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Lok Sabha Chunav 2024: मध्यप्रदेश की सियासत में दलबदल का दौर जारी है। बुधवार को कांग्रेस को फिर झटका लगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भिंड-दतिया सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे देवाशीष जरारिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।

Lok Sabha Chunav 2024: मध्यप्रदेश की सियासत में दलबदल का दौर जारी है। बुधवार को कांग्रेस को फिर झटका लगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भिंड-दतिया सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे देवाशीष जरारिया ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से देवाशीष नाराज चल रहे थे। इसी के चलते देवाशीष ने कांग्रेस का हाथ जोड़ दिया है। इस बार कांग्रेस ने भिंड लोकसभा से देवाशीष की जगह भांडेर विधायक फूल सिंह बरैया को प्रत्याशी बनाया है।

जानें देवाशीष ने तस्तीफे में क्या लिखा
देवाशीष ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस्तीफा लिखा है। देवाशीष जरारिया ने इस्तीफे में लिखा है कि गहन विचार विमर्श और पार्टी द्वारा हाशिए पर धकेले जाने के बाद लगता है कि समय कठोर निर्णय लेने का है। 2019 में पार्टी ने मुझे भिंड-दतिया लोकसभा से उम्मीदवार बनाया था। हारने के बाद कोई उम्मीदवार क्षेत्र में वापस लौट कर नहीं जाता, लेकिन पार्टी को मजबूत करने की लग्न थी तो खुद को पूरी तरह झोंक दिया। निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से आने के बाद भी आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए, संघर्ष जारी रखा। प्रदेश के वरिष्ठ नेतृत्व ने कहा कि अगले लोकसभा की तैयारी करो तुम्हे फिर मौका देंगे।

लोकसभा चुनाव में मेरा टिकट काट दिया
देवाशीष ने आगे लिखा कि इन पांच वर्षों में मध्यप्रदेश में उप चुनाव, विधानसभा के आम चुनाव हुए सभी में कहा कि तुम हमारे लोकसभा उम्मीदवार हो तुम्हें लोकसभा लड़ना है, मैंने कोई टिकट नहीं मांगा। पांच साल जब क्षेत्र में संघर्ष की बात थी तो कोई नहीं था, लेकिन जैसे ही वर्तमान लोकसभा चुनाव आए तो मेरा टिकट काट दिया। उसके बाद पार्टी ने संगठन में जिम्मेदारी देने की बात कही। जो आज तक पूरी नहीं की गई।

दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंक दिया 
टिकट कटने के बाद से ही न तो प्रदेश संगठन के बड़े नेताओं ने कोई बात की और न प्रत्याशी ने, क्षेत्र के कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाया जा रहा है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस में नेताओ ने मेरी राजनैतिक हत्या की जिम्मेदारी ले रखी है। दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंक दिया है। मेरा कसूर क्या था? यही कि पार्टी के लिए दिन रात मेहनत की। ग्रुपबाजी करके कांग्रेस में ही कांग्रेस को नहीं निपटाया। 

जो भीतरघात करता है उसी को सबसे ज्यादा पूछा जाता
देवाशीष ने लिखा कि कांग्रेस में जो भीतरघात करता है उसी को सबसे ज्यादा पूछा जाता है। जो मेरे चरित्र में नहीं है। पार्टी दलितों आदिवासियों, महिलाओं पिछड़ों के सम्मान और हक की बात करती है। लेकिन मेरे हक पर ही डांका डाल दिया। इससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में कोई समानता नहीं है। दलित समाज केवल इस्तेमाल करने और फेंक देने के लिए है। 

पार्टी की कोई नीति रीति नही है
आगे लिखा है कि महिलाओं की बात करें तो पूरे प्रदेश में केवल एक महिला को टिकट दिया है, ओबीसी की जातिगत जन की बात करने वाली पार्टी ने 29 सीटो में से केवल 5 सीट ओबीसी को दी हैं। जब आप पार्टी के अंदर दलितों आदिवासियों, महिलाओं, ओबीसी वर्ग को हिस्सेदारी नहीं दे सकते तो किस मुंह से देश की जनता आप पर विश्वास करेगी। इतने साल पार्टी में काम करते हुए इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी की कोई नीति रीति नही है न ही इक्षाशक्ति। मैंने एक माह इंतजार किया लेकिन जहां मान सम्मान नहीं है उस जगह को छोड़ देना ही उचित है।  

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