आबकारी नियंत्रण कक्ष में स्कूल : यहीं रखी जाती है तस्करी में पकड़ी गई शराब, असामाजिक तत्वों की आवाजाही के बीच होती है पढ़ाई

शहर के पुराना बस स्टैंड के पास एक ऐसा स्कूल है, जहां एक ही परिसर में आबकारी नियंत्रण कक्ष और प्राथमिक स्कूल संचालित किया जा रहा है।

अक्षय साहू-राजनांदगांव। प्रदेशभर में 26 जून से स्कूल खुलने वाले हैं। इस दिन शाला प्रवेश उत्सव मनाने की तैयारी भी की जा रही है। राजनांदगांव में एक ऐसा स्कूल है, जो शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। शहर के पुराना बस स्टैंड के पास एक ऐसा स्कूल है, जहां एक ही परिसर में आबकारी नियंत्रण कक्ष और प्राथमिक स्कूल संचालित किया जा रहा है। ऐसे में बच्चे किस माहौल में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं, यह सोचने वाली बात है।

शहर के भरकापारा प्राथमिक स्कूल के ठीक सामने आबकारी नियंत्रण कक्ष बनाया गया है जहां शराब तस्करों और जब्त की गई शराब भी लाई जाती है। इसके अलावा यहां असामाजिक तत्वों का भी लगातार आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यहां बच्चों को पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल मिल रहा है। आबकारी नियंत्रण कक्ष होने के कारण यहां माहौल रोज खराब हो रहा है। ऐसे में स्कूल में पढऩे वाली छात्राएं असहज महसूस कर रही हैं।

आबकारी नियंत्रण कक्ष और स्कूल के बीच बस 10 मीटर की दूरी

नियमों के मुताबिक तो स्कूलों के 200 मीटर के दायरे में शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे स्कूल का माहौल खराब होता है तो फिर स्कूल से 10 मीटर की दूरी पर ही आबकारी नियंत्रण कक्ष क्यों संचालित किया जा रहा है। इस वजह से ही छोटे-छोटे बच्चों की मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा छात्राएं भी वहां जाने में असहज महसूस करती हैं। यह एक पहला स्कूल होगा जहां आबकारी नियंत्रण कक्ष के बीच महज 30-35 फ़ीट का ही फर्क है। स्कूल आते-जाते वक्त छात्राओं के सामने ही नशे में धुत्त शराबी आ धमकते हैं। दोनों का गेट भी एक ही है जहां असामाजिक तत्वों की आवाजाही लगी रहती है, वहीं से छात्र-छात्राएं भी स्कूल आने-जाने के लिए मजबूर हैं।

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