Delhi: DSIIDC के कर्मचारी बनकर फैक्ट्री मालिकों से करते थे ठगी, पांच गिरफ्तार

DSIIDC fake employees
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DSIIDC के कर्मचारी बनकर ठगी करने वाले गिरफ्तार।
साइबर पुलिस ने DSIIDC के कर्मचारी बनकर फैक्ट्री मालिकों के साथ ठगी करने वाले पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। अब तक लाखों रुपये की धोखाधड़ी कर चुके थे।

Delhi: आउटर नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट की साइबर पुलिस ने DSIIDC के कर्मचारी बनकर फैक्ट्री मालिकों को चूना लगाने वाले पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों की पहचान विक्रम सक्सेना, वेद प्रकाश तोमर, मो.सकलेन नकली, रवि चौधरी और शाह हसन नकवी के रूप में हुई है। पुलिस ने इनके पास से 5 मोबाइल, दो कीपैड मोबाइल, दो डेबिट कार्ड और दो चेक बुक बरामद किए हैं।

DSIIDC के कर्मचारी बनकर करते थे ठगी

दरअसल, यह आरोपी दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (DSIIDC) के कर्मचारी बनकर फैक्ट्री मालिकों के साथ धोखाधड़ी कर रहे थे। इसकी जानकारी पुलिस ने दी है। डीसीपी आउटर-नॉर्थ रवि कुमार सिंह के अनुसार, इस संबंध में साइबर क्राइम पोर्टल पर बवाना निवासी गुरबिंदर कुमार टंडन ने शिकायत दर्ज की थी।

उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता से जमीन का बकाया बिना किसी ब्याज के जल्द जमा करने के बहाने उनसे 1.75 लाख रुपये ठग लिए गए थे। आरोपी ने खुद को DSIIDC का अधिकारी नवीन गुप्ता बताया। इसके बाद पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी। वहीं, इससे पहले भी ऐसे ही ठगी के दो और केस दर्ज किए गए थे। इन दोनों केस में आरोपियों ने फैक्ट्री मालिक महेश कुमार से 1,52,250 रुपये और अन्य फैक्ट्री मालिक से 1,81,926 रुपये लिए थे। इन तीनों मामलों में आरोपियों ने ठगी को एक ही तरीके से अंजाम दिया।

छापेमारी के बाद पुलिस ने दबोचा

इसके बाद साइबर टीम ने अपनी जांच शुरू की। इस दौरान, कॉल करने वाले नंबरों और बैंक खातों में पंजीकृत मोबाइल नंबरों की डिटेल्स निकाली ली गई। डिटेल्स के आधार पर 27 दिसंबर को शालीमार गार्डन, साहिबाबाद, गाजियाबाद, यूपी में छापेमारी की गई और शाह हसन नकवी को दबोच लिया गया। पूछताछ के दौरान नकवी ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की और जांच में सहयोग नहीं किया। पुलिस ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस की सख्ती से पूछताछ में पता चला कि आरोपी अपने साथियों सकलेन नकवी उर्फ अशरफ, वेद प्रकाश तोमर, रवि चौधरी और विक्रम सक्सेना के साथ गैंग चला रहा है। पुलिस को जांच में पता चला कि सभी आरोपी वॉट्सऐप नंबरों का इस्तेमाल कर संपर्क में रहते थे। पुलिस ने नंबरों के आईपी एड्रेस की डिटेल्स निकाली और बाकी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

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