सेवानिवृत्त हुए राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन : सीएम साय, मंत्रियों ने दी विदाई, लगभग 1.5 साल तक संभाला कार्यभार 

Retired Governor Vishwabhushan Harichandan
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सेवानिवृत्त हुए राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन
सेवानिवृत्त राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को स्टेट हैंगर में बिदाई दी गई। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ में साय सरकार अच्छा काम कर रही है और डबल इंजन की सरकार में तेजी से काम हो रहा है। 

रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 10 राज्यों के राज्यपालों की नई नियुक्ति की है। जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल रामेन डेका को नियुक्त किया है। इसी कड़ी में मंगलवार को सेवा निवृत राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को स्टेट हैंगर में बिदाई दी गई। जिसमें सीएम विष्णुदेव साय, मंत्री ओपी चौधरी, मंत्री केदार कश्यप, पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे।

कार्यक्रम के दौरान सेवानिवृत राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में साय सरकार अच्छा काम कर रही है और डबल इंजन की सरकार में तेजी से काम हो रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व देश विकसित भारत बनने की ओर आगे बढ़ रहा है। मेरा छत्तीसगढ़ में काम करने का अनुभव अच्छा रहा और मुझे यहां सरकार और शासन से पूरा सहयोग मिला। यहां के मुख्यमंत्री बहुत सिंपल और सरल है, मुझे उनका पूरा सहयोग मिला है। मैं छत्तीसगढ़ के विकास की कामना करता हूं। मैं जहां भी रहूंगा छत्तीसगढ़ के विकास के लिए अपना योगदान देता रहूंगा। साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोगों की भी तारीफ की है।

सीएम साय बोले- उनके नेतृत्व में हुआ छत्तीसगढ़ का तेजी से विकास

निवृतमान राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को विदाई देने के बाद सीएम साय ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल अच्छा रहा है। उनके साथ काम करने का अनुभव अच्छा रहा और उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में तेजी से विकास हुआ। हमें उनका मार्गदर्शन हमेशा मिला और आगे भी मिलता रहेगा। यहां तक कि, जाते- जाते भी उन्होंने मुझसे कहा कि, छत्तीसगढ़ से मेरा लगाव हमेशा रहेगा।

ओडिशा के स्वतंत्रता सेनानी परंपरा वाले परिवार से हैं विश्वभूषण हरिचंदन

ओडिशा के योद्धाओं और स्वतंत्रता सेनानी परंपरा वाले परिवार से आने वाले विश्वभूषण हरिचंदन, जो 1962 में ओडिशा उच्च न्यायालय बार में और 1971 में भारतीय जनसंघ में शामिल हुए। अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर कम समय में ही एक वकील और राजनीतिक नेता के रूप में प्रसिद्धि पाई। उन्होंने ऐतिहासिक जेपी आंदोलन में लोकतंत्र का गला घोंटने के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जिसके लिए उन्हें आपातकाल के दौरान कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन एक्शन कमेटी के अध्यक्ष के रूप में श्री हरिचंदन ने 1974 में सुप्रीम कोर्ट में जजों के अधिक्रमण के खिलाफ ओडिशा में वकीलों के आंदोलन का नेतृत्व किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तानाशाही शासन व्यवस्था के खिलाफ जनमत तैयार किया।

पांच बार रहे विधायक

ओडिशा की राजनीति में दिग्गज नेता श्री हरिचंदन पांच बार अर्थात् 1977, 1990, 1996, 2000 और 2004 में ओडिशा राज्य विधानसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 2000 के विधानसभा चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 95,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की और ओडिशा में पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।

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