मध्य प्रदेश: नगर निगम और नगर पालिका अध्यक्ष हुए पॉवर फुल हुए, मोहन सरकार ने बदले अविश्वास प्रस्ताव के नियम

SRLM Corrupt IAS lobby dominates Deepak Joshi wrote letter to CM Mohan Yadav
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नगर निगम और नगर पालिका अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के खिलाफ तीन वर्ष के पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इसके लिए 3 चौथाई पार्षदों का समर्थन जरूरी है।

No-confidence motion rule: मध्य प्रदेश में नगर निगम और नगर पालिका के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष ज्यादा पॉवर फुल हो गए। सरकार ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद मंगलवार (21 जनवरी) को राज्यपाल ने इस पर मुहर लगा दी।

क्या है संशोधित कानून ?
संशोधित नियमों के मुताबिक, नगर निगम और नगर पालिका के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के खिलाफ अब तीन वर्ष के पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। अविश्वास प्रस्ताव के लिए दो तिहाई पार्षदों की बजाय तीन चौथाई पार्षदों का समर्थन अनिवार्य कर दिया गया है। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह कानून प्रदेश में लागू हो गया है।

अध्यादेश लाकर रोकी कार्रवाई
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मप्र नगरपालिका द्वितीय संशोधन अधिनियम 2024 और मप्र नगरपालिका द्वितीय संशोधन अधिनियम 2024 को मंजूरी दी थी। नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43-क में संशोधन किया गया है। वहीं नगरपालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 23-क में संशोधन किया गया है। इसके पहले सरकार ने अध्यादेश लाकर यह व्यवस्था लागू की थी, लेकिन शीतकालीन सत्र में विधेयक पारित किया गया।

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