Provident Fund: नौकरी बदल रहे हैं तो PF से जुड़ी 5 बातें जान लें? लापरवाही से हो सकता है नुकसान
Provident Fund: पीएफ यानी प्रॉविडेंट फंड किसी भी नौकरी पेशा के लिए बेहद अहम असेट होता है। जानते हैं इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
प्रॉविडेंट फंड से जुड़ी ज़रूरी बातें।
Provident Fund: आज की कॉर्पोरेट दुनिया में प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए जॉब स्विच करना आम हो गया है। बेहतर पैकेज, काम का माहौल या नई स्किल्स सीखने की चाह में लोग अक्सर कंपनियां बदलते हैं। लेकिन इस बदलाव के बीच Employees’ Provident Fund (EPF) यानी पीएफ से जुड़ी ज़िम्मेदारियां भूल जाना भारी पड़ सकता है।
PF सिर्फ सेविंग्स नहीं, बल्कि रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी का फाइनेंशियल बैकअप है। EPFO के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 27 करोड़ PF अकाउंट्स एक्टिव हैं, लेकिन हर साल लाखों कर्मचारी PF ट्रांसफर न कराने या गलत जानकारी के कारण फंड क्लेम नहीं कर पाते। इसलिए नौकरी बदलते समय PF से जुड़ी कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है।
UAN को न भूलें — ये आपका PF पहचान पत्र है
हर कर्मचारी को EPFO एक यूनिक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) देता है, जो पूरी नौकरी के दौरान वही रहता है। नई कंपनी में जॉइन करते वक्त UAN देना न भूलें। अगर HR नया UAN बना दे, तो आप उसे पुराने से मर्ज कराने के लिए ऑनलाइन रिक्वेस्ट डाल सकते हैं।
PF ट्रांसफर ऑनलाइन ही करें — प्रक्रिया आसान है
नौकरी बदलते ही आप EPFO पोर्टल (https://unifiedportal-mem.epfindia.gov.in) पर लॉगिन कर PF ट्रांसफर की ऑनलाइन रिक्वेस्ट कर सकते हैं। इसके लिए दोनों कंपनियों के PF कोड, आपकी DOJ (Date of Joining) और DOE (Date of Exit) सही होना जरूरी है।
KYC अपडेट रखें — वरना अटक सकता है पैसा
आधार, पैन और बैंक डिटेल्स का KYC पूरा और सही होना बेहद जरूरी है। अधूरी KYC की वजह से आपका PF ट्रांसफर या क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
‘Date of Exit’ ज़रूर चेक करें
अक्सर पुराने एम्प्लॉयर PF पोर्टल पर आपकी नौकरी छोड़ने की तारीख अपडेट नहीं करते। बिना DOE के आप ना तो ट्रांसफर कर सकते हैं, ना क्लेम। UAN पोर्टल पर जाकर "Service History" से इसे चेक करें।
फुल एंड फाइनल PF निकालना जरूरी नहीं
नौकरी छोड़ने के 2 महीने बाद आप PF विड्रॉ कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने से ब्याज मिलना बंद हो जाता है। अगर आप 5 साल से कम समय में PF निकालते हैं, तो टैक्स भी देना पड़ता है।