Health Insurance Tips: 5 तरीकों से आप हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम घटा सकते, कवरेज भी नहीं होगा कम
Health Insurance Tips: हर साल के साथ हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ रहे हैं। टैक्स के कारण भी आपको ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है। लेकिन आप अगर स्मार्ट प्लानिंग करते हैं तो फिर प्रीमियम घटा भी सकते हैं। आइए आपको इसके तरीके बताते हैं।
Health Insurance Tips: बीते कुछ सालों में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में, खासतौर पर सीनियर सिटीजंस के मामले में काफी इजाफा हुआ है। इसका बड़ा कारण बढ़ती बीमारियों की संभावना, बार-बार अस्पताल के चक्कर और कोरोना के बाद से बढ़ी स्वास्थ्य जटिलताएं हैं। हालांकि, ज्यादा प्रीमियम का ये मतलब नहीं होता है कि आपको पॉलिसी में ज्यादा कवरेज भी मिलेगा।
अगर आप थोड़ी सी होशियारी दिखाते हैं तो कम प्रीमियम में भी ज्यादा कवरेज हासिल कर सकते हैं। आइए हम आपको इसके तरीके बताते हैं।
1 डिडक्टिबल का इस्तेमाल करें
डिडक्टिबल यानी क्लेम की स्थिति में एक तय राशि जो आपको खुद भरनी होती है, उसके बाद इंश्योरेंस कंपनी भुगतान करती है। अगर आप 5000 या 10000 का डिडक्टिबल चुनते हैं तो आपका प्रीमियम 10–20% तक कम हो सकता है। इसे अगर आप सुपर टॉप-अप प्लान के साथ मिलाकर लें तो कम खर्चे में आपको ज्यादा कवरेज मिल सकता है। इससे बड़े मेडिकल खर्च आसानी से पूरे किए जा सकते हैं।
2. ‘सुपर’ टॉप-अप प्लान लें
सुपर टॉप-अप तब काम आता है जब आपका बेस सम इंश्योर्ड खत्म हो जाता है। यानी आपकी बेस पॉलिसी का कवरेज खत्म हो जाता है। मान लीजिए आपके पास 5 लाख रुपये की बेस पॉलिसी और 10 लाख का सुपर टॉप-अप है। अगर आपका बिल 7 लाख का आता है, तो बेस पॉलिसी ₹5 लाख देगी और बाकी ₹2 लाख रुपये सुपर टॉप-अप से कवर हो जाएंगे। सुपर टॉप-अप जो बेस पॉलिसी होती है, उससे सस्ते होते हैं। लेकिन, कवरेज बढ़ाने का ये तरीका अच्छा होता है।
3 प्रीमियम डिस्काउंट का फायदा लें
इंश्योरेंस कंपनियां कई तरह के डिस्काउंट देती हैं, जैसे, आप अगर 1 या दो साल के बजाय तीन साल की पॉलिसी लें तो कंपनियां इसपर काफी डिस्काउंट देती हैं।
फैमिली फ्लोटर डिस्काउंट: एक प्लान में पूरे परिवार को कवर करने पर छूट।
लाइफस्टाइल डिस्काउंट: नॉन-स्मोकर्स या हेल्दी लोगों को भी फायदा दिया जाता है।
नो-क्लेम बोनस: हर क्लेम-फ्री साल पर रिन्यूअल के समय प्रीमियम में कमी।
4. पॉलिसी पोर्ट करने पर विचार करें
पॉलिसी पोर्टिंग यानी एक इंश्योरेंस कंपनी से दूसरी में शिफ्ट हो जाना, वो भी अपने पुराने सारे बेनिफिट्स के साथ। यह सिर्फ पॉलिसी रिन्यूअल के समय संभव है और इसके लिए 45 दिन पहले पुराने बीमाकर्ता को बताना जरूरी है। अगर नई कंपनी का कवरेज, प्रीमियम या सर्विस बेहतर है तो पोर्टिंग एक अच्छा विकल्प है। ध्यान रहे, पॉलिसी लेने के बाद हुई नई बीमारियों को प्री-एग्जिस्टिंग मानकर नई कंपनी कवरेज से बाहर कर सकती है।
5. रूम कैटेगरी पर नजर रखें
रूम रेंट लिमिट सीधे आपके प्रीमियम को प्रभावित करता है। प्राइवेट रूम महंगे होते हैं और बिल के दूसरे चार्जेस भी रूम के हिसाब से बढ़ जाते हैं। अगर पॉलिसी में प्राइवेट रूम डिफॉल्ट है, तो आप ट्विन-शेयरिंग या मल्टी-शेयरिंग रूम चुनकर काफी पैसा बचा सकते हैं। बिना इलाज की क्वालिटी से समझौते दिए आप कम कीमत में इलाज करा सकते हैं।
(प्रियंका कुमारी)