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पंजाब में सिख कैदियों की रिहाई को लेकर कौमी इंसाफ मंचख् के धरने पर हाईकोर्ट संख्त हो गया है। कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसे मामलों में पंजाब को हरियाणा से सीख लेनी चाहिए। यदि 18 अप्रैल तक कार्रवाई नहीं हुए तो सरकार हमारे सख्त फैसले के लिए तैयार रहे।

चंडीगढ़। पंजाब में पिछले एक साल से अधिक समय से सिख कैदियों की रिहाई के लिए कौमी इंसाफ मंचख् धरने दे रहा है। जिसे हटाने में पंजाब सरकार नाकाम रहीं है। इसी मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब हरियाणा सरकार राम रहीम और रामपाल के खिलाफ फोर्स प्रयोग कर सकती है तो पंजाब सरकार ऐसा करना से क्यों हिचक रही है। यदि सरकार 18 अप्रैल तक आंदोलन हटाने में विफल रही तो हमारे बेहद सख्त फैसले के लिए तैयार रहें। कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

मार्च में लगाई थी याचिका

अराइव सेफ सोसायटी की ओर से एडवोकेट रवि कमल गुप्ता के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए कौमी इंसाफ मोर्चा के प्रदर्शन को हटाने की मांग की गई थी। याचिका में बताया गया था कि प्रदर्शनकारियों ने चंडीगढ़-मोहाली मार्ग को बाधित किया है जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गत वर्ष फरवरी माह में यह प्रदर्शन आरंभ हुआ था और मार्च में याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी।

एक साल से विचाराधीन मामला

हाईकोर्ट में ही मामला एक साल से विचाराधीन है और ऐसे में मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि जब रामपाल को उसके आश्रम से निकालना था तो फोर्स का इस्तेमाल किया गया था, राम रहीम के मामले में भी इसी से भीड़ काबू की गई थी तो पंजाब सरकार इसमें क्यों झिझक रही है।

कानून व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी

इसी बीच केंद्र सरकार ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन यदि केंद्र से मदद मांगी गई तो आवश्यक ता अनुसार कंपनियां उपलब्ध करवा दी जाएंगी। हाईकोर्ट ने कहा कि इतना लंबा समय बीत जाने और इतने मौके देने के बावजूद सरकार कुछ नहीं कर रही है। अब 18 अप्रैल तक की मोहलत दी जा रही है और यदि इस दौरान प्रदर्शनकारियों को नहीं हटाया गया तो हमारे बेहद सख्त आदेश के लिए सरकार तैयार रहे।

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