इजरायल-ईरान तनाव: कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं; शेयर बाजार पर भी असर
इजरायल द्वारा ईरान पर हमले के बाद तेल बाजार में उथल-पुथल, ब्रेंट क्रूड की कीमत 9% बढ़कर 78 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंची। जानिए इससे वैश्विक आपूर्ति और भारत पर क्या असर पड़ेगा।
crude oil price hike Stok Market
Israel-Iran Tension: मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव एक बार फिर चरम पर है। इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु संयंत्रों और मिसाइल फैक्ट्रियों पर किए गए हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 9% से अधिक की तेजी दर्ज की गई है। शुक्रवार को बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 6 डॉलर की उछाल के साथ 78 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया, जो पिछले 5 महीनों का उच्चतम स्तर है।
इजरायल में इमरजेंसी घोषित
इजरायल ने हमलों के बाद देश में इमरजेंसी घोषित कर दी है, जबकि ईरान की संभावित जवाबी कार्रवाई की आशंका जताई जा रही है। अमेरिका ने इस कार्रवाई में शामिल होने से इनकार किया है, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यह टकराव बड़े क्षेत्रीय युद्ध की चिंगारी बन सकता है।
दुनियाभर में प्रभावित होगी तेल आपूर्ति
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संघर्ष से वैश्विक तेल आपूर्ति पर असर पड़ सकता है। एमके ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान प्रतिदिन 3.3 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है। इसमें से 1.5 मिलियन बैरल निर्यात किया जाता है। चीन और तुर्की इसके प्रमुख आयातक हैं।
20 मिलियन बैरल कच्चा तेल रोजाना
ईरान, होर्मुज जलडमरूमध्य के पास स्थित है, जो दुनिया के सबसे अहम ऊर्जा व्यापार मार्गों में से एक है। इस जलमार्ग से प्रतिदिन 20 मिलियन बैरल से अधिक कच्चा तेल भेजा जाता है। सऊदी अरब और यूएई जैसे तेल उत्पादक देश भी इस रूट पर निर्भर हैं। अतीत में ईरान इस मार्ग को बंद करने की चेतावनी दे चुका है।
भारत नहीं मंगाता ईरानी तेल
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के चलते चीन ने ईरानी तेल पर पश्चिमी प्रतिबंधों का खुला उल्लंघन किया था, हालांकि हाल के महीनों में इसमें कुछ कमी देखी गई है। भारत वर्तमान में ईरानी तेल का आयात नहीं करता।
इस बार हालात ज्यादा संवेदनशील
पहले भी दोनों देशों के बीच टकराव हुआ था, लेकिन कुछ समय बाद ही शांति कायम हो गई थी, लेकिन इस बार हालात ज्यादा संवेदनशील हैं। तेल बाजार में भारी अस्थिरता रहने की आशंका जताई जा रही है।
इजरायल-ईरान संघर्ष के संभावित असर
- पेट्रोल-डीजल: इजरायल-ईरान संघर्ष के चलते ब्रेंट क्रूड की कीमतें 9% बढ़कर 78 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई हैं। कच्चे तेल की कीमतों में उछाल जारी रहा तो पेट्रोल-डीजल महंगा होगा।
- शेयर बाजार: शॉर्ट टर्म में शेयर मार्केट में गिरावट देखी जा सकती है।
- महंगाई: तेल महंगा होने से भारत का चालू खाता घाटा (CAD) बढ़ेगा। साथ ही रुपए पर दबाव आएगा। इससे महंगाई बढ़ सकती है। जो कि निवेशकों को चिंता का विषय है।
- बैंकिंग, ऑटो, एविएशन और FMCG जैसे सेक्टर सर्वाधिक प्रभावित तब होते हैं, जब इनपुट कॉस्ट या ट्रांसपोर्ट महंगा होता है। FII (विदेशी निवेशक) अक्सर ऐसे संकटों में पैसा निकालते हैं, जिससे बाजार में गिरावट आती है।
क्यों नहीं बढ़े अभी तक?
भारत में तेल की कीमतें कई बार राजनीतिक रूप से स्थिर रखी जाती हैं। खासकर चुनावी मौसम में। शुरू में तेल कंपनियां लागत को खुद वहन करती हैं या मूल्य समायोजन में देरी करती हैं।
कौन से सेक्टर प्रभावित होंगे
सेक्टर | असर |
ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) | घाटे में जा सकती हैं |
एविएशन (Indigo, SpiceJet) | फ्यूल कॉस्ट बढ़ेगा |
ऑटो ट्रांसपोर्ट | महंगा, मार्जिन पर असर |
FMCG | लॉजिस्टिक कॉस्ट बढ़ेगी |
PSU ऑयल कंपनियां (ONGC, OIL) | शुरुआती लाभ, फिर दबाव |
इजरायल-ईरान संघर्ष का भारत में असर
भारत चूंकि अपनी ज़रूरत का 85% कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल महंगा होना भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर सीधा असर डाल सकता है। तेल महंगा होने से महंगाई बढ़ेगी और डिमांड घटेगी। इसका सीधा असर लोगों के रोजगार और व्यापार-व्यवसाय पर भी पड़ सकता है।