Income Tax Filing: इनकम टैक्स भरते वक्त आप तो नहीं करते 5 गलतियां? घर आ सकता है नोटिस!
Income Tax Filing: इनकम टैक्स फाइल करने के दौरान की जाने वाली कुछ गलतियां परेशानी पैदा कर सकती हैं। जानते हैं इनके बारे में।
इनकम टैक्स फाइल करने में होने वाली गलतियां।
Income Tax Filing: जुलाई का महीना शुरू होते ही इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का सिलसिला भी तेज़ हो जाता है। हर साल लाखों टैक्सपेयर्स ITR फाइल करते हैं, लेकिन इनमें से बहुत से लोग अनजाने में कुछ आम गलतियां कर बैठते हैं, जिनका असर उनके टैक्स प्रोसेसिंग और रिफंड पर पड़ सकता है। कई बार ये गलतियां टैक्स नोटिस या पेनल्टी का कारण भी बन जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि इनकम टैक्स फाइल करते वक्त कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए।
चाहे आप पहली बार ITR भर रहे हों या वर्षों से रिटर्न फाइल करते आ रहे हों, कुछ सामान्य चूकों से बचना बेहद ज़रूरी है। इन चूकों में गलत फॉर्म का चयन, इनकम का गलत उल्लेख, डिडक्शन क्लेम में गलती या डॉक्युमेंटेशन में लापरवाही शामिल है। हम जानेंगे पांच सबसे आम गलतियों के बारे में, जिनसे बचकर आप टैक्स फाइलिंग को आसान और परेशानी से मुक्त बना सकते हैं।
गलत ITR फॉर्म का चयन
हर करदाता की आय और उसकी स्त्रोत के अनुसार अलग-अलग ITR फॉर्म होते हैं। लेकिन लोग अक्सर जानकारी के अभाव में गलत फॉर्म भर देते हैं। इससे रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है या इनकम गलत कैटेगरी में चली जाती है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी सैलरी के साथ फ्रीलांस आय भी है, तो आपको ITR-1 नहीं, ITR-3 या ITR-4 फॉर्म भरना होगा।
पूरी इनकम की जानकारी न देना
अक्सर लोग सिर्फ सैलरी की इनकम को दिखाते हैं और बैंक इंटरेस्ट, FD पर ब्याज या रेंटल इनकम को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास पहले से आपकी फाइनेंशियल जानकारी होती है। अगर आप कोई इनकम छुपाते हैं, तो आगे चलकर नोटिस या जुर्माना लग सकता है।
डिडक्शन क्लेम करते समय लापरवाही
धारा 80C, 80D या HRA जैसी कटौतियों के लिए जरूरी दस्तावेज और सबूत देने जरूरी होते हैं। कई बार लोग बिना वैध दस्तावेजों के डिडक्शन का क्लेम कर देते हैं, जिससे रिटर्न फाइल तो हो जाता है लेकिन बाद में स्क्रूटनी में परेशानी आती है।
फॉर्म 26AS और AIS से मिलान न करना
इनकम और टैक्स डिटेल्स को फॉर्म 26AS और AIS रिपोर्ट से मिलाना जरूरी होता है। अगर रिटर्न में दी गई जानकारी इन फॉर्म से मेल नहीं खाती, तो टैक्स डिपार्टमेंट उसे गलत मान सकता है। इससे रिफंड में देरी हो सकती है या नोटिस भी आ सकता है।
रिटर्न फाइल करने के बाद वेरिफिकेशन भूल जाना
ITR फाइल करने के बाद उसे वेरीफाई करना बेहद जरूरी होता है। अगर आपने ई-वेरिफिकेशन नहीं किया तो आपका रिटर्न वैलिड नहीं माना जाएगा। वेरीफाई करने के लिए आप Aadhaar OTP, नेटबैंकिंग या डेमेट अकाउंट का उपयोग कर सकते हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है उसे सही तरीके से भरना। इन पांच सामान्य गलतियों से बचकर आप न केवल कानूनी झंझटों से बच सकते हैं, बल्कि रिफंड में होने वाली देरी से भी निजात पा सकते हैं।
(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से एडवाइज़ लें।)