ITR Deduction: आईटीआर में गलत डिडक्शन दिखाना पड़ेगा भारी! इनकम टैक्स विभाग करता है ये कार्रवाई

ITR Deduction: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान गलत जानकारी देना भारी पड़ सकता है। जानते हैं विभाग ऐसी सूरत में क्या कार्रवाई कर सकता है।

Updated On 2025-06-26 15:05:00 IST
ITR में गलत जानकारी भरना पड़ेगा भारी।

ITR Deduction: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना हर टैक्सपेयर्स के लिए एक जरूरी जिम्मेदारी होती है। इसके ज़रिए व्यक्ति अपनी आय, कर योग्य आय, टैक्स भुगतान और डिडक्शन (छूट) की जानकारी सरकार को देता है। ITR भरते समय कई बार टैक्स बचाने के चक्कर में कुछ लोग जानबूझकर या अनजाने में फर्जी या गलत डिडक्शन का दावा कर देते हैं।

हालांकि, ऐसा करना आयकर कानून के तहत एक गंभीर गलती मानी जाती है। अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को किसी टैक्सपेयर्स के ITR में फर्जी या गलत डिडक्शन का पता चलता है, तो वह न सिर्फ उस डिडक्शन को रिजेक्ट कर सकता है, बल्कि संबंधित व्यक्ति के खिलाफ जुर्माना, ब्याज और यहां तक कि कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर सकता है।

गलत डिडक्शन का मतलब क्या होता है?

गलत डिडक्शन का अर्थ है ऐसी टैक्स छूट का दावा करना, जो वास्तव में व्यक्ति के लिए पात्र नहीं है। उदाहरण के लिए, सेक्शन 80C के तहत निवेश दिखाना जबकि असल में वह निवेश किया ही न गया हो, या मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम के नाम पर गलत खर्च को डिडक्शन के रूप में दिखाना। कई बार लोग पुराने डॉक्युमेंट्स या किसी और के दस्तावेजों का इस्तेमाल करके भी डिडक्शन का दावा करते हैं, जो कि टैक्स चोरी के दायरे में आता है।

इनकम टैक्स विभाग क्या कार्रवाई कर सकता है?

अगर असेसमेंट के दौरान इनकम टैक्स अधिकारी को शक होता है कि किसी डिडक्शन का दावा फर्जी है, तो वह संबंधित दस्तावेजों की मांग कर सकता है। अगर दस्तावेज सत्य नहीं पाए गए, तो विभाग उस डिडक्शन को नकार सकता है और टैक्स की पुनर्गणना कर सकता है। इसके साथ ही सेक्शन 270A के तहत टैक्सपेयर्स पर 50% तक की पेनल्टी लगाई जा सकती है। जानबूझकर गलत जानकारी देने पर यह पेनल्टी 200% तक भी जा सकती है।

कब हो सकती है कानूनी कार्रवाई?

अगर यह साबित हो जाए कि टैक्सपेयर्स ने जानबूझकर गलत जानकारी दी, तो आयकर विभाग सेक्शन 276C के तहत आपराधिक मामला दर्ज कर सकता है। इसमें टैक्स चोरी की राशि के आधार पर 3 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।

कैसे बचें ऐसी गलती से?

ITR भरते समय सिर्फ उन्हीं डिडक्शन का दावा करें, जिनके लिए आपके पास वैध दस्तावेज हों। हर क्लेम का प्रूफ तैयार रखें और जरूरत पड़े तो किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स एक्सपर्ट की मदद लें। याद रखें, थोड़ी सी लापरवाही आपको कानूनी संकट में डाल सकती है।

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