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जनवरी 2023 में हुई अनिल की हत्या के मामले की जांच कर रही गुरुग्राम पुलिस पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हत्या के मामले में पुलिस अपना वैधानिक दायित्व निभाने में असफल रही है। जिसके बाद अदालत ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए चार माह में रिपोर्ट देने व पुलिस को सभी प्रकार का सहयोग करने के निर्देश दिए। गोलियों से छलनी अनिल का शव द्वारा एक्सप्रेस-वे पर मिला था।

गुरुग्राम/चंडीगढ़। द्वारा एक्सप्रेस-वे पर जनवरी 2023 में गोलियों से छलनी मिले अनिल कुमार की हत्या के मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुग्राम पुलिस पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि पुलिस हत्या के इस मामले में अपना वैधानिक कर्तव्य निभाने में पूरी तरह से विफल रही है। ऐसे में अब निष्पक्ष जांच के लिए यह मामला सीबीआई को सौंपा जाता है। कोर्ट ने गुरुग्राम पुलिस को नई जांच में मैनपॉवर सहित सभी प्रकार से सहयोग करने का आदेश भी दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि सुनवाई का अधिकार केवल आरोपित को नहीं होता, पीडि़त व समाज की सुनवाई होनी चाहिए। इसकी अनदेखी कर निष्पक्ष सुनवाई का पूरा कठिन भार अदालत पर डाल दिया जाता है। कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच रिपोर्ट चार में सौंपने के भी आदेश दिए।

एक साल में एक भी गिरफ्तारी नहीं

गुरुग्राम पुलिस की स्पष्ट विफलता  को देखते हुए, पंजाब  एवं  हरियाणा हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इस मामले में, पीड़ित अनिल कुमार का गोलियों से छलनी शव जनवरी 2023 में द्वारका एक्सप्रेसवे पर मिला था। हालांकि, गुरुग्राम पुलिस घटना के एक साल बाद भी इस मामले में किसी भी आरोपित  को गिरफ्तार करने में विफल रही है।

एफआईआर में आरोपियों के नाम 

हाईकोर्ट के जस्टिस जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा कि एफआईआर में सभी आरोपित नामजद है। घटना के एक साल बीतने के बाद अभी तक पुलिस किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं कर पाई। हत्या के इस मामले में जांच पूरी तरह से सुस्त है और गुरुग्राम पुलिस अपने वैधानिक कर्तव्य को निभाने में क्षेत्राधिकार वाले पुलिस अधिकारियों की विफलता को दर्शाता है। कोर्ट ने  न्याय के उद्देश्य को पूरा करने के लिए केंद्रीय एजेंसी से जांच करने  का आदेश दिया। जिसके लिए गुरुग्राम पुलिस जांच के लिए सीबीआई की सभी जरूरतों को पूरा करेगी तथा सीबीआई चार माह में जांच कर मामले की रिपोर्ट सौंपेगी।

मृतक की पत्नी ने यह लगाया था आरोप

मृतक की पत्नी सोनिया ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें बिताया था कि उसने 28 जनवरी 2023  को एफआईआर दर्ज करवाई थी। कोर्ट से मामले की  जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की थी। याचिका में बताया कि उसका पति एक प्रॉपर्टी डीलर था। भूमि सौदे,  पैसे के लेनदेन  के कारण साझेदारों के साथ विवाद था तथा उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही थी। चार  जनवरी को उसके पति साझेदारों के साथ हिसाब किताब के लिए घर से गए थे, परंतु वापस नहीं लौटे। 6 जनवरी को पुलिस ने हाइवे पर उसके पति का शव पड़ा होने की सूचना दी।

पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि पुलिस अधिकारी शुरू से ही आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। मामले को रफा दफा करने के लिए सुनियोजित ढंग से झूठे गवाह पेश किए। उन्होंने निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को मामला सौंपने की मांग की थी। जिसे सुनवाई के बाद कोर्ट ने न केवल स्वीकार किया, बल्कि गुरुग्राम पुलिस पर अपना दायित्व निभाने में असफल रहने की कड़ी टिप्पणी भी की।

सुनवाई का अधिकार केवल आरोपित को नहीं, पीड़ित व समाज को भी

कोर्ट ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि निष्पक्ष जांच और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार केवल आरोपित  तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पीड़ित और समाज को भी है। आजकल निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए सारा ध्यान आरोपितों पर दिया जाता है, जबकि पीड़ित और समाज के प्रति बहुत कम चिंता दिखाई जाती है। पीड़ित और समाज के हितों का त्याग किए बिना आरोपित को निष्पक्ष सुनवाई और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए बीच का रास्ता बनाए रखने का कठिन कर्तव्य अदालतों पर डाला गया है।

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