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राजधानी रायपुर में शून्य से 16 वर्ष तक के बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए 20 जून को रायपुर के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में स्वर्ण प्राशन कराया जाएगा।

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए 20 जून को रायपुर के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में स्वर्ण प्राशन कराया जाएगा। आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में हर पुष्य नक्षत्र की तिथि पर शून्य से 16 वर्ष के बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराया जाता है। 

यह औषधि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, श्वसन संबंधी एवं अन्य रोगों से रक्षा करने के साथ ही एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाने में अत्यंत लाभकारी है। यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में भी मदद करता है। शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में हर पुष्य नक्षत्र तिथि में बच्चों के लिए स्वर्ण प्राशन का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष की आगामी पुष्य नक्षत्र तिथियों 20 जून, 18 जुलाई, 14 अगस्त, 10 सितम्बर, 7 अक्टूबर, 4 नवम्बर, 1 दिसम्बर और 29 दिसम्बर को बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराया जाएगा।

कई जड़ी- बूटियों का होता है समावेश 

सुवर्णप्राशन वह प्रक्रिया है, जिसमें सुवर्ण भस्म (सोने की शुद्ध राख) को जड़ी-बूटियों के अर्क से तैयार घी और शहद के साथ मिलाकर बच्चों को दिया जाता है। यह एक ऐसी वैदिक प्रक्रिया है जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है। इससे न सिर्फ उनकी इम्यूनिटी मजबूत होती है, बल्कि उनकी मानसिक क्षमता भी शानदार होती है। यह शून्य से लेकर 16 साल तक की उम्र के बच्चों को दे सकते हैं। यह उन बच्चों के लिए भी फायदेमंद होता है जो ऑटिज्म, सीखने में परेशानी आदि जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। सुवर्ण प्राशन में सोने की राख, वाचा, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, गुडुची सत्व, यष्टिमधु, अश्वगंधा सहित 22 प्रकार की जड़ी बूंटी घी और शहद शामिल होते हैं।

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