काम की बात: बारिश में कार पर गिर जाता है पेड़, तो क्या इंश्योरेंस पॉलिसी में होगा कवर? क्या है नियम

car insurance claim rules: बारिश में कई बार पेड़ कार पर गिर जाते हैं तो काफी नुकसान हो जाता है। ऐसे में क्या इंश्योरेंस कंपनी आपको क्लेम देगी। इसका नियम क्या है।

By :  Desk
Updated On 2025-08-07 16:35:00 IST
बारिश में अगर कार पर पेड़ गिर जाए तो क्या ये इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर होगा। 

car insurance claim rules:  इन दिनों भारत में मॉनसून सीजन चल रहा। देश के कई राज्य़ पानी-पानी हो गए हैं। कई बार बारिश के साथ तेज हवा भी चलती है। ऐसे में पेड़ उखड़ जाते हैं और अगर भारी बारिश या तूफ़ान के कारण उस पर पेड़ गिर जाता है, तो क्या बीमा पॉलिसी के तहत कवर होगा? इसे लेकर क्या है नियम। आइए जानते हैं। इसे लेकर एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं।

आपकी स्थिति में, जहाँ गाड़ी खुली जगह पर खड़ी है और तूफ़ान, भारी बारिश और बाढ़ जैसे मौसम संबंधी जोखिमों के संपर्क में है, एक कॉम्प्रिहेंसिव मोटर बीमा पॉलिसी सही रहती है। इस बीमा पॉलिसी के तहत, तूफ़ान, चक्रवात, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं और यहाँ तक कि इन आपदाओं के कारण गिरे पेड़ के कारण आपकी गाड़ी को हुए नुकसान को आमतौर पर पॉलिसी के 'ओन डैमेज' सेक्शन के तहत कवर किया जाता है।

इसलिए, अगर तेज़ हवाओं या भारी बारिश के कारण आपकी कार पर कोई पेड़ गिर जाता है, तो उससे हुए नुकसान की मरम्मत की लागत आमतौर पर पॉलिसी के नियमों और शर्तों के तहत, आपकी इंश्योरेंस कंपनी द्वारा चुकाई जाएगी। बीमा दावे में आमतौर पर विंडशील्ड, छत या बोनट जैसे पुर्जों की मरम्मत की लागत शामिल होती है, चाहे टक्कर के कारण कोई भी पुर्जा क्षतिग्रस्त हुआ हो।

डिप्रिशिएशन फैक्टर के बारे में भी पता होना चाहिए

हालांकि, अपने क्लेम में डिडक्शन वाले हिस्से के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है। यह वह राशि है जो आपको इंश्योरेंस कंपनी द्वारा शेष दावे का निपटान करने से पहले खुद चुकानी होगी। बदले जा रहे पुर्जों पर डिप्रिसिएशन फैक्टर भी लागू हो सकता है, बशर्ते आपने जीरो डिप्रिशिएशन ऐड-ऑन कवर न लिया हो, जो खास तौर से मानसून के मौसम में कंपनियां रिक्मेंड करती हैं।

बीमा कंपनी को घटना की फौरन जानकारी दें

क्लेम प्रोसेस में किसी तरह से अड़चन न आए, इसलिए आपको घटना के तुरंत बाद अपनी बीमा कंपनी को सूचित करना चाहिए। अधिकांश बीमा कंपनियों की एक समय सीमा होती है, आमतौर पर 24 से 72 घंटे, जिसके भीतर आपको नुकसान की सूचना देनी होती है। अपने क्लेम के समर्थन में नुकसान और आसपास के एरिया की साफ तस्वीरें और वीडिय़ो लेना भी जरूरी रहता है।

सर्वे पूरा होने से पहले गाड़ी को स्थानांतरित करने या मरम्मत शुरू करने से बचने की सलाह दी जाती है, जब तक कि अन्यथा निर्देश न दिया जाए। कुछ मामलों में, इंश्योरेंस कंपनी स्थानीय नगर निकाय या पुलिस से एक नोट जैसे दस्तावेज़ों की मांग कर सकती है, खासकर अगर नुकसान गंभीर है या सार्वजनिक संपत्ति से संबंधित है। बीमा कंपनी द्वारा नियुक्त एक सर्वेक्षक दावे को मंजूरी देने से पहले नुकसान की जांच करेगा।

एड ऑन फीचर्स ज्यादा सुरक्षा प्रदान करते

अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं जहां तूफान अक्सर आते हैं या मौसम काफी बदलता रहता है तो इंजन सुरक्षा कवर, रिटर्न टू इनवॉइस, ज़ीरो डेप्रिसिएशन कवर, या अधिक व्यापक ऐड-ऑन वी-पे जैसे ऐड-ऑन फीचर्स भी जरूर पॉलिसी में जोड़ना चाहिए, ये आपको अधिक सुरक्षा कवर देते हैं। ऐसे में आपकी जेब से खर्चा कम होगा। ये ऐड-ऑन आपको अधिक मानसिक शांति प्रदान करते हैं, खासकर मानसून के मौसम में जब ऐसी घटनाओं का जोखिम अधिक होता है।

(प्रियंका कुमारी)

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