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Hisar Lok Sabha Seat: हिसार लोकसभा सीट पर बीजेपी ने रणजीत चौटाला और जेजेपी ने नैना चौटाला को मैदान में उतारा है। वहीं इनेलो भी सुनैना चौटाला को उतार सकती है। जानिये जाट वोटर्स के बंटने से किस दल को मिलेगा फायदा...

हिसार लोकसभा सीट सबसे हॉट सीट में शुमार हो चुकी है। बीजेपी ने जहां रणजीत चौटाला को मैदान में उतारा हैं, वहीं जेजेपी की ओर से नैना चौटाला चुनाव लड़ेंगी। खास बात है कि रणजीत चौटाला रिश्ते में नैना चौटाला के चाचा ससुर हैं। चर्चा चल रही है कि इनेलो की ओर से भी सुनैना चौटाला को उतारा जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इस सीट पर देवीलाल कुनबे के तीन परिवार आपस में भिड़ेंगे। इस पारिवारिक सियासी घमासान के चलते जाट वोटरों का बंटना तय माना जा रहा है।

ऐसे में ये भी चर्चा चल रही है कि इस सियासी जंग का फायदा कांग्रेस या बसपा को तो नहीं मिल जाएगा। आइये इस रिपोर्ट से समझने का प्रयास करते हैं कि कांग्रेस और बसपा की क्या स्थिति है। सबसे पहले बताते हैं कि हिसार में जातीय समीकरण क्या हैं।

हिसार लोकसभा सीट पर 15 लाख से अधिक वोटर्स

हिसार लोकसभा क्षेत्र 9 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करता है। इस लोकसभा सीट पर कुल 15.76 लाख वोटर्स हैं। इनमें जाट वोटर्स की संख्या 5 लाख है। वहीं, पंजाबी वोटर्स की संख्या 65000, बिश्नोई वोटर्स की संख्या 37000, ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 180000 हजार और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के वोटर्स की संख्या 400000 से अधिक है। इसके अलावा 70000 से अधिक प्रजापति/कुम्हार वोटर्स हैं।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि जाट वोटर्स के साथ ही पंजाबी, बिश्नोई, प्रजापति और अनुसूचित जाति/पिछड़ा वर्ग के वोटर्स भी चुनाव को प्रभावित करते हैं। चूंकि जेजेपी और बीजेपी ने जाट नेताओं को मैदान में उतारा है, वहीं बसपा ने अलग ही दांव खेला है।

बसपा ने खेला यह दांव 

बहुजन समाज पार्टी ने हिसार लोकसभा सीट से देशराज प्रजापति को प्रत्याशी बनाया है। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने राम दयाल गोयल को मैदान में उतारा था। उन्होंने 90277 वोट हासिल किए थे। 10.90 वोट शेयर हासिल कर चौथे स्थान पर रहे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में मांगे राम को मैदान में उतारा, लेकिन इस बार बसपा के खाते में 30446 वोट आए। वोट शेयर 2.63 फीसद रहा।

ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन मोदी लहर के चलते चौथे स्थान पर ही सीमित रही। हालांकि कड़ी मेहनता का फायदा यह मिला कि 2014 लोकसभा चुनाव के मुकाबले बसपा को वोट ज्यादा मिले। बसपा के सुरेंद्र शर्मा को 3.63 वोट शेयर के साथ कुल 45190 वोट मिले। इस बार चूंकि हिसार लोकसभा सीट पर देवीलाल कुनबे के तीन परिवार आपस में भिड़ सकते हैं, लिहाजा बसपा को ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है।

कांग्रेस अभी तक कन्फ्यूज

कांग्रेस ने अभी तक हरियाणा में लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं किया है। जिन सीटों पर पेंच फंसा हैं, उसमें हिसार लोकसभा सीट भी शामिल है। कांग्रेस ने रणनीति बनाई थी कि कुलदीप बिश्नोई के बड़े भाई चंद्रमोहन बिश्नोई को उतारा जाए, लेकिन इस बीच बीजेपी छोड़कर आए हिसार के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने भी इस सीट पर दावा ठोंक दिया था।

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साथ ही, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश जेपी का भी नाम चर्चा में है। चूंकि बीजेपी और जेजेपी के बाद इनेलो से भी हिसार लोकसभा सीट पर जाट नेता को उतारने की चर्चाएं चल रही हैं, लिहाजा हरियाणा कांग्रेस भी इस परिवार के सियासी घमासान का फायदा उठाना चाहेगी। ऐसे में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इस सीट पर बृजेंद्र सिंह और जेपी को टिकट देने की बजाए चंद्रमोहन बिश्नोई को मैदान में उतार दे क्योंकि बृजेंद्र सिंह और जयप्रकाश भी जाट नेता हैं।

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