रिटायरमेंट में नियमित कमाई का आसान तरीका: कैसे SWP से बन सकती है हर महीने फिक्स इनकम? जानें पूरा प्रोसेस
SWP रिटायरमेंट में नियमित और लचीली मासिक आय का आधुनिक विकल्प है। सही विदड्रॉल रेट पर पूंजी 25–30 सालों तक सुरक्षित चल सकती है। टैक्स कम लगने से यह फिक्स्ड इनकम की तुलना में अधिक फायदेमंद साबित होता है।
कैसे अपना सिस्टेमेटिक विड्रॉल बनाएं। किन बातों का रखें ध्यान।
SWP Plan: रिटायरमेंट के बाद आमतौर पर लोग पेंशन,फिक्स्ड डिपॉज़िट का ब्याज या किराये की कमाई को ही भरोसेमंद आय मानते हैं लेकिन म्यूचुअल फंड का सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान चुपचाप रिटायरमेंट इनकम का एक लचीला और मजबूत विकल्प बनकर सामने आया है। यह प्लान आपको हर महीने तय रकम निकालने की सुविधा देता है जबकि बाकी पूंजी निवेशित रहती है और समय के साथ बढ़ती भी है।
सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान,एसआईपी का उल्टा है-जहां SIP में आप हर महीने पैसे जोड़ते हैं,वहीं एसडब्ल्यूपी में आप हर महीने एक निश्चित राशि निकालते हैं। रिटायरमेंट के बाद इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से राशि चुन सकते हैं। किसी तरह का लॉक-इन नहीं है,और न ही किसी बदलाव पर पेनल्टी लगती है। फंड मैनेजर आपकी निवेशित रकम को आगे बढ़ाते रहते हैं और बाजार में बढ़त मिलने पर आपकी पूंजी पर दबाव भी कम होता है। इसीलिए लंबे समय में इक्विटी-हाईब्रिड और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स ने फिक्स्ड इनकम की तुलना में अधिक टिकाऊ रिटर्न दिए हैं।
5 फीसदी विड्रॉल रखते तो पैसा 25 साल चल सकता
रिटायरमेंट आय में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि पैसा कितने साल चलेगा। वित्त विशेषज्ञों के अनुसार,सुरक्षित SWP विदड्रॉल रेट 5 से 7 प्रतिशत सालाना माना जाता है। अगर आप 4 से 5 प्रतिशत की विड्रॉल रेट रखते हैं,तो आपकी पूंजी 25 से 30 साल तक चल सकती है। बशर्ते बाजार लंबे समय के औसत के अनुसार बर्ताव करे।
SWP को अपनी जरूरतों के हिसाब से प्लान करें
कंजर्वेटिव फंड कम विदड्रॉल सपोर्ट करते हैं जबकि बैलेंस्ड एडवांटेज फंड मार्केट के हिसाब से एसेट बदलते हैं इसलिए वे थोड़ी अधिक विड्रॉल रेट संभाल सकते हैं। ज्यादा राशि निकालना शुरुआती सालों में अच्छा लग सकता है लेकिन लंबे समय तक बाजार कमजोर रहने पर यह पूंजी तेजी से खत्म कर सकता है। इसलिए SWP को हमेशा पेंशन, किराये और अन्य आय को ध्यान में रखते हुए अपनी वास्तविक मासिक जरूरतों के अनुसार सेट करना चाहिए।
SWP पर टैक्स को लेकर भी कई भ्रम हैं। सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान को इनकम नहीं माना जाता, बल्कि यह आपके यूनिट्स की रिडेम्पशन होती है। टैक्स सिर्फ उस हिस्से पर लगता है,जो कैपिटल गेन माना जाता है। इक्विटी फंड में एक साल बाद की निकासी पर 10 प्रतिशत टैक्स (छूट सीमा के बाद) लगता है,जबकि डेट फंड्स में टैक्स होल्डिंग पीरियड और इंडेक्सेशन के नियमों पर निर्भर करता है।
यह संरचना फिक्स्ड डिपॉज़िट जैसे ब्याज-टैक्स आधारित उत्पादों की तुलना में कम टैक्स देती है,जिससे SWP का पैसा ज्यादा समय तक चल पाता है। लंबे समय में यही टैक्स-अंतर आपकी रिटायरमेंट योजना को अधिक टिकाऊ बनाता है।
SWP के लिए मासिक खर्च की गणना जरूरी
एक सही SWP प्लान बनाने के लिए सबसे पहले अपनी वास्तविक मासिक खर्च को कैलकुलेट करें फिर उसमें से पेंशन या किराये की आय घटा दें। जो राशि बचती है। वही SWP की जरूरत होती है। इसके बाद सुरक्षित विड्रॉल रेट के हिसाब से यह तय करें कि कुल कितना फंड चाहिए। पूरा पैसा एक ही फंड में न रखें-इसे 2–3 अलग जोखिम स्तर वाले फंड्स में बांटना बेहतर होता है। जब बाजार गिरता है,तब अस्थायी रूप से सुरक्षित फंड से निकासी करें और इक्विटी वाले फंड को रिकवर होने का समय दें। साल में एक बार SWP की समीक्षा करना भी महत्वपूर्ण है ताकि महंगाई, खर्च और बाजार की स्थिति के अनुसार बदलाव किए जा सकें।
SWP कोई जादुई प्रोडक्ट नहीं है लेकिन यह रिटायरमेंट प्लानिंग में एक अनोखा संतुलन प्रदान करता है-कैश फ्लो का नियंत्रण,पूंजी की वृद्धि का मौका और टैक्स में बचत। अगर आपका विड्रॉल रेट आपकी जीवनशैली और भविष्य की जरूरतों दोनों को सुरक्षित रखता है, तो आपकी रिटायरमेंट योजना मजबूत रास्ते पर है।
(प्रियंका कुमारी)