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हरियाणा के जींद में लेबर पेन से कहराती बिलखती नगूरां निवासी एक महिला को नगूरां पीएचसी पर डिलीवरी के लिए पहुंची, लेकिन स्टाफ ने दरवाजा नहीं खोला। करीब एक घंटे तक महिला दर्द में तड़पती रही, जिसके बाद स्टाफ ने दरवाजा खोला और डिलीवरी करवाई।

अलेवा/जींद: लेबर पेन से कहराती बिलखती नगूरां निवासी एक महिला को नगूरां पीएचसी पर डिलीवरी के लिए जाना उस समय महंगा पड़ गया, जब करीब एक घंटे तक लेबर पेन से कहराती बिलखती महिला के लिए गहरी नींद में सोये ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने करीब एक घंटे तक दरवाजा नहीं खोला। परिजन दरवाजा खुलवाने के लिए पीएचसी की बिल्डिंग के चारों तरफ इलाज के लिए चीख पुकार करते रहे, लेकिन कर्मचारियों ने परिजनों की पुकार नहीं सुनी। वहीं दूसरी तरफ एक अन्य गर्भवती महिला के परिजनों ने शुक्रवार को दर्द से कहराती महिला को चिकित्सों ने लेबर पेन के होते हुए फरियाद करने के बावजूद भी डिलीवरी के लिए जींद के नागरिक अस्पताल में रैफर कर दिया। दोनों पीड़ित परिजनों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर नगूरां पीएचसी पर स्वास्थ्य विभाग तथा सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया।

डिलीवरी के लिए नगूरां पीएचसी पहुंची थी गर्भवती

शनिवार को नगूरां पीएचसी पर ग्रामीणों के साथ रोष प्रकट कर रहे नगूरां निवासी गर्भवती महिला गीता के पति सुमित ने बताया कि वीरवार सुबह करीब 5:30 बजे उसकी पत्नी की डिलीवरी करवाने के लिए पीएचसी नगूरां में पहुंचे थे। लेकिन ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने करीब एक घंटे तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी पीएचसी का मुख्य द्वार नहीं खोला। इससे उसकी पत्नी की हालात बिगड़ती चली गई। आसपास के लोगों के प्रयास के बाद करीब एक घंटा बाद पीएचसी का मुख्य गेट खुला और उसकी पत्नी ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। वहीं दूसरी तरफ नगूरां निवासी सोनू ने बताया कि शुक्रवार को उसकी पत्नी मनीषा की डिलीवरी करवाने के लिए नगूरां पीएचसी पर पहुंचे थे लेकिन मौके पर तैनात दोनों चिकित्सकों ने डिलीवरी को हाई रिस्क बताते हुए जींद के नागरिक अस्पताल रेफर कर दिया।

नागरिक अस्पताल से पीजीआई रैफर की गर्भवती

गर्भवती महिला के परिजनों ने बताया कि नागरिक अस्पताल में एक चिकित्सा अधिकारी के कहने पर उनको रोहतक पीजीआई के लिए रेफर कर दिया। पीड़ित सोनू ने बताया कि वह उसकी पत्नी को रोहतक ले जाने की बजाये जींद के एक निजी अस्पताल में ले गए। जहां पर नॉर्मल डिलीवरी के रूप में उसकी पत्नी ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों की कार्य प्रणाली के चलते उनको आर्थिक तथा मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। शनिवार को दोनों पीड़ितों के परिजनों ने ग्रामीण महिलाओं के साथ मिलकर पीएचसी नगूरां पर पहुंचकर दोषी कर्मचारियों तथा अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग उठाई, ताकि भविष्य में किसी जच्चा-बच्चा की जान के साथ खिलवाड़ न हो सके।

पहले भी विवादों में रही पीएचसी

ग्रामीणों ने बताया कि पीएचसी नगूरां पहले भी डाक्टरों के समय पर न आने तथा एक स्टाफ नर्स के तबादले को लेकर सुर्खियों में रही है। नगूरां पंचायत ने मामले को लेकर कई बार लिखित में सीएमओ को अवगत करवाया, लेकिन पंचायत के लिखे पत्रों पर स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों ने किसी प्रकार का संज्ञान नहीं लिया। पंचायत हर बार पीएचसी में चल रही गतिविधियों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के उच्च्चाधिकारियों को अवगत करवाती रही लेकिन स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी आंख बंद कर तमाशबीन बने रहे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को लेकर शनिवार को ग्रामीणों ने पीएचसी नगूरां पर जमकर बवाल काटा और चेताया कि भविष्य मंि अगर पीएचसी में चिकित्सा अधिकारी तथा कर्मचारी समय पर नहीं आए तो ग्रामीण मामले को लेकर कठोर कदम उठाएंगे।

मामले को लेकर होगी जांच : सीएमओ

सीएमओ डॉ. गोपाल गोयल ने बताया कि ड्यूटी पर तैनात स्टाफ द्वारा डिलीवरी के लिए आई महिला के लिए दरवाजा न खोलना एक गंभीर विषय है। इसके लिए जांच कमेटी का गठन होगा और दोषी कर्मचारियों व अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी। पंचायत की मांग पर पीएचसी नगूरां में तैनात डॉ. दीक्षा यादव को नागरिक अस्पताल जींद में डेपूटेशन पर भेज दिया है और डॉ. राम को नगूरां पीएचसी का कार्यभार दे दिया है।

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