बिरसा मुंडा जयंती: PM मोदी ने MP के दो स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों का किया लोकार्पण, वर्चुअली किया संबोधित

PM Modi Inaugurates MP Freedom Fighters Museum: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर शुक्रवार (15 नवंबर) को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और जबलपुर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालयों का लोकार्पण किया। देशभर में 6600 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का भूमिपूजन और उद्घाटन किया गया। इस मौके पर शहडोल के बाण गंगा मैदान में भगवान बिरसा मुंडा जयंती समारोह आयोजित किया गया, जिसमें राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव मौजूद थे।
भगवान बिरसा मुंडा जयंती समारोह का भव्य आयोजन
भगवान बिरसा मुंडा जयंती समारोह में प्रधानमंत्री मोदी वर्चुअली शामिल हुए। उन्होंने जनजातीय समुदाय के योगदान की सराहना की और देश की स्वतंत्रता में जनजातीय वीरों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। प्रधानमंत्री ने बिरसा मुंडा की याद में सभी जनजातीय समाज को गौरव महसूस करने का आह्वान किया। इस आयोजन का उद्देश्य जनजातीय समाज के अद्वितीय योगदान को प्रोत्साहन देना है।
छिंदवाड़ा में बादल भोई संग्रहालय का उद्घाटन
छिंदवाड़ा में स्थित बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय को 40 करोड़ 69 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है। यह संग्रहालय पेंच-पचमढ़ी मार्ग पर स्थित है, जिसमें छह गैलरी, कार्यशाला कक्ष, एक लाइब्रेरी, शिल्प बाजार और 800 दर्शकों के लिए ओपन एयर थिएटर का निर्माण किया गया है। संग्रहालय में प्रदेश के 9 प्रमुख जनजातीय संघर्षों को प्रदर्शित किया गया है।
जबलपुर में राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह संग्रहालय
जबलपुर में राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह के बलिदान को समर्पित संग्रहालय का निर्माण वर्ष 2021 में किया गया था। 14 करोड़ 26 लाख रुपये की लागत से बने इस संग्रहालय का जीर्णोद्धार भारतीय सांस्कृतिक निधि, नई दिल्ली ने किया है। यहां राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। संग्रहालय के माध्यम से उनके बलिदान की कहानी को जीवंत रूप में प्रदर्शित किया गया है।
गैलरी में प्रदर्शित की गई जनजातीय वीरों की कहानियां
संग्रहालय की विभिन्न गैलरी में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षों का चित्रण किया गया है। रानी दुर्गावती की गैलरी उनके जीवन और बाहरी आक्रमणों से उनकी संघर्षशीलता को प्रदर्शित करती है। इसके अलावा, भील जनजाति के गोरिल्ला युद्ध और जंगल सत्याग्रह जैसे आंदोलन भी यहां दिखाए गए हैं।
जनजातीय समाज के योगदान की प्रेरणादायक प्रस्तुति
इन संग्रहालयों में जनजातीय समाज के योगदान को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया गया है। इससे आने वाली पीढ़ियों को जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरक कहानियों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। यह पहल न केवल जनजातीय समाज का सम्मान बढ़ाती है, बल्कि पूरे देश को उनके संघर्षों का स्मरण दिलाती है।
