Stock Market: अमेरिका के एक फैसले से दुनियाभर के बाजार झूमे, सेंसेक्स और निफ्टी में भी उछाल
फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती से शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी। सेंसेक्स 400 अंकों की उछाल के साथ 83,108 पर, निफ्टी 25,400 पार। जानें वैश्विक रुझान और भारत पर असर।
stock market today: भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को तेजी।
Federal Reserve Interest Rate Cut: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती से दुनियाभर के शेयर बाजारों में तेज़ी का माहौल है। इसका असर भारतीय स्टॉक मार्केट में भी देखने को मिल रहा है। गुरुवार (18 सितंबर 2025) को बीएसई सेंसेक्स 400 अंकों की तेज़ी के साथ 83,108.92 के स्तर पर पहुंच गया। वहीं, निफ्टी-50 ने 25,400 का स्तर पार कर लिया है।
विश्लेषकों का मानना है कि ब्याज दरों में कटौती की व्यापक रूप से उम्मीद थी। इस कदम को उभरते बाजारों के लिए सहायक माना जा रहा है। हालाँकि, भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में सुधार होने में अभी कुछ समय लग सकता है।
अमेरिका का डाउ जोंस
अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों (बेसिस पॉइंट्स) की कटौती की है। इससे यूएस का डाउ जोंस जहां 260 अंकों की बढ़त के साथ बंद हुआ, वहीं डाउ फ्यूचर भी 136 अंकों की मजबूती के साथ ग्रीन जोन में रहा।
जापान के निक्केई इंडेक्स में जबरदस्त उछाल
जापान के निक्केई इंडेक्स ने सर्वाधिक छलांग लगाई है। इसने 487 अंकों की उछाल के साथ 45,277.43 पर कारोबार किया। दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स भी 1% से अधिक चढ़कर 3448.69 पर पहुंच गया।
भारतीय बाजार में उत्साह
गिफ्टी निफ्टी ने भी 50 अंकों की मजबूती के साथ 25,524 के स्तर पर कारोबार शुरू किया, जो भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है। व्यापक बाजार सूचकांकों में भी तेजी रही, हालांकि उतार-चढ़ाव नियंत्रित रहा।
डालर के मुकाबले रुपया गिरा
ग्लोबल स्टॉक मार्केट में जहां तेजी देखने को मिल रही है। वहीं रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 16 पैसे गिरकर 88.01 पर पहुंच गया। डॉलर में नरमी और भारत में बढ़ते विदेशी निवेश के बावजूद रुपए पर दबाव देखने को मिल रहा है। जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है।
रेट कट का भारत पर असर
- अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती से भारतीय बाजारों पर कई तरह का असर पड़ सकता है। विदेशी निवेश में इज़ाफा हो सकता है, क्योंकि अमेरिका में रिटर्न कम होने पर निवेशक उभरते बाजारों का रुख करते हैं।
- आईटी और मेटल सेक्टर को अमेरिका में बढ़ते पूंजीगत खर्च से लाभ मिल सकता है। डॉलर में नरमी से आयात महंगाई का दबाव घट सकता है, जिससे रुपये में स्थिरता आ सकती है।
मार्केट एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने ANI को बताया कि बाजार की प्रतिक्रिया मोटे तौर पर उम्मीदों के अनुरूप रही। फेड बोर्ड में ट्रम्प के नामित प्रतिनिधि ने उम्मीद के मुताबिक, 50 आधार अंकों की कटौती की माँग की थी। लगातार मुद्रास्फीति की चिंता से बचने फेड द्वारा रोज़गार प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के कारण यह टिप्पणी नरम लग रही थी।
बग्गा ने कहा, 2025 में ब्याज दरों में कटौती और दो और कटौतियों की उम्मीदों से बाज़ार चढ़े थे। फेड ने इसे पूरा किया। फेड एसईपी या डॉट प्लॉट अच्छा नहीं रहा, जिसमें 2026 में सिर्फ़ एक और 2027 में एक ही कटौती दिखाई गई।
उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ ने अभी तक अमेरिकी मुद्रास्फीति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित नहीं किया है क्योंकि वर्ष की शुरुआत में वस्तुओं पर शुल्क लगाया गया था, हालाँकि बाद में टैरिफ के कारण मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने की उम्मीद है।