हिसार में दो डॉक्टरों पर एफआईआर: किडनी में था दर्द, कर दी बाईपास सर्जरी, जानें कैसे पीडि़त ने 6 साल लड़ी लड़ाई

Doctors negligence in Hisar। समाज में जिन डॉक्टरों को भगवान के नाम की संज्ञा दी जाती है, वहीं पैसे की चकाचौंध में ईलाज के नाम पर बड़ा खेल करने से गुरेज नहीं करते। हिसार के बड़े निजी अस्पतालों में शुमार एक अस्पताल का ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां डॉक्टरों ने किडनी की दर्द से पीड़ित युवक की बाईपास सर्जरी कर दी। डॉक्टरों की लापरवाही से पीड़ित युवक ने छह साल बाद न्याय की लड़ाई लड़ी। जिसके बाद सीएमओ की शिकायत पर आईएमए के सचिव एवं गीताजंलि अस्पताल के संचालक डॉ कमल किशोर और डॉक्टर यशपाल सिंघल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 337 व 120बी के तहत केस दर्ज किया है।
केस बिगड़ा तो दिल्ली गुरुग्राम जाने की दी सलाह
चरखी दादरी के अटेला गांव निवासी भूपेंद्र ने बताया कि डॉक्टर कमल किशोर से वह तब से ईलाज करवा रहे थे जब वे जिंदल अस्पताल में प्रैक्टिस करते थे। 2018 में उसकी लेफ्ट किडनी में दर्द हुआ। जांच के बाद डॉक्टर कमल किशोर ने बाईपास सर्जरी की सलाह दी। जिसके बाद मुझे डॉक्टर यशपाल सिंघल के पास भेज दिया। डॉ. यशपाल सिंघल ने पहले तो ओटी में उसके साथ दुर्व्यवहार किया और फिर ऑपरेशन करते समय उसके यूरिन ब्लेडर को डेमेज कर स्टंड वहीं छोड़ दिए, जहां थे। जिससे खून निकलना शुरू हो गया। गांठ बनकर खून जमकर बंद होने से पहले खून चढ़ाने व निकलने का सिलसिला जारी रहा। हालात बिगड़ने पर डॉक्टर कमल किशोर ने दिल्ली या गुरुग्राम जाने की सलाह दी।
सीएमओ व पीजीआई रिपोर्ट में खुलासा
मेदांता अस्पताल में जाने के बाद भूपेंद्र को ईलाज में लापरवाही का पता चला। जिसके बाद भूपेंद्र ने 2019 में सीएमओ को अपनी शिकायत दी। सीएमओ ने अपनी जांच में इलाज में लापरवाही की बात को स्वीकार कर जांच के लिए रोहतक पीजीआई को लिखा। पीजीआई में छह डॉक्टरों की टीम ने भी ईलाज में लापरवाही की शिकायत पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी। रोहतक पीजीआई की टीम द्वारा लापरवाही की बात स्वीकारने पर सीएमओ ने डॉ. कमल किशोर व डॉ. यशपाल सिंघल के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए पत्र लिखा। जिस पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल आरोपी डॉक्टरों की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।
ऐसे हुआ खुलासा
डॉ. कमल किशोर की सलाह पर भूपेंद्र कुमार गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल पहुंचा। जहां जांच के बाद डॉ. राकेश ने उसे बताया कि केस बिगड़ चुका है तथा डॉ. यशपाल से बात कर मरीज की जान जोखिम में डालने के लिए टोका। फिर ऑपरेशन कर पेट से एक बाल्टी खून की गांठ निकाली। अस्पताल से रिपोर्ट लेने के लिए सीएम विंडो व आरटीआई का सहारा लेना पड़ा। अपना ईलाज करवाने व न्याय के लिए डॉक्टरों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए भूपेंद्र को अपनी जमीन जायदाद तक बेचनी पड़ी।
पीड़ित को थे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया व सेप्सिस के लक्षण
अस्पताल से मिले भूपेंद्र के रिकार्ड अनुसार उसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और सेप्सिस के लक्षण थे। डॉ. यशपाल सिंगला के पास तो न तो यूरोलॉजी एंडोस्कोपी का अनुभव है और न ही डीएनबी/एमसीएच, यूरोलॉजी की कोई डिग्री। ऐसे में मरीज को मल्टीस्पेशियलटी अस्पताल में रेफर किया जाना चाहिए था। गीतांजली अस्पताल के डॉक्टरों ने बिना अनुभव वाले डॉक्टर से ऑपरेशन करवा दिया। जिससे मरीज की हालत बिगड़ गई।
