इस बस्ती में टहलते रहते हैं सांप : इनकी आजीविका का साध भी सांप और बच्चों का खिलौना भी

A child playing with a snake in a snake charmers colony
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सपेरों की बस्ती में सांप से खेलता हुआ बच्चा
पलारी में एक ऐसी बस्ती है जहां के लोगों का जीवन सांपों पर आश्रित है। इनके घर में नाग टहलते हुए दिखाई देते हैं।

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। नाग पंचमी के अवसर पर पूरे देश में नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है। इस दौरान सुबह से ही शिवालयों और नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। लोगों की मान्यता है कि, इस दिन नागों की पूजा करने से सर्पदंश के भय से मुक्ति मिलती है।

वहीं बलौदाबाजार जिले के पलारी में एक ऐसी बस्ती है जहां के लोगों का जीवन सांपों पर आश्रित है। इनके घर में नाग टहलते हुए दिखाई देते हैं। बच्चे सांपों के सात खेलते नजर आते हैं। इनका पुश्तैनी काम ही सांप पकड़ना है।

पुश्तैनी सपेरे हैं बस्ती के लोग

नगर पंचायत पलारी के वार्ड 13 में काफी संख्या में सपेरे रहते हैं। यहां रहने वाले सपेरे बताते हैं कि, हमारा पुश्तैनी काम ही सांप पकड़ना है। सांपों के बारे में इन्होंने बताया कि, कुछ सांप बेहद विषैले होते हैं। पलक झपकते ही फुंकार मारने वाले गेंहुआ नाग को काबू करना बहुत कठिन होता है। उसे जड़ी सुंघाते हैं तभी उसका फन सिकुड़ता है। इन सपेरों का कहना है कि, उनकी ये उनकी चौथी पीढ़ी है, जो सांप पकड़ती है।

ग्रामीणों ने सरकार से सांपों को बचाने की अपील की

वह न नौकरी करते हैं और न ही कोई दूसरा काम करते हैं। सिर्फ सांपों को पकड़ना और उन्हें दिखाकर-दिखाकर भिक्षा मांगना यही उनके समाज की परंपरा है। इन्होंने यह भी बताया कि, उनके यहां बेटियों की शादी में दहेज में सांप देने की परंपरा है। लेकिन आजकल जंगलों को काटने और खेतों में कीटनाशक दवाइयां डालने से सांपों की भी मौत हो रही है, जिससे बड़ी संख्या में सांप असमय ही मारे जा रहे हैं। उन्होंने शासन से अपील की है कि, सांपों की प्रजाति को बचाने के लिए कुछ काम करें।

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