IPO Market: इस साल औसत लिस्टिंग-डे रिटर्न रहा सिर्फ 9.4%, यह 2018 के बाद सबसे कम

भारत के IPO बाजार ने 18 साल बाद 100 का आंकड़ा पार किया, 1.6 लाख करोड़ जुटे। लेकिन लिस्टिंग-डे रिटर्न 2018 के बाद सबसे कम क्यों? जानिए वजह।

Updated On 2025-12-10 14:33:00 IST

IPO Market 2025

(एपी सिंह) मुंबई। भारत के IPO बाजार ने इस साल एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 2007 के बाद पहली बार IPO की संख्या 100 के आंकड़े को पार कर गई है। यह न सिर्फ बाजार में भारी गतिविधि का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे देश की कैपिटल मार्केट संरचना पिछले कुछ वर्षों में बेहद तेजी से विकसित हुई है। इस साल विभिन्न कंपनियों ने IPO के जरिए अब तक 1.6 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं, जो अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है। लेकिन इसके साथ ही एक दिलचस्प बदलाव भी देखने को मिला है-निवेशकों को लिस्टिंग के दिन मिलने वाले मुनाफे में कमी आ गई है।

IPO पहले ही दिन देते थे बेहतरीन रिटर्न

पहले जहां कई IPO पहले ही दिन बेहतरीन रिटर्न दे देते थे, इस साल औसत लिस्टिंग-डे रिटर्न सिर्फ 9.4% रहा है, जो 2018 के बाद सबसे कम है। इसका मतलब यह है कि बाजार में IPO की अधिकता ने निवेशकों के लिए त्वरित लाभ कमाना मुश्किल बना दिया है। जब सप्लाई ज्यादा होती है, तो निवेशकों के बीच पैसा बंट जाता है और हर IPO को भारी प्रीमियम नहीं मिल पाता। इसके बावजूद, भारत का IPO पाइपलाइन अभी भी काफी मजबूत है। Meesho और ICICI Prudential AMC जैसी बड़ी कंपनियों के आने से यह रफ्तार आगे भी जारी रहने की संभावना है।

दिसंबर में करीब 30,000 करोड़ के IPO

अकेले दिसंबर माह में करीब 30,000 करोड़ रुपए के IPO आने वाले हैं, जो इस साल की रिकॉर्ड-तोड़ रफ्तार को और मजबूत करेंगे। इस पूरे रुझान के पीछे कुछ प्रमुख कारण भी हैं। भारत में खुदरा निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ी है और मार्केट में उनकी सक्रियता ने IPO को बड़ी मजबूती दी है। इसके साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशक भी भारत के ग्रोथ आउटलुक और स्थिर नीतिगत माहौल के कारण IPO में सक्रिय रूप से पैसा लगा रहे हैं, भले ही वे सेकेंडरी मार्केट से शेयर बेच रहे हों। इससे कंपनियों को ऊंचे वैल्यूएशन पर भी फंड जुटाने में आसानी हुई है।

बाजार में स्थिरता की वजह से IPO में तेजी

PRIME Database के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्दिया के अनुसार, IPO में यह तेजी बाजार की स्थिरता लौटने की वजह से आई है। मार्च और अप्रैल में भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक टैरिफ विवाद के कारण बाजार में अस्थिरता बढ़ गई थी, लेकिन अब स्थिति सामान्य होने से कंपनियों को IPO लाने का सही माहौल मिला है। कुल मिलाकर, भारत ने IPO बाजार में जो रिकॉर्ड बनाया है, वह इसकी मजबूत आर्थिक स्थिति और बढ़ते निवेशक आधार का ही परिणाम है। हालांकि निवेशकों को पहले जैसी आसान कमाई अब नहीं मिल रही, लेकिन भारत का उभरता हुआ कैपिटल मार्केट आने वाले समय में और भी बड़े अवसर लेकर आ सकता है।

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