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नक्सल प्रभावित एरिया में इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान 360 कंपनियां यानी 36000 सुरक्षा कर्मी तैनात किए जा रहे है। पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती होगी।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित एरिया की वजह से इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान 360 कंपनियां यानी 36000 सुरक्षा कर्मी तैनात किए जा रहे है। चुनाव आयोग ने निर्विध्न चुनाव के लिए सशस्त्र बल के जवानों की मांग की है। इनमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सशस्त्र सीमा बल और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) शामिल हैं। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में मतदान होगा। जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग ने राज्य में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से चुनाव कराने इन कंपनियों को तैनात करने का निर्णय लिया है। मार्च में फोर्स जुटाने का काम पूरा हो जाएगा। 

राज्य के डीजीपी अशोक जुनेजा ने पिछले दिनों अंतरराज्यीय समन्वय समिति की बैठक ली, जिसमें यह तय हुआ कि सभी पड़ोसी राज्य मिलकर अपनी सीमा पर चौकसी करेंगे और आपस में खुफिया सूचनाओं का अदान-प्रदान करेंगे। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलियों की गतिविधियों, अवैध हथियार, नशीले पदार्थ, अवैध शराब की तस्करी के विरुद्ध कार्रवाई के लिए समय पर खुफिया सूचना का अदान-प्रदान होगा। सीमावर्ती राज्यों में सक्रिय नक्सली दस्तों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियानों में समन्वय और अभियान चलाने पर जोर दिया गया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में चेक पोस्ट अथवा नाका सक्रिय करने की रणनीति बनाई गई है।

पहले चरण के लिए खास तैयारी

नक्सल प्रभावित बस्तर लोकसभा सीट पर पहले चरण में होने वाले मतदान के लिए चुनाव आयोग ने खास तैयारी की है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव के लिए अधिकतम संख्या में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। बस्तर लोकसभा क्षेत्र में मतदान के दौरान उम्मीदवारों और मतदाताओं दोनों के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान 9 अप्रैल 2019 को प्रचार से लौट रहे भाजपा विधायक भीमा मंडावी की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इसे देखते हुए आगामी चुनाव में विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

उम्मीदवारों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में उम्मीदवारों को उनकी सुरक्षा के लिए पीएसओ दिया जाएगा। समीक्षा के बाद उम्मीदवारों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारियों को उम्मीदवार अपने कार्यक्रमों के बारे में तीन दिन पहले जानकारी देंगे। साथ ही उन्हें अपने स्थानों के बारे में सूचित करना होगा। इसके लिए समय से पहले बैठकें की जाएंगी और जिन मार्गों से उनकी रैलियां गुजरेंगी, उनके लिए आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था की योजना बनाई जा सकेगी। 

चुनाव में देंगे सहयोग

अधिकारियों ने कहा, सीएपीएफ कर्मियों को चुनाव से संबंधित कर्तव्यों के लिए तैनात किया जा रहा है। उनके माध्यम से चुनाव के दौरान विश्वास-निर्माण के उपाय, मतदान के दिन से संबंधित कर्तव्य, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और स्ट्रॉन्ग रूम केंद्रों की सुरक्षा, मतगणना केंद्र की सुरक्षा आदि शामिल है।

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