छोटी उम्र के बड़े कारनामे, सांप का फन दबोचकर बचाई मां-बहन की जान

छोटी उम्र के बड़े कारनामे, सांप का फन दबोचकर बचाई मां-बहन की जान
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राज्यपाल बलरामदास टंडन गणतंत्र 26 जनवरी को पुलिस परेड मैदान पर इन बच्चों को 15-15 हजार रुपए की नकद राशि और प्रशस्तिपत्र से सम्मानित करेंगे।

रायपुर.खुद की जान की परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाने वाले पांच बच्चों को गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया जाएगा। बच्चों की बहादुरी के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल बलरामदास टंडन गणतंत्र 26 जनवरी को पुलिस परेड मैदान पर इन बच्चों को 15-15 हजार रुपए की नकद राशि और प्रशस्तिपत्र से सम्मानित करेंगे।

पुरस्कार के लिए गठित जूरी के अध्यक्ष तथा कृषिमंत्री बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित जूरी की बैठक में इनका चयन हुआ। इसमें राज्य शासन के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव एनके असवाल, छत्तीसगढ़ एनसीसी के ब्रिगेडियर आईजेएस चौहान, अपर कलेक्टर शारदा वर्मा, महिला एवं बाल विकास विभाग के सहायक संचालक रमेश साहू, परिषद के महासचिव डॉ. अशोक त्रिपाठी, संयोजक इंदिरा जैन और मुख्य कार्यपालन अधिकारी शीला शर्मा उपस्थित थे।

इन बच्चों को दुर्ग के अंजोरा में संचालित एनसीसी घुड़सवारी प्रशिक्षण केंद्र, जंगलवार फेयर प्रशिक्षण केंद्र कांकेर और रायपुर शहर के कई इलाकों में भ्रमण कराया जाएगा। इसके लिए कृषि मंत्री र्शी अग्रवाल ने दिशानिर्देश जारी किए हैं।

सांप से जंग बचाई जान..

रात के वक्त घर पर पायल अपनी मां पुष्पा और बहन काजल के साथ सो रही थी कि अचानक उसे अपनी दाईं बांह में कुछ काटने का आभास हुआ। इससे उसकी नींद टूट गई और उसने एक जहरीला सांप उसकी कमर से होते हुए उसकी माता और बहन की ओर जाता हुआ देखा। सांप को रोकने के लिए पायल ने उसे पकड़ लिया और अपनी मां को पुकारने लगी। आवाज सुनते ही उसकी मां और बहन उठ गए और पायल को सांप को पकड़े देखकर घबरा गए। थोड़ी देर बाद पायल ने सांप को एक झटके से दूर फेंक दिया। परिजनों की मदद से पायल को जिला अस्पताल महासमुंद ले जाया गया, जहां उपचार के बाद सुबह चार बजे छुट्टी दे दी गई।

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बंदरों के हमले से बचाया पिता को..

एस कुमार दिसंबर 2013 को अपने परिवार के साथ अमरकंटक घूमने के लिए कपिलधारा जल प्रपात के पास पहुंचे, तो उनके हाथों में खान की कुछ चीजें जैसे चने व फल थे। वहां पर मौजूद आठ-दस बंदरों ने खाने की चीजें देखकर र्शी कुमार पर हमला कर दिया। वहां पर र्शी कुमार का 11 वर्षीय बेटा रौनक मिलिंद भी था। अपने पिता को बंदरों से घिरा और चिल्लाते हुए देखा। उसने अपनी जान की परवाह किए बिना वह अपने पिता को बंदरों से बचाने के लिए दौड़ पड़ा और वहीं पर जमीन पर पड़े हुए लकड़ी के एक डण्डे को उठाकर बंदरों को मार-मारकर भगाने लगा। सभी बंदर एक-एक कर भाग गए।

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कुत्तों से भिड़ गया अकेला..

कक्षा पहली में अध्ययनरत 11 वर्षीय छात्र वैदुर्य निगम अपने परिवार के साथ 9 दिसंबर को सोनारपारा राजनांदगांव गया हुआ था। वैदुर्य दोपहर डेढ़ बजे सोनारपारा में घूम रहा था। उसी वक्त उसने देखा कि कुछ आवारा कुत्ते आपस में झगड़ते हुए दौड़ रहे थे। वहीं पर पांच साल का बच्चा शिखर र्शीवास्तव कुत्तों को दौड़ते हुए और भौंकते हुए देखकर डर गया और भागने लगा। वैदुर्य ने स्थिति की गंभीरता से समझकर हिम्मत दिखाते हुए दौड़कर शिखर को अपनी गोद में उठा लिया और कुत्तों को भगाने का प्रयास करने लगा। एक कुत्ते ने वैदुर्य निगम के पैर को काट लिया। उसके बाद भी शिखर की जान बचाने के लिए वैदुर्य जख्मी हालत में कुत्तों को डरा-डराकर भगाता रहा और इसमें वह कामयाब भी हुआ।

और भिड़ गई चोरों से..

कक्षा छठवीं की जोयना चक्रवर्ती परिवार के साथ 27 नवंबर को दिल्ली गई थी। वहां पहाड़गंज स्थित लॅाज में अपने माता-पिता के साथ रूकी हुई थी। वह अपने परिवार के साथ शाम सात बजे पहाड़ गंज के व्यस्त सड़क को पार कर रही थी। अचानक एक चोर (पाकेटमार) दौड़ते हुए आया और उसके पिता की शर्ट की पाकेट से मोबाइल निकालकर भागने लगा। इससे पहले की उसके पिता कुछ समझ पाते जोयना पाकेटमार के पीछे दौड़ गई। लगभग दो सौ मीटर तक आजू-बाजू से गुजरने वाली गाड़ियों को हाथ दिखाकर रोकते और भागते हुए पॉकेटमार तक पहुंच गई और छलांग लगाकर पॉकेटमार के पैरों को पकड़कर मदद के लिए चिल्लाने लगी। जोयना ने जोर लगाकर चोर से अपने पिता का मोबाइल छीन लिया। इस बीच चोर अपना हाथ छुड़ाकर भाग गया।

उफनती नदी में लगाई छलांग..

रायगढ़ जिले के सूरजगढ़ निवासी सवार्नंद साहा कक्षा 11वीं का विद्यार्थी है। वह 6 अगस्त की शाम चार बजे स्कूल से पैदल अपने घर लौट रहा था। उस समय महानदी में बाढ़ आई थी। परसरामपुर मोड़ के पास राजेन्द्र चौहान नामक व्यक्ति अपनी मोटर सायकिल से सड़क पार कर रहा था। सड़क के दाहिने ओर पानी का तेज बहाव था। राजेन्द्र चौहान सड़क पार करते समय जहां पर पानी का तेज बहाव था, मोटर सायकिल से गिर गया और बहने लगा। उसे देखते हुए राजेन्द्र चौहान की जान बचाने के लिए सवार्नंद साहा अपनी जान की परवाह किए बगैर पानी में छलांग लगा दी। उसने बड़ी मुश्किल से राजेन्द्र चौहान को खींचते हुए पानी से बाहर निकाला और उसकी तथा खुद की जान बचाई।

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