LIC और सरकार IDBI बैंक में बेचेगी 60.72% स्टेक, डील में कैश ऑफर के साथ आगे निकली फेयरफैक्स
IDBI बैंक में सरकार और LIC की 60.72% हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में Fairfax सबसे आगे निकल गई है। करीब ₹1 लाख करोड़ की इस मेगा डील में Kotak Mahindra Bank भी मुकाबले में है। पढ़ें पूरी जानकारी कि कैसे यह भारत की सबसे बड़ी बैंकिंग निजीकरण डील बन सकती है।
(एपी सिंह) नई दिल्ली। टोरंटो स्थित फेयरफैक्स फाइनेंशियल, IDBI बैंक में सरकार और LIC की संयुक्त 60.72% हिस्सेदारी खरीदने की बोली लगाने में सबसे आगे निकल गई है। यह वह बड़ी डील है जिसकी भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में लंबे समय से चर्चा हो रही है। सरकार और LIC, दोनों मिलकर बैंक में अपनी नियंत्रक हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं, जिसकी मौजूदा बाजार कीमत लगभग 7 अरब डॉलर (₹1.02 लाख करोड़ से अधिक) है। इस हिस्सेदारी को खरीदने की रेस में फेयरफैक्स और कोटक महिंद्रा बैंक दो सबसे मजबूत दावेदार बने हुए हैं। सूत्रों के अनुसार भारतीय–कनाडाई बिलियनेयर प्रेम वत्स के संचालन वाली फेयरफैक्स फाइनेंशियल, बैंक की वर्तमान बाजार कीमत के आधार पर पूरी तरह नकद ऑफर देने पर विचार कर रही है।
उसकी यह योजना बोली प्रक्रिया में और आकर्षक बनाती है, क्योंकि सरकार आमतौर पर जटिल स्ट्रक्चर्ड डील्स की तुलना में सीधे और पारदर्शी कैश ऑफर को प्राथमिकता देती है। इसके साथ ही कोटक महिंद्रा बैंक भी इस रेस में शामिल है और वह कैश व शेयरों के संयोजन के साथ बोली लगाने पर विचार कर रहा है। IDBI बैंक शेयर पिछले तीन वर्षों में लगभग तीन गुना बढ़ चुके हैं। निवेशकों का भरोसा बढ़ने के कारण बैंक का मार्केट कैप अब ₹1 लाख करोड़ के आसपास है, जिसने बोलीदाताओं की रुचि बढ़ा दी है। सरकार द्वारा निर्धारित बिड सबमिशन की अंतिम तिथि दिसंबर के अंत तक है, लेकिन यह प्रक्रिया जनवरी की शुरुआत तक भी खिंच सकती है।
इस डील का तीसरा संभावित दावेदार Emirates NBD पहले दौड़ में था, लेकिन हाल ही में RBL बैंक में हिस्सेदारी खरीदने की अपनी अलग बड़ी डील के बाद वह इस प्रक्रिया में अपनी भागीदारी पर पुनर्विचार कर रहा है। फेयरफैक्स और कोटक दोनों ही पहले से RBI की fit and proper कसौटी पर खरे उतर चुके हैं, जो किसी भी बैंक में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी खरीदने के लिए अनिवार्य है। फेयरफैक्स के पास पहले से ही CSB बैंक में नियंत्रक हिस्सेदारी है, जिसे RBI ने 2018 में मंजूरी दी थी। डिजिटल ड्यू डिलिजेंस के लिए बोलीदाताओं को पिछले वर्ष डेटा रूम की पहुंच दी गई थी।
साथ ही, सरकार और LIC ने एक ड्राफ्ट शेयर परचेज एग्रीमेंट (SPA) भी साझा किया था, ताकि संभावित खरीदार खरीद प्रक्रिया, शर्तों और दायित्वों को समझ सकें। कुल मिलाकर, इस डील का अर्थ यह है कि भारत जल्द ही अपने प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से एक IDBI बैंक में निजी निवेशक को नियंत्रक हिस्सेदारी सौंपने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला है। फेयरफैक्स यदि यह सौदा जीतता है, तो यह भारत के बैंकिंग इतिहास की सबसे बड़ी निजीकरण डील में से एक होगी। यह बैंक के लिए नई रणनीतिक दिशा, पूंजी सुदृढ़ीकरण और बेहतर गवर्नेंस लाने का बड़ा अवसर है, जबकि सरकार के लिए यह निजीकरण की गति तेज करने और राजस्व बढ़ाने का महत्वपूर्ण माध्यम साबित होगा।