छोटी कार दुर्घटना: क्लेम करें या खुद उठाएं खर्च? जानिए सही फैसला क्या

car insurance claim: कार पर मामूली स्क्रैच या डेंट की मरम्मत पर क्लेम करना आपके नो-क्लेम बोनस को नुकसान पहुंचा सकता है। बार-बार छोटे क्लेम करने से प्रीमियम बढ़ जाते हैं और भविष्य की सेविंग पर असर पड़ता है।

Updated On 2025-09-22 19:00:00 IST

कार में मामूली टूट-फूट का क्लेम करना चाहिए या नहीं, जानें। 

car insurance claim: आपकी कार को छोटा सा डेंट, खरोंच या मामूली बंपर रिपेयर करना हो तो इसका खर्च आपकी बीमा पॉलिसी के डिडक्टिबल के बराबर या उससे भी कम होता है। ऐसे हालात में क्लेम करना सही नहीं माना जाता है। वजह यह है कि छोटे क्लेम करने से आपका नो-क्लेम बोनस टूट जाता है। नो क्लेम बोनस हर साल प्रीमियम पर छूट देता है और यह छूट 20 से 50 फीसदी तक हो सकती है।

मान लीजिए आपने एक छोटे स्क्रैच पर क्लेम किया और आपका नो क्लेम बोनस खत्म हो गया। आने वाले सालों में आपको बीमा प्रीमियम में हजारों रुपये ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं, जबकि मरम्मत का खर्च शायद कुछ ही हजार था। यही कारण है कि छोटे-मोटे रिपेयर जेब से करवाना लंबे समय में फायदेमंद रहता है।

कब करें बीमा क्लेम?

कुछ हालात में बीमा क्लेम करना जरूरी और सही होता है। जैसे हेडलाइट, विंडशील्ड या नई गाड़ियों के सेंसर खराब हो जाएं और मरम्मत का खर्च ज्यादा हो। थर्ड-पार्टी गाड़ी या संपत्ति को नुकसान पहुंचे। इस स्थिति में थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस क्लेम करना कानूनन जरूरी होता है।

बीमा कंपनी को हादसे की जानकारी देना जरूरी

भले ही आप क्लेम न करने का फैसला लें, फिर भी बीमा कंपनी को हादसे की जानकारी देना बेहतर होता है। अगर आपने रिपोर्ट नहीं किया और बाद में कोई और एक्सीडेंट हो गया, तो कंपनी तर्क दे सकती है कि आपकी गाड़ी पहले से ही डैमेज थी। ऐसे विवादों से बचने के लिए हर घटना की सूचना देना सही रहता है।

आखिरकार फैसला आपकी प्राथमिकता पर टिका होता है। अगर खर्च संभालना आसान है और आप अपना बीमा रिकॉर्ड साफ रखना चाहते हैं तो छोटी-मोटी टूट-फूट में जेब से खर्च करना बेहतर है। लेकिन अगर आपको मानसिक सुकून बीमा क्लेम से मिलता है, तो ये भी गलत नहीं है। असली बात यही है कि आप छोटे खर्च को लंबी अवधि की बचत से तौलकर फैसला लें।

(प्रियंका कुमारी)

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