दिसंबर में मिड- और स्मॉल-कैप स्टॉक्स में बड़ी गिरावट क्यों आई, निवेशकों के लिए आगे क्या हैं संकेत ?

दिसंबर में मिड और स्मॉल-कैप स्टॉक्स में तेज गिरावट क्यों आई? क्या यह बड़ा करेक्शन है या लंबी रैली से पहले का ब्रेक? निवेशकों के लिए क्या हैं संकेत? पढ़ें विस्तृत लेकिन सरल विश्लेषण।

Updated On 2025-12-12 12:15:00 IST

(एपी सिंह) मुंबई। दिसंबर की शुरुआत से ही मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में जोरदार गिरावट ने निवेशकों को चौंका दिया है। महीनों तक लगातार शानदार रिटर्न देने वाली ये कैटेगरी अब दबाव में हैं। बीएसई मिडकैप इंडेक्स इस महीने 2.7% गिर चुका है-फरवरी 2025 के बाद सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट। स्मॉलकैप इंडेक्स भी 2.8% टूटा है, जो लगातार दूसरा कमजोर महीना है। इसके मुकाबले सेंसेक्स और निफ्टी सिर्फ 1% नीचे हैं, जिससे साफ झलकता है कि करेक्शन मुख्य रूप से broader market में हो रहा है। दिलचस्प यह है कि गिरावट तब आई है जब कई सेक्टर्स की कमाई सुधर रही है और कंपनियों की बैलेंस शीट भी मजबूत है।

विशेषज्ञ इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण बताते हैं रिटेल निवेशकों की थकान। पिछले एक साल में मिड- और स्मॉल-कैप स्टॉक्स का रिटर्न सीमित रहा है, जबकि इससे पहले इन शेयरों ने धमाकेदार रैली दिखाई थी। साथ ही मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी (MTF) की पोजीशन कटने से बेचने का दबाव और बढ़ गया। नवंबर के अंत तक बड़े शेयरों और छोटे शेयरों के रिटर्न में लगभग 18% का अंतर बन चुका था, जो 2008 के बाद कम ही देखने को मिलता है। ऐसा divergence तब दिखता है जब छोटे स्टॉक्स की कमाई उतनी मजबूत न हो कि वे पहले जैसी तेज रफ्तार को संभाल सकें।

सबसे महत्वपूर्ण कारण है वैल्यूएशन का बहुत महंगा हो जाना है। मिडकैप इंडेक्स 25.23 गुना फॉरवर्ड अर्निंग्स पर ट्रेड कर रहा है, जबकि इसका 10 साल का औसत 23.29 गुना है। स्मॉलकैप इंडेक्स 22.6 गुना के वैल्यूएशन पर है, जबकि इसकी लंबी अवधि का औसत सिर्फ 18.97 गुना रहा है। यानी कीमतें बहुत ऊपर थीं और करेक्शन होना जरूरी था। वैश्विक अनिश्चितता, फेड की टिप्पणियां, जोखिम से बचने की प्रवृत्ति और विदेशी निवेशकों की सतर्कता ने भी इस गिरावट को तेज किया है। टेक्निकल चार्ट भी कमजोरी की ओर इशारा कर रहे हैं-दोनों इंडेक्स अपने महत्वपूर्ण मूविंग एवरेज के नीचे फिसल चुके हैं। स्मॉलकैप में RSI ओवरसोल्ड स्तर तक पहुंच चुका है, लेकिन अभी ट्रेंड रिवर्सल के पक्के संकेत नहीं हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 की शुरुआत बाजार के लिए कंसोलिडेशन का समय होगा। जैसे-जैसे वैश्विक संकेत स्थिर होंगे और घरेलू कमाई में सुधार जारी रहेगा, वैसे-वैसे बाजार में फिर तेजी लौट सकती है। हालांकि शॉर्ट टर्म में उतार-चढ़ाव बना रहेगा, लेकिन यह करेक्शन बाजार को स्वस्थ बना रहा है। वैल्यूएशन अब अधिक संतुलित हो रहे हैं और यह स्थिति उन निवेशकों के लिए अवसर बन सकती है जो लंबी अवधि के लिए फंडामेंटली मजबूत मिड-कैप कंपनियों में निवेश तलाश रहे हैं। चौतरफा रैली की उम्मीद जल्द नहीं दिखती, लेकिन चुनिंदा, मजबूत और कर्ज-रहित कंपनियों में धैर्य से निवेश करने वाले निवेशक आने वाले समय में अच्छे रिटर्न कमा सकते हैं। यह गिरावट घबराने की नहीं, बल्कि समझदारी और चयन की परीक्षा है।

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