MP हाईकोर्ट की गाइडलाइन: ऑटो में 3 बच्चे ही बैठ सकेंगे, स्कूलों में नहीं चलेंगी 12 साल पुरानी बसें

Law Admission Rules
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Law Admission Rules: स्टूडेंट्स को एडमिशन नहीं दे पाएंगे लॉ कॉलेज, MP हाईकोर्ट ने दिया सख्त निर्देश।
एमपी हाईकोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गाइड लाइन जारी की है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, स्कूलों में 12 साल पुरानी बस नहीं चलेगी। बसों में GPS और CCTC कैमरा लगाना अनिवार्य है।

MP High Court Guidelines: स्कूली बच्चों और परिजनों के लिए राहतभरी खबर है। एमपी हाईकोर्ट ने इंदौर में 2018 में हुए DPS बस एक्सीडेंट के बाद दायर याचिकाओं पर बुधवार (4 दिसंबर) को बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गाइड लाइन जारी की है। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डिवीजन बेंच ने आदेश जारी कर कहा कि स्कूलों में अब 12 साल पुरानी बसें नहीं चलाई जा सकेंगी। बसों में स्पीड गर्वनर, GPS और CCTV कैमरा अनिवार्य रूप से लगवाएं। बस में महिला या पुरुष शिक्षक रहें। स्कूल प्रबंधन बसों के संचालन के लिए व्हीकल इंचार्ज नियुक्त करें।

ड्राइवर और कंडक्टर पर रखें नजर
हाईकोर्ट ने सरकार को एमपी मोटर व्हीकल एक्ट-1994 में स्कूल बसों के रजिस्ट्रेशन, संचालन और प्रबंधन के लिए नियमों का प्रावधान कर गाइड लाइन का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने बस ड्राइवर और कंडक्टर की नियमित जांच करने और उनकी आपराधिक गतिविधियों पर नजर करने को भी कहा है। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान नियम ट्रांसपोर्ट व्हीकल के हैं। सरकार मोटर व्हीकल एक्ट के तहत स्कूल बसों के लिए विशेष प्रावधान करें। छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसा किया है।

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पालक देख सकेंगे मोबाइल पर लोकेशन
हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिए हैं कि हर बस में सीसीटीवी होना चाहिए और जीपीएस भी, जिससे पालक मोबाइल ऐप पर हर बस को लेकर स्थिति को देख सकें। छात्रों के रिक्शा में ड्राइवर सहित चार लोग ही बैठ सकेंगे। संचालन पर निगरानी और कार्रवाई की जिम्मेदारी आरटीओ, डीएसपी-सीएसपी ट्रैफिक की होगी। सीनियर शिक्षक या कर्मचारी को व्हीकल इंचार्ज नियुक्त करें, जो नियमों का पालन व रखरखाव कराए। उल्लंघन होने पर स्कूल प्रबंधन के साथ ये भी जिम्मेदार होंगे।

स्कूल बसों के लिए हाईकोर्ट की गाइडलाइन

  • बस का रंग पीला होना चाहिए। उस पर स्कूल बस या ऑन स्कूल ड्यूटी लिखना जरूरी है।
  • स्कूल का नाम, पता, टेलीफोन व व्हीकल इंचार्ज के नंबर की पट्टी लगाएं।
  • खिड़की में ग्रिल लगी होनी चाहिए। फिल्म व रंगीन ग्लास न लगाएं।
  • बसों में फर्स्ट-एड किट व अग्निशमन यंत्र अनिवार्य रूप से लगे होने चाहिए।
  • बस सहायक को इमर्जेंसी उपयोग और बच्चों को बैठाने-उतारने का प्रशिक्षण दें।
  • ड्राइवर के पास स्थाई लाइसेंस और पांच साल का अनुभव हो।
  • ऐसे ड्राइवर न रखें, जिन पर ओवर स्पीडिंग, शराब या नशा करके गाड़ी चलाने, लेन सिस्टम व सिग्नल तोड़ने पर जुर्माना या चालान किया गया हो।
  • संस्था ड्राइवर से एक शपथ पत्र भी नियुक्ति के समय ले।
  • स्कूल बस में सिर्फ विद्यार्थी, अध्यापक या पालक ही बैठ सकेंगे।
  • बसों में स्कूल बैग रखने की व्यवस्था हो।

2018 में हुआ था हादसा
इंदौर में कनाडिया रोड पर 2018 में भीषण सड़क हादसा हुआ था। बायपास पर DPS स्कूल बस और ट्रक के बीच जोरदार टक्कर हो गई थी। हादसे में दिल्ली पब्लिक स्कूल के चार बच्चों और ड्राइवर की मौत हुई थी। बस हादसे के बाद अभिभाषक प्रमोद द्विवेदी, वंदना श्रीवास्तव, सरोज और अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थीं। याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है।

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