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हरियाणा के रेवाड़ी में झुनझुनू के एक मदरसे की व्यवस्था से लाचार आठ बच्चे रात भागकर बस स्टैंड पहुंचे। चौकी इंचार्ज ने बच्चों से पूछताछ की तो भूख से परेशान बच्चों ने अपनी व्यथा उनके सामने रखी। इसके बाद चौकी इंचार्ज ने बच्चों को खाना खिलाया और रात को चौकी में ही सुला दिया।

Rewari: राजस्थान में मदरसों की व्यवस्था इतनी बदहाल है कि उनमें तालीम लेने वाले बच्चों को समय पर खाना तक नसीब नहीं होता। झुनझुनू के एक मदरसे की  व्यवस्था से लाचार आठ बच्चे वीरवार की रात वहां से भागकर रेवाड़ी पहुंच गए। बस स्टैंड चौकी इंचार्ज ने बच्चों से पूछताछ की तो भूख से परेशान बच्चों ने अपनी व्यथा उनके सामने रखी। इसके बाद चौकी इंचार्ज ने बच्चों को खाना खिलाया और रात को चौकी में ही सुला दिया। साथ ही बच्चों के परिजनों को सूचित किया। शुक्रवार को इन बच्चों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया।

बस स्टैंड पर घूम रहे थे मदरसे से भागे बच्चे

वीरवार रात को करीब 9 बजे बस स्टैंड चौकी प्रभारी विनोद कुमार को सूचना मिली कि कुछ बच्चे बस स्टैंड पर घूम रहे हैं। सभी बच्चे मुस्लिम समुदाय से हैं। विनोद कुमार ने सूचना मिलते ही इन बच्चों के पास जाकर पूछताछ की। बच्चों ने बताया कि परिवार के लोग उन्हें झुनझुनू मदरसे में तालीम ग्रहण करने के लिए छोड़कर आए थे। मदरसे में उनके लिए कोई खास व्यवस्था नहीं की हुई है। उन्हें खाना भी रात को 10 बजे से पहले नहीं मिलता, जिस कारण वह भूखे मरते रहते हैं। पूछताछ करने पर पता चला कि 6 बच्चे राजस्थान के ही अलवर के रहने वाले हैं, जबकि दो नूंह के निवासी हैं। यह बच्चे मदरसे से भागने के बाद बस से रेवाड़ी आ गए। चौकी इंचार्ज ने इन बच्चों को पुलिस चौकी में बैठाकर उनके परिजनों को फोन पर सूचना दी।

खुद हाथों से परोसा बच्चों को खाना

मदसरे से भागकर रेवाड़ी पहुंचे बच्चों ने चौकी इंचार्ज विनोद कुमार को बताया कि उन्हें बड़ी जोर से भूख लगी है। इसके बाद विनोद कुमार ने बच्चों को पास बैठाकर होटल से उनके लिए खाना मंगवाया। बच्चों को अपने हाथों से खाना परोसा। खाना खाने के बाद परिजनों के आने तक चौकी में ही उनके सोने का इंतजाम किया। पुलिस ने मानवता का परिचय देते हुए एक मिसाल कायम की। बाद में पुलिस ने इन बच्चों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया।

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