New GST Impact: हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम होंगे सस्ते लेकिन कितना फायदा मिलेगा? जान लें

New GST Impact: केंद्र सरकार ने जीएसटी में सुधार का फैसला लिया गया है। इसका असर हर तरह के इंश्योरेंस पर भी पड़ेगा। खासकर हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम 5 से 15 फीसदी तक सस्ता हो सकता है। लेकिन, कंपनियां लागत बढ़ा सकती हैं।

Updated On 2025-08-23 14:50:00 IST

जीएसटी में सुधार के बाद लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कम होंगे। 

New GST Impact: भारत सरकार की ओर से इनडायरेक्ट टैक्स ढांचे में सुधार की कवायद हो रही। इसके तहत गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स में बड़े स्तर पर सुधार होने वाले हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले के प्राचीर से इसका ऐलान किया है। जल्द ही टैक्स स्ट्रक्चर को सिर्फ दो स्लैब 5 और 18 फीसदी में बदलने की सिफारिश को जीएसटी काउंसिल की मंजूरी मिल सकती है।

इस बदलाव से खपत में इजाफा होने की पूरी संभावना है। इस बीच, बुधवार और गुरुवार को जीएसटी काउंसिल ऑफ मिनिस्टर की बैठक में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को टैक्स से छूट देने पर भी सहमति बनी है।

ये प्रीमियम वर्तमान में 18% के स्लैब में आते हैं। अब सवाल ये उठता है कि जीएसटी सुधार के बाद हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम कितना कम होंगे? दुर्भाग्य से, यह कोई आसान गणना नहीं है। और कई तरह की कैलकुलेशन चल रही हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, क्योंकि प्रीमियम को GST से छूट मिलनी तय है इसलिए बीमा कंपनियां अब इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं उठा पाएंगी।

हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम कितना कम होगा?

इसका मतलब है कि वे ग्राहकों पर बढ़े हुए प्रीमियम के रूप में लागत का बोझ डाल सकती हैं। इसलिए, प्रीमियम में गिरावट तो आएगी, लेकिन अलग-अलग अनुमानों के अनुसार, यह 5% से 15% के बीच ही रह सकती है।

टर्म इंश्योरेंस किसके लिए जरूरी?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये आपके लिए अच्छी खबर तो है लेकिन सिर्फ छूट का इंतजार करना समझदारी नहीं होगी। मेडिकल खर्च तेजी से बढ़ रहे और हेल्थ इंश्योरेंस अब हर आदमी के लिए जरूरी हो चला है। सिर्फ कॉरपोरेट पॉलिसी पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता। जीवन बीमा के मामले में भी तस्वीर साफ है, ये सभी को नहीं लेना चाहिए।

अगर आपके परिवार की आर्थिक जरूरतें आपकी इनकम पर पूरी तरह निर्भर है, तो उस सूरत में टर्म इंश्योरेंस लेना जरूरी है। एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि हर कुछ साल में इस बात का आकलन करना चाहिए कि परिवार को आपकी गैरहाजिरी में कितने पैसों की जरूरत होगी और उस हिसाब से ही कवरेज तय करना चाहिए।

अक्सर बैंक कर्मचारी आपको बचत के नाम पर बीमा पॉलिसी बेचने की कोशिश करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी पॉलिसी को खरीदने से बचना चाहिए। अगर आपको बीमा लेना है तो वह शुद्ध टर्म इंश्योरेंस होना चाहिए न कि निवेश से जुड़ा कोई प्रोडक्ट।

सरकार का जीएसटी में सुधार का फैसला लोगों के लिए राहत की खबर है लेकिन इंश्योरेंस लेना का सही वक्त अब है न कि बाद में। मेडिकल खर्च और आर्थिक सुरक्षा के लिए हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस हर परिवार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर होनी चाहिए।

(प्रियंका कुमारी)

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