट के साथ संसद भवन पहुंची। इस दौरान उनकी टीम के सदस्य भी साथ मौजूद नजर आए।

  • अंतरिम बजट पेश करने से पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार सुबह राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू से मिलने पहुंची। राष्ट्रपति ने केंद्रीय वित्त मंत्री को बजट का हलवा खिलाया। इस दौरान सीतारमण के साथ केंद्रीय मंत्री डॉ भगवत किशनराव कराड, पंकज चौधरी और वित्त मंत्री के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। 

  • केंद्रीय मंत्री दर्शना जरदोश ने कहा कि यह एक अंतरिम बजट है। 2024 का लोकसभा चुनाव के बाद पूर्ण बजट पेश किया।

  • कैबिनेट की बैठक में अंतरिम बजट को मंजूरी दी गई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बजट सबके लिए अच्छा होगा। 

पिछले बजट में क्या था खास?
वित्त मंत्री सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 में महिलाओं, युवाओं और सीनियर सिटीजन्स का पूरा ध्यान रखा था। इस बजट में 9 साल बाद टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान किया गया। सीतारमण ने इस दौरान अपना सबसे छोटा बजट भाषण पढ़ा था। इसके बाद वित्त वर्ष 2023-24 में उन्होंने सिर्फ 87 मिनट का भाषण पढ़ा था। सीतारमण का आम बजट 2021 के दौरान पढ़ा गया भाषण संसदीय इतिहास का सबसे लंबा बजट भाषण है, जो 2 घंटे 40 मिनट में खत्म हुआ था। उनसे पहले यह रिकॉर्ड दिवंगत अरुण जेटली के नाम था। 

आजादी के बाद कितनी बार बजट पेश हुआ?
भारतीय इतिहास में 1947 से लेकर 2023 तक कुल 91 बार आम बजट पेश हुआ है। इसमें 67 वार्षिक बजट, 14 अंतरिम बजट और 4 मौकों पर विशेष बजट शामिल हैं। मोरारजी देसाई ने सबसे ज्यादा 10 बार आम बजट पेश किया। इसके बाद पी चिदंबरम (9 बार), प्रणव मुखर्जी (9 बार), यशवंत राव चह्वाण (7 बार), सीडी देशमुख (7 बार), यशवंत सिन्हा (7 बार), मनमोहन सिंह (6 बार) और टीटी कृष्णमाचारी (6 बार) का नाम आता है।

Tags:    

Similar News