भोपाल: पश्चिमी बाइपास के निर्माण में बाधक बने नेता-अफसर, साल भर से अटका जमीन अधिग्रहण

Jaipur Bypass
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जयपुर के 6 कस्बों में बायपास का बिछेगा जाल।
भोपाल के पश्चिमी बायपास को मंजूरी मिले एक साल हो गए। लेकिन अब तक भू-अर्जन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। इसमें आईएएस और पूर्व मंत्री समेत कुछ बिल्डर्स की जमीनें बाधक बनी हुई हैं।

Bhopal Western Bypass: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पश्चिमी क्षेत्र में प्रस्तावित बायपास निर्माण एक साल बाद भी शुरू नहीं पा रहा। करीब 40.90 किमी लंबे इस बाइपास के लिए भू-अधिग्रहण ही नहीं हो पाया। जिस इलाके में बायपास प्रस्तावित है, वहां पूर्व मंत्री, आईएएस और कुछ बिल्डर्स ने जमीनें खरीद रखी हैं। इनकी जमीनें अधिग्रहित करने में प्रशासन को पसीना छूट रहा है।

दरअसल, भोपाल की सड़कों पर जिस तेजी से ट्रैफिक दबाव बढ़ रहा है। उसे देखते हुए भोपाल के पश्चिम में भी बायपास काफी जरूरी हो गया। हालांकि, पर्यावरण नुकसान का हवाला देकर कुछ सामाजिक संगठन इसका विरोध भी कर रहे हैं। फिलहाल, प्रशासन के लिए तो भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया की चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।

3200 लोगों की 250 हेक्टेयर भूमि
पश्चिमी बायपास के लिए भोपाल से लगे गांवों की करीब 400 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। इनमें से 3200 लोगों की 250 हेक्टेयर भूमि भी शामिल है। नियमानुसार, मार्च 2025 तक इन जमीनों का पजेशन मिल जाना चाहिए, लेकिन अभी भू-अर्जन ही नहीं हो पाया। शासन और प्रशासन से जुड़े कुछ लोगों ने भी इस पर आपत्ति जताई है।

बायपास के दायरे में इनकी जमीनें
भोपाल में पश्चिमी बायपास के लिए जिन 3200 लोगों की जमीनें फंस रही हैं, उनमें पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ, पूर्व आईएएस मनोज श्रीवास्तव, सीए प्रमोद शर्मा, नीलेश मारन, आशा वर्मा, मोती बिल्डर्स, विंग कमांडर एसी वाजपेयी, आयुष्मान डेवलपर्स, धनविद्या रियलटर्स प्रा.लि., विवेकानंद विचारधाम शिक्षा समिति जैसे पॉवरफुल लोग शामिल हैं।

पर्यावरण पर पड़ सकता है असर
पश्चिमी बायपास के निर्माण से कोलार, कलियासोत और बड़ा तालाब जैसे भोपाल के महत्वपूर्ण जलस्रोतों पर असर पड़ने की आशंका है। इसके लिए करीब 3248 पेड़ भी काटे जाने प्रस्तावित है। जिसे लेकर भोपाल के पर्यावराण प्रेमी चिंतित हैं। उन्होंने शासन को पत्र भी लिखा है। जिस पर सड़क विकास निगम (RDC) के अफसरों ने बताया कि बाइपास जल स्रोतों से काफी दूर है। इससे कैचमेंट क्षेत्र प्रभावित नहीं होगा। साथ जो पेड़ काटे जाने हैं, उनके बदले 90 हजार नए पेड़ लगाने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें 13 करोड़ खर्च होंगे।

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बाइपास की जरूरत क्यों
पश्चिमी बायपास होशंगाबाद रोड पर मंडदीप से शुरू होगा और कोलार होते हुए भोपाल-इंदौर हाइवे को भौंरी के पास जोड़ेगा। इससे भोपाल-देवास मार्ग की दूरी 20 किमी कम हो जाएगी। साथ ही एयरपोर्ट तक सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी। बाइपास में चार ग्रेड सेपरेटर, एक आरओबी, 62 पुलिया प्रस्तावित हैं।

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इन गांवों से गुजरेगा भोपाल बायपास
भोपाल का पश्चिमी बायपास भौंरी, झागरिया खुर्द, फंदा कला, मुंडला, सरवर, आमला, समसपुरा, खोखरिया, दुबड़ी, जाटखेड़ी, रसूलिया घाट, अमरपुरा, बोरखेड़ी, समसगढ़, काकडिया, नरेला, टीलाखेड़ी, शोभापुर जहेज, पंचामा, गोल, कालापानी, मजीदखेड़ा, बोरखेड़ी, भानपुर केकडिया, पिपलिया धाकड़, बरखेड़ा बोंदर, मुंगालिया घाट, दौलतपुर ठिकरिया, मिरपुर विरान, झिरनिया, दौलतपुर टिकरिया और मुंगालिया हाट से होकर गुजरेगा।

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