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Bhopal News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ट्रैफिक व्यवस्था इन दिनों पूरी तरह से निजी हाथों में है। चौराहों व मुख्य मार्ग पर वाहन की जांच हो या फिर सड़क पर पार्क वाहन उठवाने, हर जगह निजी कंपनी के कर्मचारी ही नजर आते हैं।

Bhopal News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ट्रैफिक व्यवस्था बेपटरी है। सुबह-शाम हर दो घंटे में लंबे जाम का सामना करना पड़ता है। प्रशासन ने ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार की जिम्मेदारी एक तरह से ठेकेदारों को सौंप रखी है, जो क्रेन से लेकर चालान काटने तक में दिख जाएंगे। जिनका फोकस व्यवस्था में सुधार की बजाय वसूली पर ज्यादा रहता है। बिना वर्दी के यह लोग किसके इशारे पर काम कर रहे हैं, इसका जवाब न नगर निगम और न ही ट्रैफिक पुलिस के अफसर दे पाते। 

अधिकार किसने दिया
राजधानी में जगह जगह टोचन क्रेन नो पार्किंग में खड़े लोगों के वाहनों को उठा रही है, लेकिन गौर किया जाए तो न तो वाहन को उठाने वाली क्रेन यातायात पुलिस की है और न ही वाहन को उठाने वाले लोग यातायात पुलिस के हैं।

दरअसल, इनको ठेकेदार के गुंडे भी कहा जा सकता है, क्योंकि बड़ा सवाल यह है कि न तो ये वर्दी पहने होते हैं और न ही इनके पास कोई अथॉरिटी है, तो इनको वाहन उठाने का अधिकार किसने दिया ? स्पष्ट तौर पर कोई कहने को तैयार नहीं है। एमपी नगर, न्यू मार्केट, हमीदिया रोड, घोड़ा नक्कास सहित आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर इस तरह की क्रेन संचालित है।

ऑनलाइन चालान के लिए नहीं मानी पुलिस
करोंद के व्यवसायी अभिषेक जैन ने बताया कि पिछले सप्ताह वह इंद्रपुरी गए थे। हेलमेट न होने पर करोंद ब्रिज के पास चेकिंग में उन्हें पकड़ लिया गया। पुलिस के हाथ में मशीन थी, तो उन्होंने कहा कि ऑनलाइन चालान भर देता हूं, लेकिन पुलिस वालों ने कहा कि नगद ही पेमेंट करना होगा। इसमें कुछ प्राइवेट लोग थे जो क्रेन के साथ थे। अभिषेक ने बताया कि वह मेरी बाइक उठाकर यातायात थाने ले गए। थाने जाकर मैने चालान भरा, तब जाकर सुबह पकड़ी बाइक शाम को मिली।

नगर निगम से हायर की जाती हैं क्रेन
यातायात पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त बसंत कुमार कौल का कहना है कि यातायात पुलिस के पास जो क्रेन हैं वो नगर निगम से हायर की है। क्रेन में प्राइवेट लोग ठेकेदार के रहते हैं। हालांकि वह यातायात एएसआई के निर्देशन में ही वाहन उठाने का काम करते हैं। वाहन चालकों से जो क्रेन चार्ज लेते हैं, उसमें भी नगर निगम की रसीद दी जाती है।

अनुमति देना नगर निगम का काम नहीं
ट्रैफिक पुलिस के लिए इन क्रेनों को नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही इन क्रेन के साथ जो व्यक्ति काम कर रहे हैं, वे बिना ड्रेस के भी नगर निगम के हायर किए हुए हैं। क्रेन और इन व्यक्तियों से काम कराने और पैसे वसूलने का काम ट्रैफिक पुलिस द्वारा किया जा रहा है। नगर निगम अधिकारी योगेंद्र पटेल के अनुसार कहां से वाहन उठाना है और कहां से नहीं, इस बारे में अनुमति नगर निगम नहीं देता।

पार्किंग व्यवस्था भी ठेकेदार ही संभाल रहे 
नगर निगम द्वारा जिन स्थानों पर नो पार्किंग के बोर्ड नहीं लगाए हैं, वहां से भी इन वाहनों को उठाया जा रहा है। यह सब व्यवस्था ट्रैफिक पुलिस की है। क्रेन का स्टाफ अपने हिसाब से कार्रवाई करता है। नगर निगम का इसमें कोई लेना देना नहीं है। क्रेन के पैसे ट्रैफिक पुलिस ही जमा करती है। वैसे भी पार्किंग की व्यवस्था भी संबंधित ठेकेदार द्वारा संभाली जाती है। क्रेन से वाहन उठाने का पूरा मामला ट्रैफिक पुलिस का है। शहर में पार्किंग के लिए जिन स्थान का चयन किया जाता है, उसमें ट्रैफिक पुलिस से चर्चा की जाती है।

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