अशोकनगर में बड़ा फर्जीवाड़ा, पति-पत्नी जालसाजी कर तीन साल तब बेचते रहे बीज, जांच में हुआ हैरान कर देने वाला खुलासा

Kotwali Police Station Ashoknagar
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प्रमाणीकरण विभाग ने व्यापारी पति-पत्नी पर कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई है।
मध्यप्रदेश के अशोकनगर में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील लगाकर पति-पत्नी ने लाइसेंस बनाया। तीन साल में 33 हजार क्विंटल बीज बेच डाला। जांच में खुलासा हुआ तो दोनों पर FIR दर्ज की गई।

भोपाल। जिले में बीज के अवैध कारोबार का मामला सामने आया है। प्रमाणित के नाम पर फर्जी लाइसेंस लेकर तीन साल में 33 हजार क्विंटल बीज बेच दिया गया। जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ तो प्रमाणीकरण विभाग ने व्यापारी पति-पत्नी पर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है। पति-पत्नी अपनी दो निजी ब्रांड बनाकर जिले में बीज का यह कारोबार कर रहे थे। ग्वालियर से आए बीज प्रमाणीकरण अधिकारी ने कोतवाली पहुंचकर व्यापारी गजेंद्र राजपूत और उनकी पत्नी विमलेश राजपूत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

खुद का ब्रांड तैयार कर फर्जीवाड़ा किया
बीज प्रमाणीकरण अधिकारी के मुताबिक, इन दोनों ने वर्ष 2017 से 2019 तक का लाइसेंस लिया था, लेकिन इसके बाद लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया और कूटरचित कर फर्जी लाइसेंस तैयार कर लिया। जिसके आधार पर गजेंद्र राजपूत ने एग्रो सीड और विमलेश राजपूत अनुष्का सीड नाम का खुद का ब्रांड तैयार कर तीन साल से अवैध रूप से बीज बेच रहे थे।

तीन साल तक कैसे बिकता रहा बीज?
फर्जी तरीके से तैयार लाइसेंस पर इतने बड़े स्तर पर बीज का कारोबार चलता रहा। जबकि इस पर न तो बीज प्रमाणीकरण विभाग ने कोई ध्यान दिया और न ही कृषि विभाग ने। जबकि नियमानुसार कृषि विभाग को जिले में बिक रहे बीज के लाइसेंस और विक्रय की अनुमति की जांच सहित बीज से सैंपल लेकर जांच कराना चाहिए। इससे लोगों का सवाल है कि आखिर तीन साल तक कैसे यह कारोबार चलता रहा। इससे विभागों की सतर्कता और मॉनिटरिंग पर सवाल उठ रहे हैं।

जांच में खुलासा, अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर बने लाइसेंस
जानकारी के मुताबिक, व्यापारी राजकुमार अरोरा ने शिकायत की थी कि जिले में बेचे जा रहे इस बीज के लाइसेंस की जांच की जाए और लाइसेंस फर्जी होने की आशंका जताई थी। इससे 15 अक्टूबर 2023 को हुई इस जांच पर विभाग ने 16 अक्टूबर 2023 से जांच शुरू की और दोनों लाइसेंस को सत्यापन के लिए भेजा तो खुलासा हुआ कि अशोकनगर के अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील लगाकर यह लाइसेंस तैयार कराए गए। इससे 26 अक्टूबर को इन्हें निरस्त किया गया व जांच कमेटी ने तीन नवंबर को एफआइआर के निर्देश दिए। इससे बीज प्रमाणीकरण अधिकारी ने मंगलवार को एफआइआर दर्ज कराई।

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