मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी की 105वीं जयंती: वक्ता बोले- एक्सक्लूसिवनेस नहीं, संवेदनशीलता बने भारत की पत्रकारिता का मूल्य 

Mamaji manikchand Vajpaye 105th birth anniversary
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Mamaji manikchand Vajpaye 105th birth anniversary
Bhopal News: ध्येयनिष्ठ संपादक मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी की 105वीं जयंती पर विश्व संवाद केंद्र में संगोष्ठी आयोजित की।

भोपाल। भारत की पत्रकारिता एक्सलूसिव के आधार पर नहीं, संवेदनशीलता के आधार पर चलती है। यह दुर्भाग्यजनक है कि हमने पत्रकारिता में पश्चिम की अवधारणा को जैसा का तैसा स्वीकार कर लिया है।

यह बात विचार साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने ध्येयनिष्ठ संपादक मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी की 105वीं जयंती प्रसंग पर आयोजित संगोष्ठी में कही। विश्व संवाद केंद्र, मध्यप्रदेश की ओर से आयोजित संगोष्ठी में पत्रकारिता और अपेक्षाएं: वर्तमान परिप्रेक्ष्य पर वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्र के अध्यक्ष लाजपत आहूजा ने की।

पत्रकारिता प्रोफेशन नहीं, अपितु मिशन है
डॉ. विकास दवे ने कहा कि हम सिखाते हैं कि पत्रकारिता प्रोफेशन नहीं, अपितु मिशन है। याद रखिए कि मिशन हमेशा पवित्र नहीं होता और प्रोफेशन हमेशा गलत नहीं होता। पत्रकार अपने वैचारिक अधिष्ठान पर दृढ़ है तो वह अपना श्रेष्ठ योगदान समाज में दे सकता है।

खेमों में बंट गई आज की पत्रकारिता
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार गिरीश उपाध्याय ने कहा कि पत्रकारिता आज लोकतंत्र का वह चौथा खंभा नहीं रह गया है, जो प्रह्लाद की पुकार पर नरसिंह भगवान को प्रकट कर दे। उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता खेमों में बंट गई है। पत्रकारिता के मूल्य भी आज दिखाई नहीं देते हैं।

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