Delhi High Court: दिल्ली पुलिस और MCD पर भड़का हाईकोर्ट, अवैध कब्जों के लिए ठहराया जिम्मेदार, पेश होने के दिए आदेश

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दिल्ली हाई कोर्ट।
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि दिल्ली के बाजारों में अतिक्रमण और अवैध कब्जे बढ़ रहे हैं। जिसके लिए कोर्ट ने नगर निगम और थानाध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने इन अधिकारियों को सात जनवरी को पेश होने का आदेश दिया है।

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट अक्सर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बाजारों, सड़कों और व्यस्त इलाकों के साथ अन्य स्थानों पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण को हटाने के लिए दिशा निर्देश जारी करता रहता है। खासतौर पर बाजारों को किसी बड़े हादसे से बचाने के लिए के लिए विभागों को आदेश दिए जाते हैं। लेकिन, कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जिससे अवैध कब्जे और अतिक्रमण की पोल खोल दी है। हाई कोर्ट ने इन तस्वीरों को देखने के बाद दिल्ली पुलिस और नगर निगम को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।

कोर्ट में पेश होने के आदेश

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने अजमल खान रोड और करोल बाग मेट्रो के पास लगे बाजारों की तस्वीरें देखकर हैरान होते हुए कहा कि इन जगहों पर स्पष्ट रूप से अवैध अतिक्रमण और कब्जे नजर आ रहे हैं। बेंच ने कहा कि इसके लिए सीधे तौर पर नई दिल्ली नगर निगम के अधिशासी अभियंता (कार्यपालक इंजीनियर) और करोलबाग के थानाध्यक्ष जिम्मेदार हैं। बेंच ने आदेश देते हुए कहा कि इन दोनों विभागों के अधिकारियों को सात जनवरी को कोर्ट के सामने पेश होना होगा।

एक दुकानदार की याचिका पर कोर्ट में हुई थी सुनवाई

जानकारी के मुताबिक, अजमल खान रोड पर दुकान लगाने वाले पंकज चोपड़ा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि वह उस स्थान पर साल 2000 से ही दुकान चला रहे हैं। उन्होंने दुकान के लिए जगह आवंटित तहबाजारी के तहत ली है, लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें वहां से जबरदस्ती हटा दिया गया। जबकि भारी संख्या में वहां पर अवैध कब्जे पर लोग दुकानें चला रहा हैं और काम कर रहे हैं। पंकज चोपड़ा ने अतिक्रमण और अवैध कब्जे को गंभीर मुद्दा बताते हुए हाई कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी।

2021 के पूर्व आदेश की अवहेलना

याचिकाकर्ता पंकज चोपड़ा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने हाई कोर्ट में अपनी दलीलें पेश की, जिसमें उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 16 सितंबर 2021 को पूरी दिल्ली के बाजारों से फेरी वालों के साथ-साथ अतिक्रमण और अवैध कब्जे को हटाने के निर्देश दिए थे। अधिवक्ता फुल्का ने बताया कि आदेश में कहा गया था कि बाजारों से इस अवैध कब्जे और अतिक्रमण को हटाने की प्रत्येक थानाध्यक्ष की निजी जिम्मेदारी होगी। इसके साथ नगर निगम को कहा गया था कि दो दिन के भीतर सभी बाजारों में डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएं, जिस पर नॉन हाकिंग और हाकिंग जोन दर्शाया जाएगा।

साथ ही कहा गया था कि करोल बाग मेट्रो स्टेशन के आस-पास को पूरी तरह से खाली कराया जाए और एमसीडी के द्वारा अवैध फेरी और अतिक्रमण लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। लेकिन इसके बादजूद भी दोनों विभागों ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच ने इसे हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना मानते हुए दोनों विभागों के अधिकारियों को पेश होने का आदेश दिया है।

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