Property Tax: प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते वक्त लापरवाही न पड़ जाए भारी! 5 तरीके टैक्स लाभ लेने में आएंगे काम

Property Tax: प्रॉपर्टी खरीदते और बेचते वक्त ऑनर को सरकार को प्रॉपर्टी टैक्स देना पड़ता है। हालांकि कुछ तरीकों की मदद से टैक्स में कुछ लाभ पाया जा सकता है।

Updated On 2025-06-17 16:09:00 IST
प्रॉपर्टी खरीदते-बेचते वक्त प्रॉपर्टी टैक्स से राहत पाने के टिप्स।

Property Tax: रियल एस्टेट में निवेश करना जितना फायदेमंद है, उतना ही पेचीदा टैक्स स्ट्रक्चर इसे चुनौतीपूर्ण भी बना देता है। जमीन या मकान खरीदते-बेचते वक्त अगर टैक्स की बारीकियों का ध्यान न रखा जाए, तो मुनाफा होने के बावजूद जेब ढीली हो सकती है। लेकिन अच्छी बात ये है कि कुछ स्मार्ट तरीके अपनाकर आप इस टैक्स बोझ को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

चाहे आप पहली बार प्रॉपर्टी खरीद रहे हों या फिर पुराने मकान को बेचने की सोच रहे हों, टैक्स प्लानिंग आपकी सफलता की कुंजी है। सरकार ने भी इन्वेस्टर्स के लिए कई ऐसे विकल्प दिए हैं, जिनसे टैक्स में राहत मिल सकती है बस जरूरत है सही जानकारी और समझदारी से कदम उठाने की। आइए जानते हैं वो 5 तरीके जो आपकी कमाई को टैक्स की मार से बचा सकते हैं।

सेक्शन 54 का फायदा उठाएं

अगर आप कोई रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी बेच रहे हैं और उससे मिले पैसे से दो साल के भीतर कोई नई रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं, तो सेक्शन 54 के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स से छूट मिलती है। यह तरीका उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है जो अपनी प्रॉपर्टी को अपग्रेड करना चाहते हैं।

कैपिटल गेन को 54EC बांड्स में लगाएं

यदि आप प्रॉपर्टी बेचकर मिले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को 54EC बांड्स (जैसे कि NHAI या REC) में निवेश करते हैं, तो आपको टैक्स में राहत मिलती है। ये बांड्स 5 साल की लॉक-इन अवधि के साथ आते हैं और टैक्स फ्री माने जाते हैं, बशर्ते निवेश 6 महीने के भीतर किया गया हो।

जॉइंट ओनरशिप रखें

अगर आप प्रॉपर्टी को किसी और के साथ मिलकर खरीदते हैं, तो जॉइंट ओनरशिप का फायदा टैक्स में बंटवारे के रूप में मिलता है। इससे हरेक ओनर को अपनी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार छूट मिलती है, जिससे कुल टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है।

होम लोन पर टैक्स डिडक्शन लें

प्रॉपर्टी खरीदते समय होम लोन लेना दोहरा फायदा देता है—एक तो आपको लिक्विडिटी मिलती है, और दूसरा सेक्शन 80C और 24(b) के तहत ब्याज और प्रिंसिपल पर टैक्स छूट मिलती है। इससे आपकी टैक्सेबल इनकम में अच्छी खासी कटौती हो सकती है।

रजिस्ट्री वैल्यू पर नजर रखें

प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री करते समय यह जरूरी है कि डील की वैल्यू सरकारी सर्कल रेट के करीब हो। अगर डील वैल्यू बहुत कम रखी गई तो टैक्स डिपार्टमेंट "डीम्ड इनकम" मानकर खरीदार और विक्रेता दोनों पर अतिरिक्त टैक्स लगा सकता है।

(Disc।aimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी लीगल/फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह लें।)

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