Oil Price: अमेरिका ने रूसी सप्लायर्स पर लगाया प्रतिबंध, 4% चढ़े कच्चे तेल के दाम, भारत-चीन पर भी पड़ेगा असर

Oil Price rose: अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए। इससे कच्चे तेल के दाम 4% से ज्यादा बढ़े। भारत और चीन को अब नए आपूर्तिकर्ता खोजने होंगे।

Updated On 2025-10-23 15:47:00 IST

Crude Oil Price Rose: यूएस ने रूस की तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया। 

Oil Price rose: अमेरिका द्वारा रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार उछाल आया है। गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव 4 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए, जिससे भारत और चीन जैसे देशों के लिए तेल आयात महंगा हो सकता।

ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 4.3% बढ़कर 65.30 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया जबकि अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 4.4% उछलकर 61.06 डॉलर प्रति बैरल हो गया। सैक्सो बैंक के एनालिस्ट ओले हैंसेन के मुताबिक, अमेरिका के ताजा प्रतिबंधों के बाद अब भारत और चीन की रिफाइनरियों को वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता ढूंढने होंगे, ताकि वे पश्चिमी बैंकिंग सिस्टम से बाहर न हो जाएं।

यूएस ने रूस की कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया

अमेरिका ने कहा है कि अगर रूस ने यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम पर सहमति नहीं दी, तो आगे और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। इससे पहले ब्रिटेन भी रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा चुका है जबकि यूरोपीय संघ ने 19वां प्रतिबंध पैकेज मंजूर किया है, जिसमें रूसी एलएनजी आयात पर रोक भी शामिल है।

भारत को सस्ते कच्चे तेल मिलने में आ सकती दिक्कत

अमेरिकी प्रतिबंधों की घोषणा के तुरंत बाद ब्रेंट और WTI दोनों में 2 डॉलर प्रति बैरल की तेजी देखी गई। इस उछाल को अमेरिकी तेल भंडार में अप्रत्याशित कमी ने और बल दिया।

यूबीएस एनालिस्ट जियोवानी स्टानोवो के मुताबिक, तेल बाजार पर असली असर इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत कैसे प्रतिक्रिया देता है और क्या रूस को नए खरीदार मिलते हैं। भारत, जो 2022 के बाद से रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बन गया था, अब अपने आयात में बड़ी कटौती कर सकता।

सूत्रों के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी निजी रिफाइनी रूसी तेल की खरीद को कम या पूरी तरह रोकने की योजना बना रही हैं।हालांकि, बाजार में अभी भी शक बना हुआ है कि क्या ये प्रतिबंध वाकई आपूर्ति और मांग में बड़ा बदलाव लाएंगे। तेल के दाम पिछले एक महीने में ओपेक+ देशों की बढ़ी हुई सप्लाई की वजह से गिरे थे, लेकिन अब प्रतिबंधों ने एक बार फिर बाजार में हलचल पैदा कर दी है।

(प्रियंका कुमारी)

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