अयोध्या की तर्ज पर सजेगी दिल्ली: वासुदेव घाट पर जलाए जाएंगे 3.5 लाख दीये, चुनाव से पहले DDA की पहल

Delhi Deepotsav like Ayodhya
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प्रतीकात्मक तस्वीर।
वासुदेव घाट पर यह आयोजन दिल्लीवासियों के लिए एक खास अनुभव लेकर आ रहा है, जहां 13 नवंबर को यमुना के तट पर दीपोत्सव में 3.5 लाख दीये जलाने की पूरी तैयारी है।

Delhi Deepotsav like Ayodhya: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अहम पहल की है। डीडीए ने 13 नवंबर को वासुदेव घाट पर दिल्ली दीपोत्सव आयोजित करने की घोषणा की है। अयोध्या के ऐतिहासिक दीपोत्सव से प्रेरित होकर इस आयोजन को देव दीपावली, गुरु पूर्णिमा और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर मनाया जाएगा। वहीं, इस दौरान उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना यमुना आरती भी करेंगे।

3.5 लाख दीयों से सजेगा दिल्ली का वासुदेव घाट

आपको बता दें, इस समारोह में 3,50,000 दीयों को घाट पर रोशन किया जाएगा। कार्यक्रम में अलग- अलग वर्गों के लोग, छात्र और कलाकार भी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा, एक भव्य ड्रोन और लेजर शो भी आयोजित किया जाएगा, जिससे यह आयोजन और भी आकर्षक बन जाएगा। घाट पर ‘राम दरबार’ की खास तरीके से सजावट भी की जाएगी।

वासुदेव घाट पर होगा संस्कृतियों का संगम

मार्च 2024 में उद्घाटन किया गया वासुदेव घाट, यमुना नदी और उसके तट को फिर से नई जीवन देने की दिशा में दिल्ली के LG की जिम्मेदारी को दर्शाता है। यह घाट शहर के लोगों को नदी के करीब लाने और इसके सफाई में भागीदार बनाने का प्रयास है। यहां के सांस्कृतिक धरोहर को अलग-अलग राज्यों से मंगवाए गए शिल्प और कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। उसके चारबाग शैली के बगीचे और ऐतिहासिक डिजाइन से प्रेरित ‘बारादरी’ और ‘छतरी’ का खास तरह से बनाया गया है।

ये दिल्ली उत्सव के आकर्षण बिंदू रहेंगे

वासुदेव घाट का खास आकर्षण जलेसर, राजस्थान के कारीगरों की बनाई गई 250 किलो की धातु की घंटी और गुलाबी कोटा पत्थर के हाथी की मूर्तियां हैं। साथ ही, रिंग रोड के सामने के इलाके में इन कलाकृतियों को भी सजाया गया है, जिससे इस इलाके को एक नई पहचान मिल रही है।

यमुना आरती और ड्रोन शो का शानदार नजारा

घाट पर लगभग 1,700 स्थानीय और नदी के किनारे के पौधों की प्रजातियों को लगाया गया है, जो यमुना के प्राकृतिक परिवेश को और निखारते हैं। यहां बने हुए कच्चे रास्ते, बगीचे, और सांस्कृतिक जगह इसे एक खुले हरे भरे सार्वजनिक स्थल के तौर पर विकसित करते हैं, जहां लोग प्राकृतिक वातावरण में समय बिता सकते हैं।

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