Gold Purchase: सोना खरीदने जा रहे हैं? 5 बातों का रखें ध्यान, शुद्धता की नहीं रहेगी चिंता
Gold Purchase Tips: सोना कीमती धातू है जिसे खरीदने से पहले उसकी पूरी तरह से शुद्धता जांचना जरूरी है। जानते हैं सोने की प्योरिटी के लिए जरूरी टिप्स।
सोना खरीदते वक्त ध्यान रखने वाली बातें।
Gold Purchase Tips: सोना भारतीय घरों में सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि निवेश और परंपरा का प्रतीक माना जाता है। लोग शादी, त्योहार और खास मौकों पर इसे खरीदना शुभ मानते हैं। लेकिन आजकल बाजार में नकली या मिलावटी सोना भी धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। ऐसे में अगर आपने थोड़ी भी लापरवाही दिखाई, तो लाखों की चपत लग सकती है।
अक्सर लोग सोने की चमक और वजन देखकर ही खरीददारी कर लेते हैं, लेकिन इसकी शुद्धता की जांच नहीं करते। दुकानदार कई बार मिलावटी या कम कैरेट वाला सोना असली बताकर बेच देते हैं। इसलिए जरूरी है कि सोने की खरीदारी से पहले उसकी शुद्धता को अच्छे से परख लिया जाए। चलिए जानते हैं ऐसे कौन से तरीके हैं, जिनसे आप असली और नकली सोने में फर्क कर सकते हैं।
हॉलमार्क देखकर खरीदें
सोने की शुद्धता जांचने का सबसे पुख्ता तरीका है BIS हॉलमार्क. भारत सरकार की तरफ से जारी यह निशान बताता है कि सोना तय मानकों के अनुसार है। हॉलमार्क में BIS लोगो, कैरेट (जैसे 22K या 18K), परीक्षण केंद्र का नंबर और जौहरी की पहचान अंकित होती है। अगर इनमें से कोई भी जानकारी गायब हो, तो सतर्क हो जाएं।
कैरेट की सही जानकारी लें
सोने की शुद्धता को कैरेट में मापा जाता है। 24 कैरेट सबसे शुद्ध होता है लेकिन वह बहुत मुलायम होता है, इसलिए आमतौर पर आभूषणों में 22K या 18K का प्रयोग होता है। अगर दुकानदार कैरेट की जानकारी न दे या उसे लेकर भ्रमित करे, तो वहां से सोना न खरीदें।
वजन और रंग पर न जाएं
अक्सर लोग सोने की चमक और भारीपन से आकर्षित हो जाते हैं, लेकिन नकली सोने में तांबा, पीतल या अन्य धातुओं की मिलावट कर दी जाती है, जिससे वजन और रंग असली जैसा लगता है। बिना हॉलमार्क या शुद्धता की रिपोर्ट के भरोसा न करें।
मैग्नेट टेस्ट करें
शुद्ध सोना चुंबक से चिपकता नहीं है। अगर आप घर पर टेस्ट करना चाहें तो छोटे मैग्नेट से जांच सकते हैं। अगर सोना चुंबक से चिपक जाए, तो उसमें मिलावट हो सकती है।
बिल और रसीद लें
किसी भी कीमत पर बिना बिल के सोना न खरीदें। असली दुकानदार हमेशा रसीद देंगे जिसमें वजन, कैरेट, हॉलमार्क डिटेल और कीमत साफ लिखी होनी चाहिए। यह भविष्य में एक्सचेंज या वापसी के समय काम आती है।