Iran Israel: भारत की मुसीबत बढ़ा सकती है ईरान-इज़राइल की लड़ाई, तेल के अलावा इन चीजों के दाम छू सकते हैं आसमान

Iran Israel: ईरान-इज़राइल के बीच जारी लड़ाई का असर दुनिया के अन्य देशों पर भी परोक्ष रूप से पड़ेगा। भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा। आइए जानते हैं अगर ये लड़ाई भीषणतम होकर लंबी खिंचती है तो भारत को क्या नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।

Updated On 2025-06-17 16:51:00 IST

ईरान-इज़राइल की लड़ाई का भारत पर असर।

Iran Israel Conflict: मध्य-पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच टकराव फिर से तेज हो गया है। दोनों पक्षों की ओर से हमले और जवाबी कार्रवाई हो रही है, जिससे न केवल स्थानीय नागरिकों की जान जा रही है बल्कि पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ रही है। इस बढ़ते तनाव का सीधा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है, खासकर उन देशों पर जो इस क्षेत्र से महत्वपूर्ण वस्तुओं का आयात करते हैं। भारत भी ऐसे देशों में शामिल है, जहां इस टकराव के परिणाम गंभीर रूप से महसूस किए जा सकते हैं।

भारत की अर्थव्यवस्था पर मध्य-पूर्व का बड़ा प्रभाव होता है क्योंकि यह क्षेत्र भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं का एक बड़ा स्रोत है। ईरान-इजरायल के बीच बढ़ता संघर्ष भारत के लिए न केवल तेल की कीमतों में उछाल का कारण बन सकता है बल्कि इससे महंगाई और व्यापारिक संबंधों में भी बाधाएं आ सकती हैं। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि इस टकराव के भारत पर क्या-क्या प्रभाव हो सकते हैं।

तेल की बढ़ती कीमतें भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा

भारत अपनी अधिकांश तेल जरूरतों का लगभग 85 फीसदी हिस्सा आयात करता है, जिसमें मध्य-पूर्व की भूमिका अहम है। अगर ईरान-इजरायल टकराव गहराया और ‘स्ट्रेट ऑफ होरमुज़’ जैसे प्रमुख समुद्री मार्ग बंद हो गए, तो तेल की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं। इराक के विदेश मंत्री ने चेतावनी दी है कि इस मार्ग के बंद होने से तेल की कीमतें 200 से 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। इससे भारत में पेट्रोल, डीजल, और घरेलू गैस सहित कई आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि होगी, जो आम जनता की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर डालेगा।

महंगाई और आर्थिक विकास पर प्रभाव

तेल की कीमतों में वृद्धि सीधे महंगाई को बढ़ावा देती है। इससे न केवल आम लोगों की खरीद शक्ति कम होती है, बल्कि सरकार का सब्सिडी खर्च भी बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, तेल की कीमतों में हर 10 डॉलर की बढ़ोतरी भारत की जीडीपी ग्रोथ को लगभग 0.3 प्रतिशत तक प्रभावित कर सकती है। महंगाई बढ़ने से आर्थिक विकास की गति धीमी पड़ सकती है, जिससे रोजगार और निवेश दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

कंपनियों और उद्योगों पर असर

तेल की बढ़ती कीमतों का असर कई बड़े उद्योगों पर भी पड़ेगा। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), बीपीसीएल, एचपीसीएल जैसी कंपनियों की कमाई तेल की कीमतों से प्रभावित होगी। इसके अलावा, पेंट, केमिकल, उर्वरक, और वाहन उद्योग भी महंगाई का सामना करेंगे क्योंकि इनके उत्पादन में तेल आधारित सामग्री का उपयोग होता है। एयरलाइन कंपनियों को भी ईंधन की बढ़ी कीमतों से नुकसान होगा, जिससे हवाई यात्रा महंगी हो सकती है।

भारत का व्यापार प्रभावित हो सकता है

भारत ईरान और इजरायल दोनों के साथ व्यापार करता है। अगर इस टकराव का दायरा बढ़ा, तो माल की आवाजाही बाधित हो सकती है। जहाजों को मार्ग बदलने पड़ सकते हैं और बीमा खर्च बढ़ने की संभावना है। इससे भारतीय निर्यातकों और आयातकों को आर्थिक नुकसान होगा। खासकर दवाइयों और कपड़ों के व्यापार पर इसका नकारात्मक असर होगा क्योंकि मध्य-पूर्व के बाजार महत्वपूर्ण हैं।

भारत की कंपनियों के लिए संभावित चुनौतियां

भारत की बड़ी टेक कंपनियां जैसे TCS, Wipro, Infosys और दवा कंपनी Sun Pharma के इजरायल में कार्यालय हैं। यदि संघर्ष लंबा चला तो उनके कर्मचारियों और कारोबार पर असर पड़ सकता है। कुछ कंपनियों ने पहले से ही अपने ऑपरेशन को भारत में शिफ्ट करने की योजना बनानी शुरू कर दी है ताकि अनिश्चितता के बीच कारोबार जारी रखा जा सके।

मध्य-पूर्व में बढ़ता तनाव भारत के लिए न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक चुनौतियां भी लेकर आ सकता है। सरकार और वित्त मंत्रालय इस पर निगरानी बनाए हुए हैं और स्थिति बिगड़ने पर समय रहते कदम उठाने की तैयारी में हैं। ऐसे समय में ऊर्जा भंडारों को मजबूत करना और वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत तलाशना आवश्यक हो जाता है ताकि भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा जा सके। साथ ही, व्यापारिक पार्टनर्स के साथ सहयोग बढ़ाकर संभावित जोखिमों को कम करने पर भी ध्यान देना होगा।

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