कलेक्टर के आदेशों की अनदेखी : स्पष्ट आदेश के बावजूद सड़कों पर झुंड में बैठे रहते हैं मवेशी 

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सड़कों पर मवेशियों से परेशान हैं वाहन चालक
छत्तीसगढ़ के राजिम शहर से गुजरने वाले वाहन चालक, वहां की सड़कों पर बैठे मवेशियों से परेशान हैं। नगरीय निकाय इस ओर कोई ध्यान नहीं देते।

श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। राजिम की सड़कों पर मवेशियों का राज हो गया है। इन मवेशियों की वजह से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। मगर इस पर जिम्मेदार अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। बरदी के रूप में जगह-जगह झुंड में खड़े मवेशी गाड़ियों को देखकर भी टस से मस नहीं होते।

उल्लेखनीय है कि, हाइवे नंबर 130 पर राजिम शहर बसा है। इस शहर के बीच से रायपुर-ओडिशा-देवभोग-गरियाबंद मार्ग गई है। लंबे रूट होने की वजह से पूरे चौबीसों घंटे बड़ी संख्या में गाड़ियों का आना-जाना लगा रहता है। पंडित जवाहर लाल नेहरू पुल से लेकर साई मंदिर- चौबेबांधा मोड़ तक 50 से सौ-सौ की संख्या में झुंड के झुंड में बरदी के समान ये मवेशी खड़े रहते हैं। इनका पहला प्वाइंट कुलेश्वर मेडिकल स्टोर्स पं श्यामाचरण शुक्ल चौक के सामने, दूसरा प्वाइंट फारेस्ट नाका, तीसरा प्वाइंट संगम पेट्रोल पंप के सामने, चौथा प्वाइंट सुमित भोजनालय पं सुंदरलाल शर्मा चौक, पांचवा प्वाइंट सुनील देवांगन के होटल के सामने, छठवां प्वाइंट गोवर्धन चौक शर्मा टेंट हाऊस के सामने और सातवां प्वाइंट पुराना नल टंकी हटरी के सामने से लेकर दत्तात्रेय मंदिर मोड़, कौर हास्पिटल व साई मंदिर सड़क के सामने रहता है।

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गाड़ी उतरकर मवेशियों को हटाने पर मजबूर हैं चालक

जमघट में खड़े ये मवेशी इतने ढीठ हो गए हैं कि, चाहे गाड़ी बड़ी हो या छोटी कितनो ही हार्न बजा लें... लाइट की चकाचौंध रोशनी दिखा लें.. मगर ये टस से मस नहीं होते। गाड़ियों के ड्रायवरों का दिमाग इस कदर खराब होता है, इसे केवल वही जान सकते हैं। परंतु गौ माता है, छोटे-छोटे बछड़े हैं करके मन मसोस करके रह जाते हैं। गाड़ी से उतरते हैं, मवेशी को सड़क से किनारे करते हैं फिर गाड़ी को आगे बढ़ाते हैं। मवेशी कुछ ही क्षण में फिर सड़क पर डेरा जमा लेते हैं। आखिर इसके लिए जिम्मेदार किसे माना जाए?

कलेक्टर ने लीथी बैठक, विशेष अभियान चलाने के दिए थे निर्देश

बता दें कि गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने 10 अक्टूबर गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में एक महत्वपूर्ण बैठक सड़कों में घुमंतू पशुओं के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ली थी। इस बैठक में आवारा पशुओं के नियंत्रण के लिए बनाए गए संयुक्त दल के सदस्यगण शामिल भी हुए थे। कलेक्टर ने बैठक में साफ-साफ कहा था कि, पशुओं के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की बचाव के लिए न केवल विशेष अभियान चलाया जाए बल्कि जान बूझकर अपने मवेशियों को सड़कों पर आवारा घूमने के लिए छोड़ने वाले पशु मालिकों पर भी कार्यवाही किया जाए।

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कलेक्टर ने ये भी दिए थे निर्देश

इतना ही नहीं, उन्होने इस बैठक में कहा था कि, नगरीय निकाय एवं ग्राम पंचायतों में जाकर आमजनो तथा पशु पालकों की बैठक लेकर उन्हें आवारा एवं पालतु पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के संबंध में जानकारी देकर अवगत कराएं। पशुओं को सड़क पर नहीं छोड़ने के संबंध में जागरूक करें। आदेश का पालन नहीं करने पर वैधानिक कार्यवाही के संबंध में अवगत कराएं। पंचायत वार पशु पालकों को सूचीबद्ध करें, साथ ही आवारा पशुओं को चिन्हांकित कर सूचीबद्ध करें।

कलेक्टर आदेश की हर जगह हो रही अनदेखी

10 अक्टूबर को कलेक्टर द्वारा इस बैठक में दिए गए आदेश का जरा भी असर न तो नगरीय निकायों में हुआ है और न ही किसी भी ग्राम पंचायत में। लगता है कलेक्टर के आदेश को नगरीय निकाय के सीएमओ और ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिवों ने कोई तवज्जो न देते हुए हवा में उड़ा दिया है। आज हालात ये है कि, सड़कों पर जगह-जगह मवेशी, रात-रात भर खड़े रहते है। कम रोशनी में चलने वाले गाड़ियो को ये दिखाई नही पड़ते इससे दुर्घटनाएं हो जाती है। बाइक सवार तो आए दिन इनके वजह से गिरकर अपना हाथ-पैर तुड़वा रहे है,चोटिल हो रहे है। लगता है कलेक्टर का आदेश केवल अखबारी होकर रह गया है।

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